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न जाने किधर जा रही ये डगर है ।
सुना है मुहब्बत का लम्बा सफर है ।।
मेरी चाहतों का हुआ ये असर है ।
झुकी बाद मुद्दत के उनकी नज़र है ।।
नहीं यूँ ही दीवाने आए हरम तक ।
इशारा तेरा भी हुआ मुख़्तसर है ।।
यहाँ राजे दिल मत सुनाओ किसी को ।
ज़माना कहाँ रह गया मोतबर है ।।
है साहिल से मिलने का उसका इरादा ।
उठी जो समंदर में ऊंची लहर है ।।
है मकतल सा मंजर हटा जब से चिलमन…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on November 14, 2019 at 5:30pm — 3 Comments
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न पूछिये कि वो कितना सँभल के देखते हैं ।
शरीफ़ लोग मुखौटे बदल के देखते हैं ।।
अज़ीब तिश्नगी है अब खुदा ही खैर करे ।
नियत से आप भी अक्सर फिसल के देखते हैं ।।
पहुँच रही है मुहब्बत की दास्ताँ उन तक ।
हर एक शेर जो मेरी ग़ज़ल के देखते हैं ।।
ज़नाब कुछ तो शरारत नज़र ये करती है ।
यूँ बेसबब ही नहीं वो मचल के देखते हैं ।।
गुलों का रंग इन्हें किस तरह मयस्सर हो…
ContinueAdded by Naveen Mani Tripathi on November 6, 2019 at 2:51pm — 2 Comments
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