Added by रामबली गुप्ता on September 25, 2017 at 5:00am — 49 Comments
*जीवन
उलझन ।
* सूने
आँगन ।
* घर-घर
अनबन ।
* उजड़े
गुलशन ।
* खोया
बचपन ।
*भटका
यौवन ।
* झूठे
अनशन ।
* ख़ाली
बरतन ।
* सहमी
धड़कन ।
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मौलिक और अप्रकाशित ।
Added by Mohammed Arif on September 23, 2017 at 11:30pm — 66 Comments
22/ 22/ 22/ 22/ 22/ 22/ 22/ 2
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जैसे धुल कर आईना फ़िर चमकीला हो जाता है,
रो लेता हूँ, रो लेने से मन हल्का हो जाता है.
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मुश्किल से इक सोच बराबर की दूरी है दोनों में,
लेकिन ख़ुद से मिले हुए को इक अरसा हो जाता है.
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फोकस पास का हो तो मंज़र दूर का साफ़ नहीं रहता,
मंजिल दुनिया रहती है तो रब धुँधला हो जाता है.
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मन्दिर मस्जिद गुरुद्वारे में कोई काम नहीं मेरा
अना कुचल लेता हूँ अपनी तो सजदा हो जाता…
Added by Nilesh Shevgaonkar on September 16, 2017 at 2:30pm — 55 Comments
भाषा बड़ी है प्यारी जग में अनोखी हिन्दी,
चन्दा के जैसे सोहे नभ में निराली हिन्दी।
पहचान हमको देती सबसे अलग ये जग में,
मीठी जगत में सबसे रस की पिटारी हिन्दी।
हर श्वास में ये बसती हर आह से ये निकले,
बन के लहू ये बहती रग में ये प्यारी हिन्दी।
इस देश में है भाषा मजहब अनेकों प्रचलित,
धुन एकता की डाले सब में सुहानी हिन्दी।
शोभा हमारी इससे करते 'नमन' हम इसको,
सबसे रहे ये ऊँची मन में हमारी हिन्दी।
आज हिन्दी दिवस…
Added by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on September 14, 2017 at 11:30am — 65 Comments
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