2122 1212 22
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दिल को फिर बेकरार कौन करे
आपका ऐतबार कौन करे
कत्ल का दिन अगर मुकर्रर है ज़िन्दगानी से प्यार कौन करे … |
Added by rajesh kumari on September 25, 2017 at 12:30pm — 39 Comments
122 122 122 12
अना का जो खुर्शीद ढलने लगा
क़मर हसरतों का निकलने लगा
हटे मकड़ियों के वो जाले सभी
मेरा खस्ता घर भी सँभलने लगा
मुहब्बत का छोटा सा दीपक मेरा
ग़मों का अँधेरा निगलने लगा
मेरे आंसुओं की बनी झील में
पशेमान सूरज पिघलने लगा
चमन पर हुआ अब्र ज्यों महरबां
खजाँ का तभी रुख़ बदलने लगा
खुदा का करम चार हाथों से ये
सफीना मेरा आज चलने…
ContinueAdded by rajesh kumari on September 22, 2017 at 2:46pm — 6 Comments
१२२२ १२२२ १२२
चढ़े सूरज तलक सोए हुए हैं
किसी की याद में खोए हुए हैं
ग़ज़ल लिक्खी हुई है आंसुओं से
कहें किससे कि हम रोये हुए हैं
तभी भीगा हुआ तकिया मिला है
इसे अश्कों से हम धोये हुए हैं
कमर टूटी ज़फ़ा की चोट खाकर
मगर फिर भी वफ़ा ढोए हुए हैं
वहाँ चर्चा हमारा हो रहा है
न जाने हम कहाँ खोए हुए हैं
तुम्हारे दाग ज्यों के त्यों दिखेंगे
भले ही आईने धोए हुए…
ContinueAdded by rajesh kumari on September 20, 2017 at 5:00pm — 20 Comments
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