Added by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on July 23, 2012 at 9:47pm — 5 Comments
चल चंदा उस ओर,
जहां नहाती प्रिया सुन्दरी थामें आंचल कोर ।
स्वच्छ चांदनी छटा दिखाना,
भूलूं यदि तो राह दिखाना।
विस्मृत हो जाये तन सुध तो,
देना तन झकझोर.........................।
मस्त बसंती हवा बहाना,
उसको प्रिय का पता बताना।
हवा तनिक भूले पथ जो,
कर देना उस ओर........................।
देख निशा गहराती जाती,
बुझती लौ घटती रे बाती।
लौ तनिक तेज करना,
भरना सुखद अजोर....................।
सनी नीर…
Added by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on July 23, 2012 at 8:00pm — 19 Comments
Added by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on July 23, 2012 at 7:44pm — 2 Comments
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