For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इमरान खान's Blog – November 2012 Archive (3)

दर्दे तन्हाई

२१२ २१२

मैं जहाँ भी रहूँ,

तू भी आती है क्यूँ।



मैं अकेला कहाँ,

तेरी यादों में हूँ।



ठोकरें भी लगें,

तो भी चलता रहूँ।



मेरी बर्बादियाँ,

चल रही दू ब दूँ।



कत्ले अरमाँ या जाँ,

बोल दे क्या करूँ।



जिस्म ठंडा हुआ,

रूह जलती है क्यूँ।



है तेरी याद में,

दीद में खूँ ही खूँ।



ज़ख़्मी सारा जिगर,

दर्द कैसे सहूँ।



आशियाना नहीं,

बेठिकाना फिरूँ।



यार भी छल…

Continue

Added by इमरान खान on November 20, 2012 at 11:30pm — 9 Comments

अहवाल-ए-ज़वाल

२१२ २१२ २१२ २१२ २१२ २१२ २१२ २१२

पुर-शुआ पुर-शुआ था हमारा शहर, रोशनी में नहाया हुआ था समाँ,

आज लेकिन न जाने ये क्या हो गया, हो गया है अँधेरा अँधेरा जवाँ।



हैं तवारीख में दास्तानें सभी, वक्त की मार से खाक में मिल गये,

जो जवाहर सजाते रहे ताज में, और ताबे रहा जिनके सारा जहाँ।



उल्फतों से यही हाय कहता रहा, मैं तुम्हारा बना हूँ सदा के लिये,

पर अचानक उसी ने गज़ब ये किया, चल दिया ठोकरें दे न जाने कहाँ।



बन्द कर के निगाहें भरोसा किया, जानो…

Continue

Added by इमरान खान on November 17, 2012 at 2:00pm — 3 Comments

धड़कनें जलती बुझती रही रात भर...

दिल की लौ थरथराती रही रात भर,

धड़कनें जलती बुझती रही रात भर।



गिर के खुद ही सम्भलती रही रात भर,

ज़िन्दगी लड़खड़ाती रही रात भर।



मैंने रब से भी कितनी ही फरियाद की,

एक तसल्ली ही मिलती रही रात भर।



बुझ न जब तक गई इन चराग़ों की लौ,

तेज़ आँधी ही चलती रही रात भर।



शाम घिरने से लेके सहर खिलने तक,

दर हवायें बजाती रही रात भर।



उसका वादा था वो पर नहीं आ सका,

ये खलिश दिल जलाती रही रात भर।



जब हवा रात भर ठंडी ठंडी… Continue

Added by इमरान खान on November 15, 2012 at 11:26am — 8 Comments

Monthly Archives

2015

2014

2013

2012

2011

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
2 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service