Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on August 31, 2020 at 7:00pm — 6 Comments
Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on August 30, 2020 at 4:00pm — 8 Comments
( 1222 1222 1222 1222 )
मुहब्बत की ज़मीँ देकर यक़ीं का आसमाँ दे दो
रहोगे सिर्फ़ मेरे तुम मुझे बस यह ज़बाँ दे दो
न रक्खो चीज़ कोई तुम तअल्लुक़ जिसका ग़म से है
तुम्हारी सिसकियाँ आहें कराहें और फुगाँ दे दो
परख लें एक दूजे को किसी कोने में रह लूंगा
मुझे कुछ दिन किराये पर सनम दिल का मकाँ दे दो
मुहब्बत में नफ़'अ-नुक़्सान की परवाह किसको है
चलो रक्खो तुम्हीं सब फ़ायदा मुझको ज़ियाँ दे दो
मेरे जज़्बात की कुछ क़द्र करना सीख लो हमदम
मेरी परवाज़-ए-उल्फ़त को खुला तुम…
Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on August 28, 2020 at 5:30pm — 7 Comments
एक ग़ैर मुरद्दफ़ ग़ज़ल
(2122 2122 2122 212 )
वक़्त ने हमसे मुसल्सल इस तरह की रंजिशें
ख़ुदक़ुशी को हो गईं मज़बूर अपनी ख़्वाहिशें
अजनबी जो भी मिले सारे मुहब्बत से मिले
और की हैं ख़ास अपनों ने हमेशा साज़िशें
क्या ख़ुदा नाराज़ है कुछ आदमी से इन दिनों
गर्मियोँ के बाद आईं थोक में हैं बारिशें
क्यों नुज़ूमी को दिखाता हाथ है तू बार बार
क्या लकीरें हाथ की रोकेंगीं तेरी…
Added by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on August 4, 2020 at 9:30pm — 6 Comments
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