२१२२/११२२/२२
झूठ अब सामने लाया जाये
आइना सबको दिखाया जाये
तीरगी है तो उदासी कैसी
दीप फ़ौरन ही जलाया जाये
आज दिल में है बड़ी बेचैनी
साक़िया भर के पिलाया जाये
लाडली वो भी किसी मा की है
फिर बहू को न सताया जाये
तोड़ डाला जो खिलौना उसने
उसको इतना न रुलाया जाये
बात गर करनी मोहब्बत की तो
दिल से नफरत को मिटाया…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on September 23, 2013 at 5:30pm — 25 Comments
मुझको दीवाना बना देंगे ये तेरे जल्वे
आग सी दिल में लगा देंगे ये तेरे जल्वे
नींद में डूबा हुआ जाने हुआ मेरा दिल
उसको लगता है जगा देंगे ये तेरे जल्वे
जैसे परवाना जले कोई शमा जलते ही
बैसे ही मुझ को जला देंगे ये तेरे जल्वे
हमने इस दिल को बचाया था बड़ी मुश्किल से
दिल को अब लगता मिटा देंगे ये तेरे जल्वे
क्या तेरे दिल में…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on September 20, 2013 at 4:00pm — 14 Comments
२१२२ २१२२ २१२
खोजता तू रेत पर जिनके निशान
अब सभी वो मीत तेरे आसमान
हैं घरोंदे तेरे रोशन जुगनुओं से
उनके घर दीपक जले सूरज समान
उनके घर में तब जवाँ होती है शाम
तीरगी में जब छुपे सारा जहान
वक़्त का ही खेल है सारा यहाँ पे
देखते कब होता हम पर मिहरवान
वो नवाबों जैसी जीते हैं हयात
हम फकीरी को समझते अपनी शान
दौड़ कर ही तेज वो पीछे हुये थे
भूल बैठे गोल…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on September 16, 2013 at 3:30pm — 21 Comments
२२१२ १२१ १२२१ २२२१
पीने लगे हैं लोग पिलाने लगे हैं लोग
महफ़िल को मयकदों सा सजाने लगे हैं लोग
दिल में नहीं था प्रेम दिखाने लगे हैं लोग
जब भी मिले हैं, हाथ मिलाने लगे हैं लोग
आयी थी रूह बीच में जब भी बुरे थे काम
अब तो सदाये रूह दबाने लगे हैं लोग
कश्ती बचा ली, खुद को डुबो कहते थे मल्हार
खुद को बचा के नाव डुबोने लगे हैं लोग
रखनी जो बात याद किसी को नहीं थी याद
जो भूलना नहीं था भुलाने…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on September 14, 2013 at 9:00am — 19 Comments
१२२२ १२१२ १२१२ ११२
उठी जो पलकें तीर दिल के आर-पार हुआ
झुकी जो पलकें फिर से दिल पे कोइ वार हुआ
फकत जिसको मैं मानता रहा बड़ी धड़कन
नजर में जग की हादसा यही तो प्यार हुआ
गुलों को छू लें आरजू जवां हुई दिल में
लगा न हाथ था अभी वो तार –तार हुआ
हसीनों की गली में था बड़ा हँसी मौसम
मगर जो हुस्न को छुआ तो हुस्न खार हुआ
किया जो हमने झुक सलाम हुस्न शरमाया
नजर जो फेरी हमने हुस्न…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on September 11, 2013 at 9:00am — 14 Comments
पुष्प भावों के चढाने आया
आज मैं सर को झुकाने आया
बस रही है आप की ही तो कृपा
बात ये दिल की जताने आया
कर्ज में डूबा है कतरा कतरा
कर्ज किंचित वो चुकाने आया
एक रिश्ता है गुरु चेले में
आज वो रिश्ता निभाने आया
ज्ञान दाता हो बिधाता सम तुम
दीप दिल का मैं जलाने आया
ज्ञान रग रग में समाहित जिनका
उनको कुछ दिल की सुनाने आया
जग में महती है जो रिश्ता…
ContinueAdded by Dr Ashutosh Mishra on September 4, 2013 at 12:30pm — 14 Comments
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |