For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुमार गौरव अजीतेन्दु's Blog – November 2013 Archive (3)

गीत - जी रही हैं दूरियाँ

भींगते तकियों से आँसू पी रही हैं दूरियाँ

मस्त हो नजदीकियों में जी रही हैं दूरियाँ

अनदिखी कितनी लकीरें खींच आँगन में खड़ीं

अनसुनेपन को बना बिस्तर दलानों में पड़ीं

बैठ फटती तल्खियों को सी रही हैं दूरियाँ

तोड़ देतीं फूल गर खिलता कभी एहसास का

कर रहीं रिश्तों के घर को महल जैसे ताश का

इन गुनाहों की सदा दोषी रही हैं दूरियाँ

प्यार में जब घुन लगा तो खोखलापन आ गया

भूतबँगले सा वहाँ भी खालीपन ही छा गया

ऐसे ही माहौल में…

Continue

Added by कुमार गौरव अजीतेन्दु on November 28, 2013 at 6:30pm — 11 Comments

ग़ज़ल - चाँदनी छिटकी हुई पर मन मेरा खामोश है

चाँदनी छिटकी हुई पर मन मेरा खामोश है।

बेखबर इस रात में सारा जहाँ मदहोश है।

वक्त आगे भागता, जम से गये मेरे कदम,

हाँ, सहारा दे रहा तन्हाई का आगोश है।

हँस रहा चेह्रा मेरा तुम तो बस इतना जानते,

क्योंकि गम दिल संग सीने में ही परदापोश है।

माँगता मैं रह गया, दे दो बहारों कुछ मुझे,

अनसुना कर बढ़ गईं, इसका बड़ा आक्रोश है।

अब कहाँ रौनक बची "गौरव" उमंगों की यहाँ,

घट रहा साँसों सहित धड़कन का पल-पल जोश…

Continue

Added by कुमार गौरव अजीतेन्दु on November 10, 2013 at 9:30am — 28 Comments

ग़ज़ल - लोग हैं तैयार खुद की लाश ढोने के लिए

ख्वाब के मोती हकीकत में पिरोने के लिए।

लोग हैं तैयार खुद की लाश ढोने के लिए।

झोंपड़े में सो रहा मजदूर कितने चैन से,

है नहीं कुछ पास उसके क्योंकि खोने के लिए।

आसमां की वो खुली, लंबी उड़ानें छोड़कर,

क्यों तरसते हैं परिंदे कैद होने के लिए।

जिंदगी भर खून औरों का बहाते जो रहे,

जा रहे हैं तान सीना पाप धोने के लिए।

जगमगाते हैं दिखावे से शहर के सब मकान,

सादगी तो रह गई है मात्र कोने के लिए।

पुष्प सारे चल…

Continue

Added by कुमार गौरव अजीतेन्दु on November 2, 2013 at 12:25pm — 28 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Monday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service