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Tasdiq Ahmed Khan's Blog – August 2016 Archive (2)

ग़ज़ल ( क़लम तक न पहुंचे )

ग़ज़ल ( क़लम तक न पहुंचे )

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१२२ --१२२ --१२२ --१२२

वो पहुंचे मगर चश्मे नम तक न पहुंचे ।

हंसी में छुपे मेरे गम तक न पहुंचे ।

इनायत है उनकी मगर खौफ भी है

कहीं  सिलसिला यह सितम तक न पहुंचे ।

कई बार उनसे हुई बात लेकिन

मेरे जज़्बए दिल सनम तक न पहुंचे ।

यही रहबरों चाहती है रियाया

सियासत कभी भी धरम  तक न पहुंचे ।

तसव्वुर नहीं बंदिशें हैं मिलन…

Continue

Added by Tasdiq Ahmed Khan on August 21, 2016 at 5:33pm — 10 Comments

ग़ज़ल ( जश्ने आज़ादी )

ग़ज़ल ( जश्ने आज़ादी )

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शिकवे गिले भुलाकर उल्फत को हम बढ़ाएं ।

मिल जुल के आओ जश्ने आज़ादी हम मनाएं ।

तोड़ें न मंदिरों को मस्जिद नहीं गिराएं ।

माहौल एकता का हम देश में बनायें ।

क़ुर्बानियों से जिनकी आज़ाद हम हुए हैं

हम उनके हक़ में आओ दस्ते दुआ उठायें ।

उल्फत से हम रहेंगे झगड़ा नहीं करेंगे

क़ौमी निशाँ के नीचे आओ क़सम ये खाएं।

गैरों ने जिस अदा से अपने वतन को लूटा

अपनों को भा गयी हैं शायद वही अदाएं ।

बस…

Continue

Added by Tasdiq Ahmed Khan on August 15, 2016 at 1:47pm — 12 Comments

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