बचपन की यादों का अटूट बंधन
बिना लेनदेन के चलने वाला
खूबसूरत रिश्तों का अद्वितीय बंधन
एक ढर्रे पर चलने वाली जिंदगी में
नई-नई सोच से रूबरू करवाया
अर्थहीन जीवन को अर्थ पूर्ण बनाया
जीने का एक…
ContinueAdded by babitagupta on August 27, 2018 at 8:00pm — 4 Comments
दरवाजे की घंटी सुन, दरवाजा मेड शीला ने खोला तो अपरिचित समझ मुझे आवाज लगाने पर मैं देखने गई तो सामने सलिल भैया और शालिनी भाभी को देख हतप्रद रह गई.मुझे इस तरह देख,भैया कहने लगे- 'भूल गई क्या ?मैं तुम्हारा भाई .......
मैं अपने को संभालते हुए ,उन्हें इशारे से अंदर आने को कह,कहने लगी- 'अरे नहीं भैया,आपको अचानक इतने सालो बाद देखा ....बस और कुछ नहीं।'
भाभी मेरी मनोस्थिति समझ भैया को डाटने वाले लहजे में कहा - 'अब ,उसे झिलाना छोडो'।और मुझे रसोई में ले जाकर खाना बनाने में हाथ बटाँने…
ContinueAdded by babitagupta on August 26, 2018 at 9:42pm — 8 Comments
रामू की माँ तो अपने पति के शव पर पछाड़ खाकर गिरी जा रही थी.रामू कभी अपने छोटे भाई बहिन को संभाल रहा था ,तो कभी अपनी माँ को.अचानक पिता के चले जाने से उसके कंधों पर जिम्मेदारियों का बोझ आ पड़ा था.
पढ़ाई छोड़,घर में चूल्हा जलाने के वास्ते रामू काम की तलाश में सड़को की छान मारता।अंततःउसने घर-घर जाकर रद्दी बेचने का काम पकड़ लिया।रद्दी में मिलती किताबों को देख उसके अंदर का किताबी कीड़ा जाग उठा.किताबे बचाकर,बाकी रद्दी बेच देता।और रात में लालटेन में अपने पढ़ने की भूख को तृप्त करता।
समय बीतता…
ContinueAdded by babitagupta on August 1, 2018 at 7:00pm — 4 Comments
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