रघुनाथ ट्यूर से लौटा तो पिताजी दिखाई नहीं दिये। वे बरामदे में ही बैठे अखबार पढ़ते रहते थे। उनके कमरे में भी नहीं थे।रघुनाथ का नियम था कि वह कहीं से आता था तो पिता के चरण स्पर्श करता था।
"शीला, पिताजी नहीं दिख रहे। कहीं गये हैं क्या?"
"मुझे कौनसा बता कर जाते हैं? तुम हाथ मुंह धोलो। चाय पकोड़े लाती हूँ।" शीला के लहजे से रघुनाथ को कुछ शंका हुई।
इतने में उसका सात वर्षीय बेटा बिल्लू भी आगया।
"बिल्लू, बाबा तुम्हारे साथ गये थे क्या?"
"बाबा तो गाँव वापस चले…
ContinueAdded by TEJ VEER SINGH on June 26, 2020 at 9:00am — 6 Comments
सुलेखा दौड़ती हांफ़ती घर में घुसी।
"क्या हुआ बिटिया? क्यों ऐसे हांफ़ रही हो?"
"कुछ नहीं पापा। एक कुत्ता पीछे लग गया था।"
"तो इसमें इतने परेशान होने की क्या बात है? तुम तो मेरी बहादुर बेटी हो।"
"पापा आप नहीं समझोगे।ये दो पैर वाले कुत्ते बहुत गंदी फ़ितरत वाले होते हैं।"
"दो पैर वाले कुत्ते? तुम ये क्या ऊल जलूल बोल रही हो।"
तभी सुलेखा का भाई सूरज हाथ में हॉकी लेकर बाहर की ओर लपका,"अरे बेटा सूरज इतनी रात को यह हॉकी लेकर.......?"
"पापा मैं उस कुत्ते को…
ContinueAdded by TEJ VEER SINGH on June 22, 2020 at 8:00pm — 4 Comments
खंडित नसीब - लघुकथा -
बिंदू का तीन साल का इकलौता बेटा नंदू सुबह से चॉकबार आइसक्रीम खाने की रट लगाये हुए था। पता नहीं किसको देख लिया था चॉकबार आइसक्रीम खाते। इंदू के पास पैसे नहीं थे इसलिये वह बार बार उसे आइसक्रीम खाने के नुकसान समझा रही थी। लेकिन बिना बाप का बच्चा जिद्दी हो चला था। किसी भी तरह बहल नहीं रहा था।
इंदू को बाबू लोगों के घर झाड़ू पोंछा बर्तन का काम करने जाना था लेकिन नंदू उसे जाने नहीं दे रहा था ।
इंदू कुछ समझ नहीं पा रही थी कि क्या करे।फिर उसे याद आया कि…
ContinueAdded by TEJ VEER SINGH on June 13, 2020 at 6:30pm — 4 Comments
अपराध बोध - लघुकथा -
"सपना, यह क्या कर करने जा रही थी?"
रश्मि ने सपना के कमरे का जो द्दृश्य देखा तो चकित हो गयी। सपना पंखे में फंदा डाल कर स्टूल पर चढ़ी हुई थी।रश्मि अगर चंद पल देर से पहुंचती तो अनर्थ हो जाता। रश्मि ने झपट कर सपना को सहारा देकर नीचे उतारा।सपना रोये जा रही थी।
"सपना मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा कि तुम जैसी शिक्षित, सुशील और शांत लड़की ऐसा अविवेक पूर्ण कदम भी उठा सकती है।"
रश्मि ने उसे पानी दिया और उसे गले लगा कर ढांढस बधाने की चेष्टा की।सपना के…
ContinueAdded by TEJ VEER SINGH on June 5, 2020 at 12:29pm — 8 Comments
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |