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Rahul Dangi Panchal's Blog – August 2015 Archive (2)

ग़ज़ल-पता अपना बता दे तू मुझे ऐ आसमाँ वाले।

१२२२ १२२२ १२२२ १२२२

मेरी तकदीर में लिख दे उसे ऐ आसमाँ वाले।

सिवा उसके मुझे कुछ भी न दे ऐ आसमाँ वाले।



मुझे उस शख़्स के दिल में बसा दे सिर्फ चाहे तू।

नसीबों के सभी सुख छीन ले ऐ आसमाँ वाले।



बिना तुझसे मिले समझा नहीं सकता तुझे अब मैं।

पता अपना बता दे तू मुझे ऐ आसमाँ वाले।



मुहब्बत के सफर में अब मुहब्बत के परिन्दें हो।

मिटा दे नफरतों के काफिले ऐ आसमाँ वाले।



न बस्ती में न जंगल में न सहरा में न उपवन में।

ये दिल मेरा न सावन में… Continue

Added by Rahul Dangi Panchal on August 31, 2015 at 3:16pm — 8 Comments

ग़ज़ल-इन्हीं दो घरों की जवानी रही।

१२२ १२२ १२२ १२

तमाम उम्र जैसे दिवानी रही।
परेशान सी जिन्दगानी रही।।

ये' किस्मत है' मेरी मिलो इससे' तुम।
ये' गम की सदा राजधानी रही।।

कभी बेबसी तो कभी बेकली।
इन्हीं दो घरों की जवानी रही।।

गिरा फिर उठा फिर सदा गिर गया।
दुखी जिन्दगी की कहानी रही।।

सभी दासियाँ थी जिगर में सनम।
फकत आपकी याद रानी रही।।

ये' माना कि 'राहुल' अभी कुछ नहीं ।
मगर बात उसकी सयानी रही।।

मौलिक व अप्रकाशित ।

Added by Rahul Dangi Panchal on August 1, 2015 at 6:00pm — 9 Comments

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