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नहीं अच्छा है यूँ मजबूर होना
दिखो नजदीक लेकिन दूर होना।
कली का कुछ समय को ठीक है, पर
नहीं अच्छा चमन, मगरूर होना।
अँधेरों में उजालों को दे रस्ता
चिरागों का न थकना चूर होना
कोई कहता इसे वरदान है ये
खले लेकिन किसी को हूर होना।
अभी सूखा नहीं रख ले तसल्ली
दिखेगा ज़ख्म का नासूर होना।
कदम तो चूम लेगी जीत तेरे
है बाकी बस तुझे मंजूर होना।
मौलिक अप्रकाशित
Added by सतविन्द्र कुमार राणा on September 20, 2019 at 2:00pm — 2 Comments
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