For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Featured Blog Posts – July 2014 Archive (5)

घोड़े नहीं रहे --डा० विजय शंकर

घोड़े नहीं रहे , घोड़ों का युग नहीं रहा

मेंढ़क हैं , तरह तरह के मेंढ़क,

हरियाली है उनकीं , हरे हरे से मेंढ़क,

उछलते , कूदते , फांदते , मेंढ़क

न अश्व रहे , न अश्वपुत्र , न ही अश्वपति

न लम्बी दौड़ , न ऊंची कूद ,

न रही कहीं वो गति ,

मीटर दो मीटर की दौड़ें हैं ,

फुट दो फुट ऊंची कूदें हैं ,

आस पास तक गूंज ले

बस ऐसी ही आवाजें हैं ।

उम्मीदों के क्या कहने ,

अरमान वही घोड़ों जैसे ,

नाल हो , जीन हो ,

घोड़े वाली कलगी हो ,

ऊंचाई से… Continue

Added by Dr. Vijai Shanker on July 31, 2014 at 9:00am — 24 Comments


सदस्य टीम प्रबंधन
दादी, हामिद और ईद (लघुकथा) // --सौरभ

हामिद अब बड़ा हो गया है. अच्छा कमाता है. ग़ल्फ़ में है न आजकल !

इस बार की ईद में हामिद वहीं से ’फूड-प्रोसेसर’ ले आया है, कुछ और बुढिया गयी अपनी दादी अमीना के लिए !

 

ममता में अघायी पगली की दोनों आँखें रह-रह कर गंगा-जमुना हुई जा रही हैं. बार-बार आशीषों से नवाज़ रही है बुढिया. अमीना को आजभी वो ईद खूब याद है जब हामिद उसके लिए ईदग़ाह के मेले से चिमटा मोल ले आया था. हामिद का वो चिमटा आज भी उसकी ’जान’ है.

".. कितना खयाल रखता है हामिद ! .. अब उसे रसोई के ’बखत’ जियादा जूझना नहीं…

Continue

Added by Saurabh Pandey on July 29, 2014 at 3:00pm — 61 Comments

शाश्वत कोलाज

ऊपर क्या है

सुनील आसमान I

तारक , सविता , हिमांशु

सभी  भासमान I

बीच में क्या है ?

अदृश्य ईथर

कल्पना हमारी I

क्योंकि

ध्वनि और प्रकाश

नहीं चलते  बिना माध्यम के

वैज्ञानिक सोच है सारी I 

नीचे क्या है ?

सर ,सरि, सरिता, समुद्र, जंगल, झरने

उपवन में है पंकज, पाटल ,प्रसून

आते है मिलिंद, मधु-कीट, बर्र

तितलियाँ रंग भरने I 

चारो ओर मैदान, पठार .पर्वत, प्रस्तर

घाटी, गह्वर,…

Continue

Added by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 14, 2014 at 3:30pm — 21 Comments


सदस्य टीम प्रबंधन
गीतिका छंद पर आधारित एक गीत : रे पथिक अविराम चलना..........(डॉ० प्राची)

रे पथिक अविराम चलना पंथ पर तू श्रेय के

बहुगुणित कर कर्मपथ पर तन्तु सद्निर्मेय के

 

मन डिगाते छद्म लोभन जब खड़े हों सामने

दिग्भ्रमित हो चल न देना लोभनों को थामने

दे क्षणिक सुख फाँसते हों भव-भँवर में कर्म जो

मत उलझना! बस समझना! सन्निहित है मर्म जो  

 

तोड़ना मन-आचरण से बंध भंगुर प्रेय के

रे पथिक अविराम चलना पंथ पर तू श्रेय के

 

श्रेष्ठ हो जो मार्ग राही वो सदा ही पथ्य है

हर घड़ी युतिवत निभाना जो मिला…

Continue

Added by Dr.Prachi Singh on July 9, 2014 at 12:26pm — 24 Comments

एक नया बीज फिर अंकुरित होने वाला है

मैंने हिटलर को नहीं देखा

तुम्हें देखा है

तुम भी विस्तारवादी हो

अपनी सत्ता बचाए रखना चाहते हो

किसी भी कीमत पर

 

तुम बहुत अच्छे आदमी हो

नहीं, शायद थे

यह ‘है’ और ‘थे’ बहुत कष्ट देता है मुझे 

अक्सर समझ नहीं पाता

कब ‘है’, ‘थे’ में बदल दिया जाना चाहिए 

 

तुम अच्छे से कब कमतर हो गए

पता नहीं चला

 

एक दिन सुबह 

पेड़ से आम टूटकर नीचे गिरे थे

तुम्हें अच्छा नहीं लगा

पतझड़ में…

Continue

Added by बृजेश नीरज on July 6, 2014 at 1:30pm — 46 Comments

Featured Monthly Archives

2025

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

anwar suhail updated their profile
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Friday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service