For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Vijay nikore's Blog – June 2018 Archive (4)

काल कोठरी

काल कोठरी

निस्तब्धता

अँधेरे का फैलाव

दिशा से दिशा तक काला आकाश

रात भी है मानो ठोस अँधेरे की

एक बहुत बड़ी कोठरी

सोचता हूँ तुम भी कहीं …

Continue

Added by vijay nikore on June 24, 2018 at 1:22am — 37 Comments

परदेशी-बाबू

थाहों में टटोलती कुछ, कहती थी 

जाकर वहाँ फूलों की सुगन्ध में

नकली-कागज़ी मुस्कानों की उमंग में

क्या याद भी करोगे मुझको

बताओ  न 

स्मरण में सहज दोड़ती आऊँगी क्या ?

या, जाते ही वहाँ बन जाओगे वहाँ के

पराय-से अजीब अस्पष्ट परदेशी-बाबू तुम

नई मुख-आकृतियों के बीच देखोगे भी क्या

मुढ़कर, मद्धम हो रही इस पुरानी पहचान को

या सरका दोगे इसे स्मृतिपटल से

तुम मात्र मिथ्या कहला कर इसे

माना कि टूटा है हमारा वह…

Continue

Added by vijay nikore on June 18, 2018 at 9:00pm — 8 Comments

ताहिर तामीर

रोशनी का कोई  सुराख़ न सही

बेरुखी ही प्यार का अंदाज़ सही

कोई गिला नहीं कोई शिकवा नहीं

यह माना कि जिगर में तुम्हारे

कोई तीखी  ख़राश है आज

तल्खी  है, कसक  है  बहुत

है  कशमकश  भी  बेशुमार

इस  पर  भी  परीशां  न  हो

खालीपन  को  तुम

बहरहाल  खाली  न  समझो

आएँगे लम्हें जब कलम से तुम्हारी                        

अश्कों  के  मोती  गिर-गिर  कर

किसी गज़ल के अश’आर बनेंगे

तब  तरन्नुम  से  पढ़ना  उनको

लाज़िमी है…

Continue

Added by vijay nikore on June 12, 2018 at 1:30am — 20 Comments

अकुलायी थाहें

अकुलायी थाहें

कटी-पिटी काली-स्याह आधी रात

पिघल रहा है मोमबती से मोम

काँपती लौ-सा अकुलाता

कमरे में कैद प्रकाश

आँखों में चिन्ता की छाया

ऐसे में समाए हैं मुझमें

हमारे कितने सूर्योदय

कितने ही सूर्यास्त

और उनमें मेरे प्रति

आत्मीयता की उष्मा में

आँसुओं से डबडबाई तेरी आँखें

तैर-तैर आती है रुँधे हुए विवरों में

तेरी-मेरी-अपनी वह आख़री शाम

पास होते हुए भी मुख पर…

Continue

Added by vijay nikore on June 10, 2018 at 12:13pm — 18 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
15 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई रवि जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई रवि जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन।बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई दिनेश जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई दिनेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service