Added by Dr. Vijai Shanker on October 31, 2014 at 8:09pm — 13 Comments
दावत जोरदार रही , सब ने छक के खाया, खाना था ही इतना बढ़िया , तिस पर बिठा कर पत्तल पर प्रेम से परोस-परोस कर खिलाया गया था। अब कहाँ होतीं हैं ऐसी दावतें। देर रात तक नौकरों ने सारे पत्तल इकठ्ठा करके पास तिराहे के कोने पर, जहां लोग कूड़ा फेंकते थे , फेंक दिये। लोग रात देर तक टहल टहल कर बतियाते रहे , दावत की तारीफ करते रहे। सब कुछ अच्छा था पर किसी एक-दो को अच्छा नहीं लगा। किसी ने सुबह-सुबह इधर-उधर दो एक फोन कर दिये । साढ़े दस तक एक बाबू साहब एक डायरी लेकर आ गए। उन्हें बुलवाया , कहा , अच्छी दावत…
ContinueAdded by Dr. Vijai Shanker on October 25, 2014 at 9:30pm — 9 Comments
Added by Dr. Vijai Shanker on October 22, 2014 at 6:54pm — 8 Comments
नई नई शादी हुयी थी उनकीं। कुछ दिन दावतों वावतों का दौर चला फिर कुछ ख़ास दोस्तों ने कहना शुरू किया , " भाभी जी क्या बनाती हैं , कैसा बनाती हैं , कभी हम भी तो देखें। " जी , भाई साहब , क्यों नहीं , जरूर ", भाभी जी का सभी को यही जवाब होता था। फिर एक दिन उन्होंने पूरा भोज बनाया, कई तरह के पकवान बनाये , डाइनिंग टेबल पर सब सजाया , चारों एंगिल से उसकी फोटो खींची और फेसबुक पर डाल दी और लिख दिया , "सभी जानने वालों के देखने के लिए "
डेढ़ सौ लाइक आ गए और बहुतों ने कमेंट भी किया , " मजा आ गया…
Added by Dr. Vijai Shanker on October 17, 2014 at 5:00pm — 10 Comments
Added by Dr. Vijai Shanker on October 14, 2014 at 3:27pm — 14 Comments
Added by Dr. Vijai Shanker on October 12, 2014 at 12:32pm — 5 Comments
Added by Dr. Vijai Shanker on October 7, 2014 at 10:36am — 14 Comments
Added by Dr. Vijai Shanker on October 2, 2014 at 1:43pm — 11 Comments
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