कब तलक लोगों को लूटते जाओगे ,
वो दिन कब आएगा जब पछताओगे !
जिनकी दुआओं से राजा बन बैठे हो ,
उनकी ही नज़र से एक दिन गिर जाओगे !
मंदिर मज़्जिद के नाम पे खूब लूटा ,
एक दिन वहां भी दरवाज़ा बंद पाओगे !
रूह भी छोड़ देगी इस गंदे जिस्म को ,
फिर इस जिस्म को लेकर कहाँ जाओगे!
सिकंदर भी ना ले जा पाया जहाँ से
खाली हाँथ आये थे खाली हाँथ जाओगे !!
राम शिरोमणि पाठक"दीपक "
मौलिक व्…
Added by ram shiromani pathak on August 20, 2013 at 5:03pm — 10 Comments
पावन पर्व
पवित्र धागे संग
प्रेम से भरा
भाई बहन
बाटें प्यार ही प्यार
रक्षाबंधन
रेशमी डोर
भाई की कलाई में
गुँथा है प्यार
कच्चे धागों में
झोली भर खुशियाँ
नेह बौछार
पवित्र रिश्ता
पावन गंगा जल
कभी न टूटे
राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक व् अप्रकाशित
Added by ram shiromani pathak on August 20, 2013 at 1:01pm — 19 Comments
अधरों का कम्पन
पुष्प से कोमल कपोल
मनमोहक मादक अदा
मद मस्त अगड़ाई
गीले बालों का झरना
तिरछी मदभरी पलके
केश रूपी लतिका की
ओट से निहारना
हाय !उनका अनछुआ स्पर्श
अंग अंग से टपकती कामुकता
प्रेम की बहती शीतल बयार
नसों का रुधिर वेग बेकाबू
आलिंगन को मै बेकल
वातावरण जैसे
अदभुत जादुई ग्रह हो
पुर्णतः पाषाण शिला सा मैंने
निःशब्द प्रेम का आह्वान किया
राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक /अप्रकाशित
Added by ram shiromani pathak on August 6, 2013 at 7:00pm — 10 Comments
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