सीते मुझे साकेत विस्मृत क्यों नहीं होता !
सीते मुझे साकेत विस्मृत क्यों नहीं होता !
Added by shikha kaushik on October 29, 2012 at 10:30pm — 6 Comments
कस्बाई सुकून उनकी किस्मत में है कहाँ !
जो शहर के इश्क में दीवाने हो गए .
कैसे बुज़ुर्ग दें उन औलादों को दुआ !
जो छोड़कर तन्हां बेगाने हो गए .
दोस्ती में पड़ गयी गहरी बहुत दरार ,
हम तो रहे वही ; वो जाने-माने हो गए .
देखते ही होती थी सब में दुआ सलाम ,
लियाकत गए सब भूल ;ये फसाने हो गए .
लिहाज के पर्दे फटे ; सब हो रहा नंगा…
Added by shikha kaushik on October 27, 2012 at 10:30pm — 3 Comments
पाप-पुण्य की कसौटी -एक लघु कथा
चरण कमल रखे तभी वहीँ पास में बैठा प्रभात का पालतू कुत्ता बुलेट उन पर जोर जोर से भौकने लगा .गुरुदेव के उज्जवल मस्तक पर क्षण भर को कुछ लकीरें उभरी और फिर होंठों पर मुस्कान .गुरुदेव ने स्नेह से बुलेट के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा- ''शांत हो जाओ मैं समझ गया हूँ .ईश्वर तुम्हे मुक्ति प्रदान करें !'' गुरुदेव के इतना कहते ही बुलेट शांत हो गया और अपने स्थान पर जाकर बैठ गया .वहां उपस्थित प्रभात सहित उसके परिवारीजन यह देखकर चकित रह गए…
ContinueAdded by shikha kaushik on October 25, 2012 at 11:00pm — 8 Comments
विजयदशमी पर्व की हार्दिक शुभकामनायें !
धर्म पताका फहराने , पापी को सबक सिखाने ,
चली राम की सेना रावण का दंभ मिटाने !
हर हर हर हर महादेव !
…
Added by shikha kaushik on October 23, 2012 at 9:30pm — 4 Comments
Added by shikha kaushik on October 22, 2012 at 3:32pm — 7 Comments
हम स्वछंद हैं कवि .....
हमको नहीं छंद अलंकार का है ज्ञान ,
हम स्वछंद हैं कवि बस भाव हैं प्रधान .
आचार्य गिन मात्रा कहते लिखो निर्धन ,
लिखा अगर गरीब तो क्या हो जायेगा श्रीमान !
हालात जो देखे सीधे सीधे लिख दिए ,
पढ़कर ''वे'' बोले व्याकरण का कुछ तो रखते ध्यान .
कहते अलंकार से कविता का कर श्रृंगार ,
हम 'रबड़ के छल्ले ' देते न उनको कान .
है नहीं कविता में अपनी प्रतीक ,बिम्ब,गुण ,
जूनून है बस…
Added by shikha kaushik on October 4, 2012 at 2:30am — 6 Comments
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