यूँ तो सूरज का गर्वित होना वाजिब है
अपनी शान पर ,
क्योंकि अपनी रश्मियाँ फैलाता है ,
वो ज़मीं पर .
करता है रोशनी .
पर यह ज़मीं भी तो सहती है ,
धूप, सर्दी और बरसात सब.
क्यों चुप रहता है सूरज तब .
क्या दिखती नही उसे इस
ज़मीं की सहनशीलता ???
Added by Naval Kishor Soni on August 29, 2012 at 12:10pm — No Comments
झुंझुनू यात्रा के दौरान
घुमाया गया मुझे
तथाकथित "रानी सती" के मंदिर में.
मंदिर में प्रवेश करते ही दरवाजे पर लिखा था ....
"हम सती प्रथा का विरोध करते है"
पर अंदर जाकर जिस तरह श्रदालुओं का दिखा रेला ,
और बाहर भी लगा था भक्तों का मेला ,
मेरे मन में सवाल उठा कि-------
जब दुनिया से गया होगा इस महिला का पति,
तो क्या अपनी इच्छा से हुई होगी यह सती ?
वहां तो कोई जवाब नहीं मिला पर रात को सपने में आई वो महिला .
उसे देखकर पहले तो मैं डरा फिर मेरा…
Added by Naval Kishor Soni on August 28, 2012 at 4:30pm — 2 Comments
बातें करते है "वो" शिक्षा में क्रांति की
कहते है अब जरुरी हो गई है
शिक्षा में क्रांति ?
मैंने पूछा किस तरह की क्रांति चाहते है आप ?
जवाब था आमूलचूल परिवर्तन
पूरी शिक्षा व्यवस्था को बदलना होगा
मैने कहा आप भी शिक्षक है आप कुछ करियें ना ?
वो बोले मेरे अकेले के करने से क्या होगा ?
क्रांति के लिए जरुरत होती है जनता के सैलाब की .
विचार और जज्बे के फैलाव की ----------------------?
मैनें कहा बहुत कुछ हो सकता है.
आप अपनी कक्षा से कर सकते है…
Added by Naval Kishor Soni on August 28, 2012 at 3:00pm — No Comments
जो तुम बोलते हो क्या सिर्फ वही है भाषा ?
मैं जब सोचती हूँ तुम्हें
और खोती हूँ ,
तुम्हारे ख्यालों में ,
सपने सजाती हूँ नयनों में ,
और मुझे बहुत दूर जहाँ
के पार ले जाते है मेरे सपने
वहां जहाँ कोई नही होता मेरे पास
मैं नहीं खोलती अपना मुंह
फिर भी मैं बतयाती हूँ
फूलों से,तितलियों से, बहारों से
और तुमसे .
मेरे अहसास में होते हो तुम ,
बिन बोलें करती…
Added by Naval Kishor Soni on August 24, 2012 at 5:30pm — 8 Comments
यह जो तुम्हारे आस पास
नदियाँ है ना.
इनको कभी देखना मेरी
नज़र से .
यह तुम्हें बिना थके
बिना…
Added by Naval Kishor Soni on August 24, 2012 at 5:30pm — No Comments
क्यों कर जाते है परिस्थितियों से पलायन हम ,
ये परिस्थितियां ही तो सिखाती है हमें जीना
पलायन में कहाँ होती है ,
स्थितियों को बदलने की इच्छा,
फिर क्यों नहीं हम परिस्थितियों का सामना करते रूककर ,
आखिर कहाँ जा सकते है भागकर .
जहाँ जायेंगें वहां की स्थितियां ,
फिर खड़ी होंगी बन कर परिस्थितियां
इनका कोई अंत नही ,
तो बस करो अब भागना
और करो दृढ़ निश्चय
परिस्थितियों से संघर्ष का…
Added by Naval Kishor Soni on August 24, 2012 at 11:00am — 7 Comments
1. सब मिल जुल कर जियो
भाई देखो यह देश और दुनियां तो सबकी हैं .
किसी एक के बाप का हक नही है इस पर .
फिर क्यों झगड़ा करते हैं हम बेवजह ?
जब तक जियो सब मिल जुल कर जियो यार .
तेरा, मेरा, इसका,उसका छोडो यह तकरार .
सब मिल कर रहो आपस में करो प्यार .
क्या रखा हैं हेगडी में एक दिन मर जाओगे यार .
2. सरोकार
तुम्हारे हमारे सरोकार क्या हैं
तुम क्या समझते हो परोपकार क्या है ?
किसी को देना अठन्नी-रुपया
यह परोपकार…
Added by Naval Kishor Soni on August 23, 2012 at 12:30pm — 5 Comments
तुम्हारे हमारे सरोकार क्या हैं
तुम क्या समझते हो
परोपकार क्या है ?
