Added by Akhand Gahmari on October 31, 2013 at 8:00pm — 8 Comments
Added by Akhand Gahmari on October 29, 2013 at 9:29pm — 7 Comments
वो कहते हैं
शब्द र्निजीव होते है,
बेजुबान होते है।
वो कहते है,
यह लेखनी से बने,
आकार भर है।
जुबान से निकली,
आवाज भर है।
ना इनकी पहचान है,
ना इनका अस्तिव।
मगर यारो शब्द तो शब्द हैं,
अक्षरों केा संगठित कर
खुद में समाहित कर,
वाक्य बना कर उसे
पहचान देते है।
और खुद गुमनामी के
अँधेरे में खो जाते है।
ये शब्द निस्वार्थ सेवा का
एक सच्चा उदाहरण है।
एक शब्द झकझोर…
ContinueAdded by Akhand Gahmari on October 28, 2013 at 7:30pm — 5 Comments
चॅाद की शीतलता,
फूलों की महक,
शब्दों से खुशी,
शब्दो से रास्ते,
दिखाता एक कवि है,
शब्दो केा माले में पिरोता,
एक कवि है,
फिर भी गुमनामी की जिन्दगी…
Added by Akhand Gahmari on October 27, 2013 at 10:00am — 6 Comments
चॉदनी रात में
खुले आसमान में
विचरण करते चॉंद को देख रहा था
कितना निश्चल कितना शांत
चला जा रहा है अपने रस्ते
पर प्रकाश से प्रकाशमान पर
ना ईष्या ना कुंठा,ना हिनता
प्रकाश दाता के अस्त पर
बन कर प्रतिबिम्ब उसका
अंधेरे को दूर कर उजाले के
लिये सदैव प्रत्यनशील
भले रोक ले आवारा बादल
उसका रास्ता
छुपा ले प्रकाश उसका
मगर फिर भी प्रत्यन कर
बादलो से निकल कर
पुन: धरती को, अंबंर को, मानव को…
Added by Akhand Gahmari on October 26, 2013 at 10:30am — 6 Comments
युगो युगो से जल रहा है रावण
मगर रावण आज तक मरा नही
जलते दिखाया रावण गत साल बाबा ने
मगर रावण अभी मरा नहीं
लूट रहा सरे राह सीता कि इज्जत
घूम रहा खुले आम है
मगर ,राम का अभी पता नहीं
युगो से जल रहा रावण
मगर आज तक रावण मरा नहीं
चला रहा तीर की जगह गोलीया अब वह ...
निर्दोश की जान लेने केा
औरतो केा बेवा बच्चों केा अनाथ कर रहा है
मगर ,राम का अभी पता नहीं…
Added by Akhand Gahmari on October 23, 2013 at 9:00pm — 7 Comments
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