इंतज़ार – लघुकथा -
"नीरू बिटिया, आजा मेरी बच्ची, क्यों दरवाजे पर टकटकी लगाये बैठी है। रज्जन अब कभी नहीं लौट कर आनेवाला" स्वर्गीय रज्जन की अम्मा ने अपनी पुत्र वधू निर्मला को साँत्वना देने के लहज़े में पुकारा |
"अम्मा, यह बात तो हम भी जानते हैं। बार बार क्यों दोहराते हो? वह जब फ़ौज़ में गया था तभी हम अपना मन पक्का कर लिये थे। पर ऐसे उसका अंत होगा कि मृत शरीर भी देखने को नहीं मिलेगा , यह कभी नहीं सोचा था"।
"बिटिया, आतंकियों ने बम से चिथड़े चिथड़े कर दिये मेरे बच्चे के। शायद…
ContinueAdded by TEJ VEER SINGH on September 30, 2017 at 2:42pm — 8 Comments
इंतज़ार – लघुकथा -
"नीरू बिटिया, आजा मेरी बच्ची, क्यों दरवाजे पर टकटकी लगाये बैठी है। रज्जन अब कभी नहीं लौट कर आनेवाला" स्वर्गीय रज्जन की अम्मा ने अपनी पुत्र वधू निर्मला को साँत्वना देने के लहज़े में पुकारा |
"अम्मा, यह बात तो हम भी जानते हैं। बार बार क्यों दोहराते हो? वह जब फ़ौज़ में गया था तभी हम अपना मन पक्का कर लिये थे। पर ऐसे उसका अंत होगा कि मृत शरीर भी देखने को नहीं मिलेगा , यह कभी नहीं सोचा था"।
"बिटिया, आतंकियों ने बम से चिथड़े चिथड़े कर दिये मेरे बच्चे के। शायद…
ContinueAdded by TEJ VEER SINGH on September 30, 2017 at 2:41pm — 4 Comments
परोथन – लघुकथा -
"अरे छुटकी, देख तो कौन है दरवाजे पर"?
"कोई भिखारिन जैसी लड़की है अम्मा"।
"बिटिया, एक कटोरा गेंहू दे दे उसे”|
“अम्मा, वह तो बोल रही है कि उसे केवल आटा ही चाहिये”।
"अरे तो क्या हुआ छुटकी, एक कटोरा आटा ही दे दे बेचारी को"।
"पर अम्मा, आटा तो एक बार के लिये ही था तो सारा गूँथ लिया"।
"एक कटोरा भी नहीं बचा क्या"?
"ऐसे तो है, एक कटोरा, पर वह परोथन के लिये है"।
"अरे तो वही देदे मेरी बच्ची। हम लोग एक दिन बिना परोथन की, हाथ…
ContinueAdded by TEJ VEER SINGH on September 26, 2017 at 12:28pm — 24 Comments
मुझे भी कुछ कहना है – लघुकथा -
"माँ, मुझे कुछ पल अकेला छोड़ दो। मुझे एकांत चाहिये"।
"ठीक है नीरू, पर तू अंधेरे में क्या कर रही है? तेरे दिमाग में कुछ ऐसा वैसा तो नहीं चल रहा"।
"माँ, आपकी बेटी इतनी कमजोर नहीं है"।
"मैं जानती हूँ। इसीलिये तो डर लगता है। तू यह लिखना छोड़ क्यों नहीं देती"?
"माँ, आप कैसी बात कर रहे हो? वह मेरी गुरू थी। मेरी आदर्श थी। उसे गोलियों से उड़ा दिया। और मैं चुप हो कर बैठ जाऊँ। असंभव"।
"बेटी, मुझे तेरी जान की चिंता है। जिस काम…
ContinueAdded by TEJ VEER SINGH on September 8, 2017 at 11:06am — 10 Comments
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