किसी को देना अठन्नी-रुपया
यह परोपकार नहीं है भैया ,
उसे इस काबिल बनाने में करो मदद
कि वो खुद कमाले …
Added by Naval Kishor Soni on August 23, 2012 at 12:19pm — 6 Comments
१.
वह जब आती मन को भाती,
सबके जीवन को हर्षाती ,
कभी कभी देती है तरसा,
क्यों सखा सजनी, ना 'बरसा'.
२.
वो जब आती मैं सो जाता ,
गहरे सपनों में खो जाता ,
उस संग हो जाता 'रिंद'
क्यों सखा सजनी, ना नींद
३.
सुरूर उसका जब छाता है .
रोम रोम सा खिल जाता है.
उसके आगे सब खराब .
क्यों सखा सजनी,ना शराब.
Added by Naval Kishor Soni on August 23, 2012 at 11:00am — 6 Comments
गेंदा ,चंपा, ,चमेली ,
जूही के यह जो फूल हैं
ये सिर्फ महकते ही नहीं ,
ये हमें सिखाते है
जीवन जीना
और अपनी महक बिखेरना
और उस गुलाब को देखो
वो अपने ही काटों से छिदा है
फिर भी मुस्कुराता है हरदम
क्या इन फूलों से सीख़ नहीं
सकते हम जीवन जीने का तरीका ?
Added by Naval Kishor Soni on August 23, 2012 at 10:30am — 3 Comments
चाँद पर रख दिए हमने कदम
विकास कर रहे हैं हर दम
पहुंचे हैं आज यहाँ हम सदियों में.
पर आज भी पूजा जाता है चाँद
मेरे गांव/शहर की गलियों में ,
और चौथ का व्रत रखती हैं महिलाएं
खुश करने को अपने सुहाग को,
बी. एस.सी करती है पढ़ती हैं विज्ञान को,
पर आज भी दूध पिलाती है नागपंचमी पर नाग को.
चाहे जितना कर लो तुम विकास वो अब भी मिथकों पर है मरती .
उनके लिए आज भी शेष नाग पर टिकी है धरती !!!!!
Added by Naval Kishor Soni on August 21, 2012 at 3:00pm — 13 Comments
१. मंहगाई
दिल को देती है तन्हाई,
कभी ना होती उसकी भरपाई !
तुम क्या जानों पीर पराई ,
क्यों सखा सजनी, ना सखा मंहगाई !!
२. नेता
वो जब भी आये बलईयाँ लेता ,
सबके हाल पर चुटकी लेता !
रोज नये आश्वासन देता,
क्यों सखी साजन, ना सखी नेता !!
Added by Naval Kishor Soni on August 21, 2012 at 1:30pm — 12 Comments
सब तरफ हो शांति जले दीप न्याय का !
विरोध करें मिल कर हम सब अन्याय का !
भूखे तो सब जगे मगर भूखा सोयें न कोई !
खुशहाली हो चहूँ ओर खून के आंसू रोयें न कोई !
हर हाथ को काम मिलें बेरोजगार रहे न कोई !
सब को काम का पूरा दाम मिले बेगार सहे न कोई !
सब कोई हमें पुकारे सदैव भारतीय के नाम से
हिन्दू ,सिख,इसाई , मुसलमान कहें न कोई .
Added by Naval Kishor Soni on August 20, 2012 at 11:30am — No Comments
जब भी कोई संविधान की सीमा लांघता है ,
गाँधी-नेहरु का देश जवाब मांगता है !
पूछता है क्यों सत्य का गला रुंध है ?
क्यों न्याय पर छा रही अन्याय की धुंध है ?
क्यों लुटती नारी आज यहाँ ,क्यों पौरुष खाक छानता है ?
जब भी कोई संविधान की सीमा लांघता है ,
गाँधी-नेहरु का देश जवाब मांगता है !
क्यों कन्या भ्रूण हत्याएं होती है ?
क्यों अबलायें रोती है ?
क्यों पग पग पर मौत की घाटी है ?
क्यों सत्य अहिंसा पर मिलती लाठी है ?
लोकतंत्र का प्रहरी क्यों दर दर…
Added by Naval Kishor Soni on August 17, 2012 at 1:30pm — 6 Comments
यह कैसी आज़ादी है , यह कैसी आज़ादी है ?
भ्रष्टाचार और मंहगाई ने सबकी नींद उड़ा दी है ?
कुछ लोग हुए आबाद ,भूखों मरती आबादी है !
यह कैसी आज़ादी है , यह कैसी आज़ादी है ?
संविधान के बाहर जाकर औकात दिखादी है !
संविधान के मूल्यों की बलि आज चढ़ा दी है…
Added by Naval Kishor Soni on August 17, 2012 at 1:00pm — 1 Comment
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