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तेरी तस्वीर होठों से लगा लूँ, जो इजाजत हो।
उसे आगोश में लूँ, चूम डालूँ, जो इजाजत हो।
बहुत नायाब दौलत है तुम्हारे हुस्न की दौलत
तुम्हारा हुस्न तुमसे ही चुरा लूँ जो इजाजत हो ।
नशीले नैन लाली होंठ की यूँ मुझ पे छाई…
ContinueAdded by आशीष यादव on September 24, 2021 at 3:30pm — 8 Comments
कहो सूरमा! जीत लिए जग?
तुम्हें पता है जीत हार का?
केवल बारूदों के दम पर
फूँक रहे हो धरती सारी
नफरत की लपटों में तुमने
धधकाई करुणा की क्यारी
कितना आतंकित है…
ContinueAdded by आशीष यादव on September 2, 2021 at 1:00am — 5 Comments
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