कहकशाँ में उठ रही लहरों की बातें क्या करें
इस गुबारे-गर्द में सहरों की बातें क्या करें
हर कोई पहने मुखौटे फिर रहा है जब यहाँ
फिर बताओ हम भला चेहरों की बातें क्या करें
इस कदर मसरूफ हैं पाने को नाम औ शोहरतें
वक़्त इक पल का नहीं पहरों की बातें क्या करें
तुक मिलाने को समझ बैठा जो शाइर शाईरी
नासमझ से वजन औ बहरों की बातें क्या करें
नफरतें हैं वहशतें हैं दहशतें हैं राह में
हर घडी है गमजदा कहरों की…
ContinueAdded by SANDEEP KUMAR PATEL on September 27, 2013 at 4:30pm — 28 Comments
शोहरतें पाने मचलता नादाँ दिल क्यूँ सोचिये
हसरतों पे जीता मरता नादाँ दिल क्यूँ सोचिये
यूँ किसी की याद में जलने का मौसम गम भरा
फिर उसी को याद करता नादाँ दिल क्यूँ सोचिये
चोट खाता है मुसलसल जिन्दगी की राह में
तब सनम जैसे सँवरता नादाँ दिल क्यूँ सोचिये
आईने से रू-ब-रू होने की हिम्मत है नहीं
हार के फिर आह भरता नादाँ दिल क्यूँ सोचिये
इल्म है उसको गली ये…
ContinueAdded by SANDEEP KUMAR PATEL on September 24, 2013 at 4:39pm — 22 Comments
शर्म से हम आँख मीचे क्यूँ रहें
दौड़ है सोहरत की पीछे क्यूँ रहें
तब हुए पैदा जमीं पे अब मगर
हौसलों के पर हैं नीचे क्यूँ रहें
सच का लज्जत चख चुके हैं हम यहाँ
फिर बता दो हम भी तीखे क्यूँ रहें
जानते हैं फल में कीड़े कब लगे
इस कदर फिर हम भी मीठे क्यूँ रहें
जिन लकीरों ने कराई जंग है
“दीप” अब तक उनको खींचे क्यूँ रहें
संदीप कुमार पटेल “दीप”
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by SANDEEP KUMAR PATEL on September 22, 2013 at 8:13pm — 32 Comments
सोये वीरों को जगाना चाहते हैं इसलिए
वीर रस के गीत गाना चाहते हैं इसलिए
माँ बहन बेटी की इज्ज़त से न खेले अब कोई
इक कड़ा कानून लाना चाहते हैं इसलिए
मर न जाए कोई भी आदम दवा बिन भूख से
हम गरीबी को हटाना चाहते हैं इसलिए
हम विरोधी पश्चिमी तहजीब के हरदम रहे
संस्कृति अपनी बचाना चाहते हैं इसलिए
रक्त की नदियाँ बहें ना देश में दंगों से अब
रक्त में अब हम नहाना चाहते हैं इसलिए
राह में…
ContinueAdded by SANDEEP KUMAR PATEL on September 6, 2013 at 5:26pm — 20 Comments
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