जब थी उठी बरसात से,
पहले पहल भीनी महक,
था मन तरंगित हो उठा,
सुन पक्षियों की चह चहक,
गुमशुदा, अब बाग से,
क्यों कली कोमल हो गयी।
बीते पलों को याद कर,
आँख, बोझल हो गयी।
पत्थरों की शगल में,
सड़क सौतन क्या…
ContinueAdded by Ajay Kumar Sharma on October 30, 2015 at 7:04pm — 3 Comments
हृदय को विक्षिप्त करते,
शूल हैं, दंश हैं कुछ,
घावों को कुरेदते,
बीते पलों के अंश हैं कुछ।
अतीत की स्मृति भला,
मस्तिष्क से हो दूर कैसे,
कसक भी है, ठेस भी,
चुभन है भरपूर ऐसे,
वेदनाएं मिट रही हैं शनैः शनैः,
अभी भी पल…
ContinueAdded by Ajay Kumar Sharma on October 30, 2015 at 8:09am — No Comments
जाने ये कैसा, असर जिन्दगी का,
फूलों की चाहत है होती सभी को,
काँटों भरा है, सफर जिन्दगी का।
मेहनत मशक्कत सब करते हैं फिर भी,
रस्ता न आता, नज़र जिन्दगी का।
बदलती फिजायें , बदलता जमाना,
अंधेरा है देखो जिधर, जिन्दगी का।
मन की मुरादें जब पूरी न होतीं,
तो सपना है जाता, बिखर जिन्दगी का।
गरीबों को मिलती न रोटी कहीं भी,
ये करते हैं कैसे, बसर जिन्दगी का।
भटकता हर इंसा कुछ पाने की जिद…
Added by Ajay Kumar Sharma on October 29, 2015 at 7:25pm — 1 Comment
काश कि सरकार,
अपने चक्षुओं से देख पाती,
यदि वोट की खातिर वो,
दोनों हाथ से धन न लुटाती।
तो देश की सारी व्यवस्था,
इस तरह न चरमराती।
काश कि सरकार,
अपने चक्षुओं से देख पाती।
छोड़ निंदा रस कहीं,
गर…
ContinueAdded by Ajay Kumar Sharma on October 29, 2015 at 1:42pm — 7 Comments
आदरणीय कलाम साहब को समर्पित
सरल, सादगी की वह मूरत,
ऐसा पावन दूत हुआ,
भारत ही क्या ,उसकी छवि से,
जग सारा अभिभूत हुआ,
आकाश, नाग, पृथ्वी, त्रिशूल से,
दाता पैने तीरों का,
भारत को समृद्ध किया और
जीवन जिया फकीरों सा ।
जिसकी …
ContinueAdded by Ajay Kumar Sharma on October 27, 2015 at 11:30pm — 2 Comments
जीवन की आपाधापी में,
दिन बचपन के भूल गये,
परिवर्तित हो गयी हवायें,
मौसम भी प्रतिकूल भये।
वो शाम सुहानी,मित्रों के दल,
और किनारा नदियों का,
कूद, कबड्डी,गुल्ली डंडा,
झर झर झरना सदियों का,
खेत और खलिहान की रंगत,
लदी डाल में अमियों का,
मानचित्र…
ContinueAdded by Ajay Kumar Sharma on October 25, 2015 at 3:00pm — 8 Comments
मात्र इक भाषा नहीं है,
राष्ट्र की पहचान -हिन्दी।
सभ्यता की नींव है,
साहित्य की धनवान -हिन्दी।
सर्वव्यापक सरल सुन्दर,
सर्वगुण सम्पन्न है,
ज्ञान का विस्तीर्ण साधन,
सद्गुणों की खान -हिन्दी ।
व्यक्ति का व्यक्तित्व है,
प्रतिबिंब है अभिव्यक्ति का,
उपयोग,सूचक शक्ति का,
मान और सम्मान -हिन्दी।
गुरुमुखी श्रीग्रंथ साहिब ,
नित्य शाश्वत वेद है,
काव्य की निर्मल विधा,
"अज्ञात"…
ContinueAdded by Ajay Kumar Sharma on October 23, 2015 at 7:26pm — 2 Comments
मन में हो विश्वास अगर,दीप आस के जलते हैं,
कीचड़,मटमैले जल में भी,फूल कमल के खिलते हैं।
घोर घने अंधियारे में ही, तारे झिलमिल करते हैं।
पत्थर तो बस पत्थर है, पत्थर का कोई मोल नहीं,
दुख सहकर मूरत बनता है,होता है अनमोल वही,
धूप,दीप,नैवेद्य चढ़ा,लाखों सिर सजदे करते हैं।
मन में हो विश्वास अगर,दीप आस के जलते हैं।
अपना अस्तित्व बचाने को,खाक में दाना मिलता है,
सर्दी,बारिश की बूंदें,गर्मी की चुभन को सहता है,
हृदय…
ContinueAdded by Ajay Kumar Sharma on October 22, 2015 at 1:11pm — 3 Comments
चलते रहना रुकना मत।
पथ चाहे हो पथरीला ,
पर्वत हो चाहे टीला ,
सघन समूचा जंगल हो ,
गूढ़ समुंदर हो नीला ,
वीरों सा बढ़ते रहना।
झुकना मत।
चपला चमके आँधी आये,
घनघोर घटा नभ छा जाये,
हो काली रात अंधेरी भी,
सागर में धरा समा जाये,
दीपक सा जलते रहना ,
बुझना मत ।
बन सजग देश के प्रहरी तुम,
रख लक्ष्य साधना गहरी तुम,
नील गगन में चमक उठो,
बनकर चमक सुनहरी तुम,
निज सपनों को…
ContinueAdded by Ajay Kumar Sharma on October 21, 2015 at 11:22am — 4 Comments
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