“सुन कमला, सारा काम निपट गया या अभी भी कुछ बाकी है!”
नहीं ‘मेमसाहब’ सब काम पूरा कर दिया है, दाल और सब्जी भी बना के फ्रिज मैं रख दी है, आटा भी गूंथ दिया है, साहब आयेंगे तो आप बना कर दे दीजियेगा !
“अरे बस जरा सा ही काम तो बचा है, कमला,ऐसा कर रोटी भी बना कर हॉट केस मैं रख जा !”
“मेमसाहब मुझे देर हो रही है, घर पर बच्चे भूखे होंगे !”
अरे चल पगली १५ मिनट में मर थोड़ी ही जायेंगे, चल जल्दी से बना दे !
गरीबी चाहे जो न…
ContinueAdded by Hari Prakash Dubey on July 25, 2017 at 2:49am — 5 Comments
दिल्ली में भी
सूरज उगता है
शहादरा में
काले धुएं की, ओट से
धीरे –धीरे संघर्ष करते
ठीक उसी तरह जैसे
माँ के गर्भ से कोई
बच्चा निकलता है
बड़ा होता है
बसों और मेट्रो में
लटक –लटक कर
धक्के खा-खा कर
जीवन जीना सीखता है
पसीने को पीता जाता है
पर थक हार कर भी
जनकपुरी की तरफ बढ़ता जाता है
रक्त से लाल होकर
वहीँ कहीं किसी स्टाप पर
चुपके से उतर जाता है
पर, सूरज का जीवन…
ContinueAdded by Hari Prakash Dubey on July 24, 2017 at 11:10pm — 1 Comment
122--122 / 122--122
मुहब्बत मुहब्बत मुहब्बत लिखेंगे,
अलावा नहीं कुछ हिमाकत लिखेंगे !
नहीं कल्पना ही लिखेंगे यहाँ अब,
लिखेंगे तो बस हम हकीकत लिखेंगे!
लिखेंगे नहीं हम कभी झूठ बातें,
सलामत अगर हैं सलामत लिखेंगे!
मुहब्बत ही करते रहें हैं यहाँ जो ,
ग़ज़ल दर ग़ज़ल हम मुहब्बत लिखेंगे!
ग़ज़ल जब लिखेंगे तुम्हारे लिए तो,
कसम से तुम्हें खूबसूरत लिखेंगे!
इशारा हमें जो किया…
ContinueAdded by Hari Prakash Dubey on July 18, 2017 at 5:11pm — 11 Comments
शानदार फूलों से सुसज्जित मंच पर धर्मगुरु विद्यमान ,साथ ही भजन कीर्तन करने वाली भाड़े पर रखी गयी टीम ,सामने लम्बा पांडाल , अति विशिष्ट भक्तों के लिए आगे सुन्दर सोफों की कतार ,पीछे दरी पर हाथ जोड़ कर बैठे भक्तजन , जगह –जगह एलसीडी ,साउंड सिस्टम , अब प्रवचन शुरू ..........
” आप सब के दुखों का कारण ही यही है की आप लोग तमाम मोह ,माया के बंधन में फसें हुए हैं,किसी को परिवार की चिंता है ,कोई धन के पीछे भाग रहा है ,अरे कुत्ते की तरह जिंदगी बना ली है आप लोगों ने अपनी, अरे मैं तो…
ContinueAdded by Hari Prakash Dubey on July 16, 2017 at 3:00pm — 4 Comments
“डॉक्टर साहब, देखिये ना मेरी फूल सी बिटिया को क्या हो गया है, कुछ दिनों से ये अचानक दौड़ते-भागते हुए गिर जाती है, ठीक से सीढ़ियाँ भी नहीं चढ़ पाती है।“
“अरे आप इतना क्यों घबरा रहें है? लीजिये कुछ टेस्ट लिख दियें हैं, बच्ची की जाँच करवा के मुझे दिखाइये ।“-डॉक्टर ने कहा।
अगले ही दिन बृजमोहन सारी जाँच रिपोर्ट लेकर डॉक्टर मिश्रा के अस्पताल पहुँच गया।
डॉक्टर मिश्रा जैसे –जैसे रिपोर्ट पढ़ते जा रहे थे…
ContinueAdded by Hari Prakash Dubey on July 15, 2017 at 9:30pm — 12 Comments
सर्द रात में कोहरे को चीरती हुईं कई गाड़ियाँ, आपस में बतियाती हुयीं शहरों की झुग्गियों में कुछ ढूँढ रहीं थी तभी अचानक !
“अबे गाड़ी रोक, बॉस का फ़ोन आ रहा है I”
ड्राईवर ने कस कर ब्रेक दबा दिया और धमाके के साथ “जी, साहब , कहते ही आदमी फ़ोन सहित गाडी के बाहर I”
“अबे ! यह धमाका कैसा सुनाई दिया, जिन्दा हो या फ्री में खर्च हो गए ?”
“नहीं जनाब, सब ठीक है, लगभग सब काम हो गया है, सारे छुटभैये नेता खरीद लिए हैं!” “अल्लाह ने चाहा तो…
ContinueAdded by Hari Prakash Dubey on July 11, 2017 at 12:51am — 10 Comments
“खाना लगा दूं ! लेफ्टिनेंट साहब ?”
“अभी नहीं ! रूक जा जरा, बस यह चित्र पूरा ही होने वाला है, तब तक जरा एक पैग बना ला ‘ऑन द रोक्स’ I”
“क्या साब, आज दिन में ही...?”
“हूँ ! ... बेटा, एक काम कर सारे खिड़की दरवाजे बंद कर दे और लाइट्स जला दे I”
थापा ने ठीक वैसा ही किया, पैग बना लाया और बोला, “लीजिये साब, हो गयी रात I”
लेफ्टिनेंट साहब अपनी बैसाखी के सहारे मुस्कराते हुए आगे बढे, गिलास पकड़ लिया और बोले…
ContinueAdded by Hari Prakash Dubey on July 10, 2017 at 10:47pm — 5 Comments
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