Added by Dr. Vijai Shanker on June 23, 2015 at 1:20pm — 8 Comments
- चच्चा , ई का वखत आय गयो , बेईमान बेईमानै की शिकायत कर रहा है , कहत है कि इका सजा देयो । चोरै चोर का पकड़ावाय देही का ?
हम तो यही जाने रहे कि सबै मौसेरे भाई होत हैं।
- अब का कींन जाए , जब सब भले मनई मुह बांधे बैठे रहिये , सबै बुराईयन पे आँखें मूंदें रहिये , कान बंद किये रहिये तब और का होई, यही होई , बुराइयै बुराई का मार डाली , चोरै चोर का पकड़वाए देई। …………बुराई फलत नाइ है बचवा, ज्यादा दिन चलत नाई है, नाही तो दूनियाँ तो कब्बै खत्म हुई गई होत.
अच्छाई अच्छाई का कब्बो…
Added by Dr. Vijai Shanker on June 18, 2015 at 3:32pm — 4 Comments
बच्चा करीब छह महीने का हुआ था ,लेटे - लेटे इधर उधर देखता और रोने लगता। माँ - बाप उसे बहलाने की कोशिश करते पर वह चुप नहीं होता। परेशान माँ - बाप उसे डॉक्टर के पास ले गए। डॉक्टर ने उसे देखा और कहा, बच्चा बिलकुल ठीक है , इसे स्वास्थ्य सम्बन्धी कोई समस्या नहीं है। पर बच्चा था कि शांत ही नहीं होता , जो खिलौना दिया जाता उसे फेंक देता, गुस्सा दिखाता और रोने रोने को हो जाता।
परेशान माँ - बाप उसे मनोवैज्ञानिक के पास ले गये. उसने परीक्षण किया, कहा बच्चा बिलकुल…
Added by Dr. Vijai Shanker on June 15, 2015 at 1:41pm — 22 Comments
इतने कांटे
कि उनसे बचते-बचते
गुलाब क्या
हर फूल से हम
दूर हो गए .......... 1.
पेड़ कहीं जाते नहीं
फल पक जाएँ
तो रुक पाते नहीं....... 2 .
तुम क्या गये
मेरी तन्हाई
भी ले गये .......…… 3.
और यह भी , यूँ ही,
उनका लिखा शेर खूब चला, खूब चला, खूब चला,
चलना ही था , ट्रक के पीछे जो लिखा था ॥
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Dr. Vijai Shanker on June 9, 2015 at 9:30pm — 23 Comments
हीरा - क्या ज़माना आ गया , लोगों को बताना पड़ता है , मैं हीरा हूँ , हीरा। बड़ा महंगा होता ही हीरा।
मेरी चमक दूर दूर तक जाती है. कभी राज के राज तबाह हो जाते थे हमारे लिए.
एक नज़र हमें देख कर लोग अपने नसीब को सराहते थे।
रानी - राजकुमारियों को हमारे हार ही सुहाते थे।
( आह भर कर ) अब तो जैसे कोई हमें चाहता ही नहीं। पहचानता भी नहीं.
कोयला - हाँ भाई , बात तो सही है, पर मेरे भाई , वक़्त वक़्त की बात होती है,…
ContinueAdded by Dr. Vijai Shanker on June 5, 2015 at 7:30pm — 18 Comments
वह ऑटो से उतरा, पैसे दिए और जल्दी से पीछे हट गया ,उसे डर था कि अभी ऑटो खूब ढेर सा धुंआ उसके सामने उगल कर चला जाएगा , पर ऐसा हुआ नहीं , ऑटो लहरा कर निकल गया, उसने गौर से देखा ऑटो सी एन जी वाला था। चारों तरफ फैले धुएं धुएं से उसे घुटन सी हो रही थी. जेब से कार्ड निकाल कर उसने पास खड़े कुछ एडजूकेटेड लोगों की और बढ़ कर पता पूछा , उन्होंने बड़ी शालीनता से उसी समझाया, वो जो ऊपर पांच चिमनियां देख रहें हैं , वो जिनसे काला काला धुअाँ निकल रहा है, हाँ, वही. उसने सर उठा कर देखा दूर दूर तक आसमान स्लेटी…
ContinueAdded by Dr. Vijai Shanker on June 3, 2015 at 3:00pm — 20 Comments
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