For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

TEJ VEER SINGH's Blog – June 2018 Archive (7)

माँ की पहचान: (लघुकथा)

इस बार सरकार के सामने जो प्रस्ताव आया था वह चोंकाने वाला था। उनकी माँग थी कि राष्ट्रीय ध्वज में चक्र के स्थान पर गाय का चेहरा दिखाया जाय। अन्य धार्मिक संगठनों ने भी इस माँग का समर्थन कर डाला। इसके पीछे उनकी दलील थी कि इससे देश और विदेश में गाय का सम्मान बढ़ेगा और महत्व भी। इस नीति से गाय के विरुद्ध होने वाली हिंसा भी रुकेगी| अतः सरकार को झुकना पड़ा। सरकार का इरादा था कि इस नीति को गुप्त रखा जाय और चुनाव के वक्त खुलासा किया जाय। एक तरह से सरकार इस नीति को हथियार के रूप में चुनाव में भुनाना…

Continue

Added by TEJ VEER SINGH on June 30, 2018 at 11:30am — 8 Comments

सुबह जरूर आयेगी  -  लघुकथा   –

सुबह जरूर आयेगी  -  लघुकथा   –

वह रात सूरज और संध्या के जीवन की ऐसी रात थी कि दोनों की ही अग्नि परीक्षा की घड़ी आगयी थी। कौन खरा उतरेगा , यह तो ऊपर वाला ही तय करेगा ।

 दोनों की शादी को जुम्मे जुम्मे आठ दिन भी नहीं हुए थे कि दोनों ने अकेले पिक्चर देखने, वह भी नाइट शो, का प्रोग्राम बना लिया। शहर के बिगड़े माहौल को देखते हुए घर में कोई भी उनके इस फ़ैसले से खुश नहीं था। मगर सूरज की ज़िद और अति आत्मविश्वास के आगे सब चुप थे। क्योंकि वह एक फ़ौज़ी अफ़सर जो था।

फ़िल्म देखकर निकले तो सूरज…

Continue

Added by TEJ VEER SINGH on June 25, 2018 at 12:40pm — 12 Comments

गंगा सूख गयी - लघुकथा –

गंगा सूख गयी - लघुकथा –

प्यारी "माँ"

तुम्हारी ऊँच नीच की तमाम नसीहतों को दरकिनार करते हुए, मैंने अपने परिवार से बड़े और धनवान खानदान के रवि से प्रेम विवाह किया था। हालांकि हम सब बहुत खुश थे। मेरे प्रति सब का व्यवहार बेहद आत्मीय था।

एक साल बाद  गुड़िया ने जन्म लिया। अचानक से परिवार के लोगों का नज़रिया बदल गया। शायद सब को पुत्र की चाहत थी। गुड़िया को तो कोई भी गोद लेना तो दूर, छूता तक नहीं था। यहाँ तक कि रवि,  उसका पिता होने के बावज़ूद , उसे प्यार नहीं करता था। मुझे यह सब बहुत…

Continue

Added by TEJ VEER SINGH on June 21, 2018 at 8:47am — 16 Comments

चुनावी घोषणायें  - लघुकथा –

चुनावी घोषणायें  - लघुकथा –

 मंच से नेताजी अपने चुनावी भाषण में आम जनता के लिये लंबी लंबी घोषणायें राशन की तरह बाँट रहे थे।

"अरे साहब यह सब घोषणायें तो घिसी पिटी हैं। हर चुनाव में दोहराई जाती हैं"। नीचे से एक गाँव का आदमी चिल्लाया।

नेताजी ने मुस्कुराते हुए अपनी दाढ़ी पर हाथ फ़िराते हुए कहा,"अब मैं ऐसी घोषणा करने जा रहा हूँ जो इस देश के इतिहास में पहली बार होगा"।

सारे श्रोता गण एकाग्र होकर साँस  रोक कर नेताजी की अगली घोषणा का इंतज़ार करने लगे।

"हमारी सरकार एक…

Continue

Added by TEJ VEER SINGH on June 19, 2018 at 1:00pm — 16 Comments

पतझड़ -  लघुकथा –

पतझड़ -  लघुकथा –

केशव ने जैसे ही अपने घर के बाहर लगे पेड़ के नीचे से अपना साईकिल रिक्शा उठाया, उसके पड़ोसी रहमान ने उसका हाथ पकड़ लिया,

"यह क्या कर रहे हो केशव? कल तुम्हारे पिता का देहांत हुआ है और आज तुम रिक्शा लेकर काम पर चल दिये"?

"भाई, मेरे रिक्शा ना चलाने से जाने वाला  तो वापस नहीं आयेगा। लेकिन भूख प्यास से मेरे बच्चे भी मेरे पिता की तरह मुरझा जायेंगे"|

" हम लोग क्या मर गये हैं? इतने बेगैरत नहीं कि दो चार दिन अपने पड़ोसी के बच्चों को खाना भी ना दे…

Continue

Added by TEJ VEER SINGH on June 14, 2018 at 7:08pm — 18 Comments

बिजली – लघुकथा -

 बिजली – लघुकथा -

"गुड्डो बेटा, क्यों इस लालटेन की रोशनी में आँखें फ़ोड़ रही है। थोड़ा इंतज़ार करले, बिजली का"।

गुड्डो के कुछ बोलने से पहले ही उसकी माँ बोल पड़ी," तुम्हारी बिजली ना आज आयेगी ना कल। छोरी को लालटेन से ही पढ़ने दो"।

"अरे भाग्यवान, मैं तो इसके भले की बात कर रहा हूँ। लड़की जात है। चश्मा लग गया तो शादी में भी अड़चन पड़ेगी"।

"कुछ ना होता।बबली इसी लालटेन से पढ़कर डाक्टर बन गयी और आँखें भी सही सलामत हैं।इस बिजली के भरोसे कब तक बैठे रहो"।

"आज पंचायत में विधायक…

Continue

Added by TEJ VEER SINGH on June 9, 2018 at 10:33pm — 14 Comments

जूठन - लघुकथा –

जूठन - लघुकथा –

 रघुबीर लगभग चालीस का होने जा रहा था  पर अभी तक कुँआरा था। इकलौता बेटा था इसलिये माँ को शादी की बहुत चिंता रहती थी। बाप दो साल पहले मर चुका था| माँ अपने स्तर पर बहुत कोशिश कर चुकी थी लेकिन बेटे की छोटी सी नौकरी के कारण बात नहीं बनती थी।

उसकी पड़ोसन ने बताया कि आज अपनी जाति वालों का सामूहिक विवाह सम्मेलन हो रहा है, अतः बेटे को बुला लो,शायद बात बन जाये।

माँ बेटा समय पर तैयार होकर सम्मेलन में शामिल हो गये। रघुबीर देखने में गोरा चिट्टा स्मार्ट बंदा था। इसलिये…

Continue

Added by TEJ VEER SINGH on June 5, 2018 at 11:33am — 22 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Nov 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Nov 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Nov 17
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Nov 17

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service