Added by ajay sharma on October 12, 2012 at 5:30pm — 1 Comment
कितनी ख़ास ओ आम ज़िन्दगी
Added by ajay sharma on October 12, 2012 at 5:21pm — 3 Comments
ना गर्मी में ताप है, ना सर्दी में शीत,
जाने कैसा दौर है, कोई नियम ना रीत |
गूंगे बहरे पा रहे अंधों से सम्मान,
ग़ालिब भूखे पेट है तुलसी नंगी पीठ |
जब पैसा साहित्य का बन जाता है धर्म,
ग़ज़लें बर्तन मांजती पानी भरते गीत |
Added by ajay sharma on October 8, 2012 at 10:00pm — 4 Comments
तुमसे सीखा हंसना मैंने आखिर मुझे रुलाया क्यों ....
इतनी दूर चले जाना था इतनी पास बुलाया क्यों ...
तेरी यादें, ख़त तेरे कुछ केवल बचा खजाने में
नींदें, दिल का चैन , खो गया तेरे ख्वाब सजाने में
सोना था तो सो जाते तुम नाहक मुझे जगाया क्यों
इतनी दूर चले जाना था इतनी पास बुलाया क्यों -----------
काँटों पर चलना था चलते, लेकिन तुम भी होते साथ
जब भी ठोकर गर मैं खाता तुम दे देते अपना हाथ
वादे ढेरों लेकिन तुमने इक भी नहीं…
Added by ajay sharma on October 1, 2012 at 12:02pm — 2 Comments
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