पांच दिनों की लगातार बारिश के बाद कल शाम से आसमान साफ़ है और आज सुबह से सूरज खिला है
जॉगर्स पार्क में आज रौनक है I पार्क का योगा हॉल ' हा हा हो हो ' से गूँज रहा है , एक तरफ खुल कर हंसने की और दूसरी तरफ सूर्य नमस्कार की कवायद जारी हैI
बुधवा ने अपनी झुग्गी से बाहर निकल कर आसमान की तरफ देखाऔर चिल्लाया
"अरे अम्मा i सूरज देवता आय गए हैं , परेसान मत हो , आज तो दिहाड़ी मिल ही जाएगी , रासन भी ले आऊँगा और तेरी दवाई भी "
उसका मन किया झुग्गी के बाहर भरे पानी…
ContinueAdded by pratibha pande on July 31, 2015 at 10:00am — 4 Comments
बर्न वार्ड के बाहर भैंसे पर सवार यमराज खड़े थे
" प्रभु क्या सोच रहे हैं ? जल्दी प्राण हरिये और चलिए I आप तो मेरे ऊपर सवार घंटे भर से उस स्त्री को देखे जा रहे हैं,मेरी पीठ की दशा का भी कुछ ध्यान है ?"
"इस पुरुष ने अपनी पत्नी को जलाने का प्रयास किया और स्वयं जल गया I और ये स्त्री ,अपने सारे गहने बेच कर इसका इलाज करवा रही है, देखो कैसे बदहवास बाहर खड़ी रोये जा रही है Iमैं सोच रहा हूँ पुत्र ..............."
"कि इसके प्राण छोड़ दूं .,यही ना प्रभु ?और ये पुरुष ठीक होकर फिर से…
ContinueAdded by pratibha pande on July 28, 2015 at 9:30am — 22 Comments
"रिपोर्ट्स आ गईं बहू ?''
"जी "
"इतना परेशान होने की ज़रुरत नहीं है I चार साल ही तो हुए हैं शादी को I लग कर इलाज करवाना , सब ठीक होगा I नारी की पूर्णता माँ बनने में ही है , ऐसी दकियानूसी बातें मत सोचना I तुम्हे एक मॉर्डन सास मिली है , भाग्यशाली हो तुम "I
"पर मेरी सारी रिपोर्ट्स नॉर्मल है , प्रॉब्लम इनकी रिपोर्ट्स में है "I
"क्या ? इसने भी करवाया था टेस्ट ?"
"हाँ , और मै भी इन्हें ये ही समझा रही थी कि सब ठीक हो जायगा I और ये भी समझाया कि…
ContinueAdded by pratibha pande on July 20, 2015 at 5:30pm — 20 Comments
घर से बाहर जिसे मैं ,
दर दर ढूँढता फिरा
वो बच्चा,
मेरे ही घर में छिपकर
मेरी बौखलाहट पे ,
हँसता रहा I
मै रहा देहरियाँ चूमता ,
मज्जिद बुतखाने की
मेरे दर पे बैठा वो ,
राह तकता रहा
मेरे घर लौट आने की I
ढली शाम , खाली हाथ
अब मैं हूँ लौट आया ,
किया ढूँढने में जिसे
सारा दिन जाया
हाय , घर के अन्दर उसे
मुस्कुराते पाया…
ContinueAdded by pratibha pande on July 14, 2015 at 11:30am — 14 Comments
"मैंने अपना लंच बॉक्स खुद पैक कर लिया है, निकल रहा हूँ मै।"
"आज इतनी जल्दी क्या है निखिल को' रचना सोचने लगी I
उसने बाहर कमरे में आकर समय देखा, दस बज गए थेI आज उसे हर हाल में दो बजे से पहले पोस्ट ऑफिस जाकर अपनी कविता पोस्ट कर देनी है I लगभग एक महीने पहले अपने बेटे को हिंदी कविता पढ़ाते समय उसके दिमाग़ में एक बहुत पुराना दबा हुआ कीड़ा फिर रेंगने लगा थाI कॉलेज के दिनों में वो कविता लिखती थी और तारीफ भी पाती थीI फिर सब छूट गयाI कुछ दिन पहले एक अखबार में उसने कविता भेजने का आमंत्रण पढ़ कर…
Added by pratibha pande on July 12, 2015 at 4:00pm — 7 Comments
अम्मा फ़ैल कर जमीन पर बैठी आवाज़ करके चाय सुड़क रही थी I मैं अपने दोनों बच्चों के चेहरों पर, अम्मा को लेकर चिढ साफ़ देख पा रही थी I
" सविता , तू डब्बा भर के मट्ठियाँ क्यों नहीं बना के रख लेती ,I सुबह शाम पकड़ा दिया कर इनके हाथों में I दिन भर तंग करते हैं ये बना वो बना I"
" माँ , इन्हें पसंद नहीं है मट्ठियाँ I"
" पसंद नहीं हैं ? अरे तुम्हारी मम्मा की बुआ , गर्मी की छुट्टियों में आती थी , दो महीने के लिए अपने…
ContinueAdded by pratibha pande on July 6, 2015 at 6:16pm — 12 Comments
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