रखना ख़याल शह्र का मौसम बदल न जाय
जुल्मत कहीं चराग़ की लौ को निगल न जाय
आमादा तो है नस्लकुशी पर अमीरे शह्र
डरता भी है कि उसका पसीना उबल न जाय
अजदाद से मिला जो…
ContinueAdded by Sushil Thakur on August 31, 2013 at 9:39am — 16 Comments
वो जिसको मालोज़र पैसा बहुत है
हक़ीक़त में वही रोता बहुत है
यक़ी करना ज़रा मुश्किल है तुझपे
तेरा तर्ज़े अदा मीठा बहुत है
वो पहली आरी की ज़द में रहेगा
शजर जो बाग़ में सीधा बहुत है
उसे तो साफगोई की है आदत
बगरना आदमी अच्छा बहुत है
वो कहता है "तुम्हें हम देख लेंगे"
हमारे पास भी रस्ता बहुत है
कभी तू ने हमें अपना कहा था
हमारे वास्ते इतना बहुत है
"मौलिक व…
ContinueAdded by Sushil Thakur on August 29, 2013 at 7:30pm — 12 Comments
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