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अरुण कुमार निगम's Blog – October 2013 Archive (3)

भेज रहा हूँ तुझे निमंत्रण........अरुण कुमार निगम

जीवन क्या है ? तुहिन सूक्ष्म कण

क्यों ना तुझ पर करूँ समर्पण....

दूर्वादल के क्षणिक पाहुने

संग लिये आती है ऊषा

प्राची के आँचल में रश्मि

बिखरा देती है मंजूषा

बीन-बीन ले जातीं किरणें

तुहिन बिंदु सम जीवन के क्षण......

ना द्युति मेरी,ना छवि मेरी

है सारा सौंदर्य पराया

बल गुरुत्व का, देह सँवारे

मन को लुभा रही है माया

तृषा बढ़ाती मृग-तृष्णायें

फैलाकर अपना आकर्षण......

उतरा था कल शून्य व्योम से

कुछ…

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Added by अरुण कुमार निगम on October 19, 2013 at 4:00pm — 19 Comments

सांत्वना (लघु कथा) : अरुण निगम

सांत्वना

अस्पताल से जाँच की रिपोर्ट लेकर घर लौटे द्वारिका दास जी अपनी पुरानी आराम कुर्सी पर निढाल होकर लेट से गये. छत को ताकती हुई सूनी निगाहों में कुछ प्रश्न तैर रहे थे . रिपोर्ट के बारे में बेटे को बताता हूँ तो वह परेशान हो जायेगा.यहाँ आने के लिये उतावला हो जायेगा. पता नहीं  उसे छुट्टियाँ  मिल पायेंगी या नहीं. बेटे के साथ ही बहू भी परेशान हो जायेगी. त्यौहार भी नजदीक ही है.…

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Added by अरुण कुमार निगम on October 7, 2013 at 12:30am — 25 Comments

तकलीफ (अरुण कुमार निगम)

[अंतराष्ट्रीय वृद्ध दिवस पर लघु कथा]



लगभग एक माह पूर्व बेटे का विदेश से फोन आया था कि वह मिलने आ रहा है. मन्नू लाल जी खुशी से झूम उठे. पाँच वर्ष पूर्व बेटा नौकरी करने विदेश निकला था. वहीं शादी भी कर ली थी. अब एक साल की बिटिया भी है.शादी करने की बात बेटे ने बताई थी. पहले तो माँ–बाप जरा नाराज हुये थे, फिर यह सोच कर कि बेटे को विदेश में अकेले रहने में कितनी तकलीफ होती होगी, फिर बहू भी तो भारतीय ही थी, अपने-आप को मना ही लिया था.



मन्नू लाल जी और उनकी पत्नी दोनों ही साठ…

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Added by अरुण कुमार निगम on October 1, 2013 at 10:00am — 26 Comments

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