सीखे सबक़ हयात से भूला नहीं कोई
जीती हैं बाज़ियाँ सभी हारा नहीं कोई
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कैसे भटक सके है भला शाख शाख पर
दिल आपका हुज़ूर परिंदा नहीं कोई
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फ़रज़न्द की वजह से परेशान कोई है
कुछ हैं हताश इसलिए बच्चा नहीं कोई
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इक बार हो गया है तो आसाँ न छोड़ना
ये इश्क़ दोस्त खेल तमाशा नहीं कोई
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दरिया में जब उतर गया तो सीख तैरना
इसके सिवाय और है रस्ता नहीं कोई
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दुनिया में हुस्न देखिये बिखरा पड़ा बहुत
फिर भी सिवाय आपके जँचता नहीं कोई…
Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on August 29, 2019 at 1:30am — 4 Comments
एक विरह गीत
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रस्सा-कशी खेल था जीवन
एक तरफ का रस्सा छोड़ा |
इतनी भी क्या जल्दी थी जो
मीत अचानक नाता तोड़ा |
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जीवन नदिया अपनी धुन में
अठखेली करती बहती थी |
और खुशी भी इस आँगन में
अपनी मर्जी से रहती थी |
सब कुछ अपने काबू में था
कैसे रहना क्या करना है,
हाँ थोड़े से दुख के झटके
कभी ज़िंदगी भी सहती थी |
लेकिन तुम थे साथ हमेशा
हँस हँस कर सह ली हर…
Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on August 25, 2019 at 1:30pm — 6 Comments
एक गीत प्रीत का
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क्यों चिंता की लहरें मुख पर आखिर क्या है बात प्रिये ?
पलकों के कोरों पर ठहरी क्यों कर है बरसात प्रिये ?
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शुष्क अधर क्यों बाल बिखर कर अलसाये हैं शानों पर ?
काजल क्रोधित होकर पिघला जा पहुँचा है कानों पर |
मीत कपोलों पर जो रहती वह गायब है अरुणाई |
ऐसा लगता है ज्यों खो दी चंद पलों में तरुणाई…
Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on August 20, 2019 at 9:00am — 4 Comments
किसी के प्यार की ख़ातिर हमारा दिल तरसे
घटा-ए-इश्क़ तो छाई न जाने कब बरसे
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न तीर दिल पे चला यार ज़ख़्म गर देना
कि इस पे ज़ख़्म हुआ करते जब गुल-ए-तर से
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क़दम बढ़ाना भी मुश्किल है जानिब-ए-मंज़िल
मिला फ़रेब हमें इस क़दर है रहबर से
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करेगा चूर अगर ज़ुल्म की हदें टूटें
उमीद और है क्या आईने को पत्थर से
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ख़ुदाया देख ज़रा भी किसी को, दर्द नहीं
किसी के दर्द बड़े हो गए समंदर से
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लकीरें हाथों की जिसने बनाई मेहनत से
उसे…
Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on August 18, 2019 at 1:00am — 2 Comments
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