श्राद्ध
" पर....? हर बार तो आनंद ही ..." दूसरी तरफ की कड़क आवाज़ में बात अधूरी ही रह गई
"जी ,जैसा आप ठीक समझें ,पैरी पै..." बात पूरी होने से पहले ही दूसरी तरफ से मोबाइल कट गया ....
रुआंसी सी प्राप्ति सोफे में ही धंस गई , बंद आँखों से अश्क बह निकले
"८ बरसों में जड़ें भी मिटटी पकड़ चुकी थी ......"
"पर आंगन को फूल देना कितना जरूरी है ये एहसास देवरानी के बेटा पैदा होने के बाद हुआ ....."
"नर्म हवाओं ने तूफान बन कर सब रौंदते हुए रुख जब आनंद की ओर किया तो आनंद…
ContinueAdded by अलका 'कृष्णांशी' on September 19, 2017 at 4:51pm — 6 Comments
समीक्षार्थ.........छंद-- तांटक (एक प्रयास)
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हिन्दी का घटता रुझान पर , भाषा में गहराई है
हिंदी क्यूँ ऐसे लगती ज्यूँ वृदाश्रम की माई है
.
नव पीढ़ी ने हिंदी में अब, लिखना पढ़ना छोड़ा है
परिवर्तन ऐसा आया दिल ,अंग्रेजी से जोड़ा है
निज भाषा का परचम लहराने का करते हैं दावा
मंचों से ही है चिंतन अंग्रेजी पर बोलें धावा
.
अंग्रेजी स्टेटस सिंबल है, हिंदी दिखती काई है
हिंदी क्यूँ ऐसे लगती ज्यूँ वृदाश्रम की माई है
.…
Added by अलका 'कृष्णांशी' on September 14, 2017 at 7:00pm — 15 Comments
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