For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Dr. Vijai Shanker's Blog – June 2015 Archive (6)

ऊंचे चमकदार आदर्श -- डॉo विजय शंकर

ऊंचे आदर्श ,

बहुत ऊंचे , पहुँच से ऊपर ,

झाड़फानूस की तरफ ,

रौशन भी होते हैं , चमक के साथ ,

बिजली आती रहे तब ,

और हैं भी केवल उन घरों में

जो इतने बड़े हैं कि

झाड़फानूस लगवा सके।

पर वे भी बस उसकी चमक से

उपकृत , चमत्कृत होते रहते हैं ,

अधिकांशतः किसी के आने पर

उसे रौशन करते हैं , दिखाने के लिए।

सामान्यतः तो आदमी मामूली चप्पलों में ही

चलता है , उसका जीवन तो उन्हीं में बीतता हैं ।

उनमें से बहुतों ने तो झाड़फानूस देखे भी नहीं हैं… Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on June 23, 2015 at 1:20pm — 8 Comments

बुराई बुराइयै का काट डालत है -- डॉo विजय शंकर

- चच्चा , ई का वखत आय गयो , बेईमान बेईमानै की शिकायत कर रहा है , कहत है कि इका सजा देयो । चोरै चोर का पकड़ावाय देही का ?

हम तो यही जाने रहे कि सबै मौसेरे भाई होत हैं।

- अब का कींन जाए , जब सब भले मनई मुह बांधे बैठे रहिये , सबै बुराईयन पे आँखें मूंदें रहिये , कान बंद किये रहिये तब और का होई, यही होई , बुराइयै बुराई का मार डाली , चोरै चोर का पकड़वाए देई। …………बुराई फलत नाइ है बचवा, ज्यादा दिन चलत नाई है, नाही तो दूनियाँ तो कब्बै खत्म हुई गई होत.

अच्छाई अच्छाई का कब्बो…

Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on June 18, 2015 at 3:32pm — 4 Comments

सोशल-सिक्योरिटी -- डॉo विजय शंकर

  

  बच्चा करीब छह महीने का हुआ था ,लेटे - लेटे इधर उधर देखता और रोने लगता।  माँ - बाप उसे बहलाने की कोशिश करते पर वह चुप नहीं होता।  परेशान माँ - बाप उसे डॉक्टर के पास ले गए।  डॉक्टर ने उसे देखा और कहा, बच्चा बिलकुल ठीक है , इसे स्वास्थ्य सम्बन्धी कोई समस्या नहीं है।  पर बच्चा था कि शांत ही नहीं होता , जो खिलौना दिया जाता उसे फेंक देता, गुस्सा दिखाता और रोने रोने को हो जाता। 



   परेशान माँ - बाप उसे मनोवैज्ञानिक के पास ले गये. उसने परीक्षण किया, कहा बच्चा बिलकुल…

Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on June 15, 2015 at 1:41pm — 22 Comments

क्षणिकाएँ --6 -डॉo विजय शकर

इतने कांटे
कि उनसे बचते-बचते
गुलाब क्या
हर फूल से हम
दूर हो गए .......... 1.

पेड़ कहीं जाते नहीं
फल पक जाएँ
तो रुक पाते नहीं....... 2 .

तुम क्या गये
मेरी तन्हाई
भी ले गये .......…… 3.

और यह भी , यूँ ही,

उनका लिखा शेर खूब चला, खूब चला, खूब चला,
चलना ही था , ट्रक के पीछे जो लिखा था ॥

मौलिक एवं अप्रकाशित

Added by Dr. Vijai Shanker on June 9, 2015 at 9:30pm — 23 Comments

पहचान - डॉo विजय शंकर

  हीरा - क्या ज़माना आ गया , लोगों को बताना पड़ता है , मैं हीरा हूँ , हीरा। बड़ा महंगा होता ही हीरा।

          मेरी चमक दूर दूर तक जाती है. कभी राज के राज तबाह हो जाते थे हमारे लिए.

          एक नज़र हमें देख कर लोग अपने नसीब को सराहते थे।

         रानी - राजकुमारियों को हमारे हार ही सुहाते थे।

         ( आह भर कर ) अब तो जैसे कोई हमें चाहता ही नहीं। पहचानता भी नहीं.    

   कोयला - हाँ भाई , बात तो सही है, पर मेरे भाई , वक़्त वक़्त की बात होती है,…

Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on June 5, 2015 at 7:30pm — 18 Comments

जागरूकता -- डॉo विजय शंकर

वह ऑटो से उतरा, पैसे दिए और जल्दी से पीछे हट गया ,उसे डर था कि अभी ऑटो खूब ढेर सा धुंआ उसके सामने उगल कर चला जाएगा , पर ऐसा हुआ नहीं , ऑटो लहरा कर निकल गया, उसने गौर से देखा ऑटो सी एन जी वाला था। चारों तरफ फैले धुएं धुएं से उसे घुटन सी हो रही थी. जेब से कार्ड निकाल कर उसने पास खड़े कुछ एडजूकेटेड लोगों की और बढ़ कर पता पूछा , उन्होंने बड़ी शालीनता से उसी समझाया, वो जो ऊपर पांच चिमनियां देख रहें हैं , वो जिनसे काला काला धुअाँ निकल रहा है, हाँ, वही. उसने सर उठा कर देखा दूर दूर तक आसमान स्लेटी…

Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on June 3, 2015 at 3:00pm — 20 Comments

Monthly Archives

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
22 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Monday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Sunday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service