2122 1122 1122 22
ख़्वाब से जाग उठे शाह सदा दी जाए
पकड़े जायें अभी क़ातिल वो सज़ा दी जाए
बख़्श दी जाए कहीं जान ख़वातीनों की
अब तो ज़ालिम को कड़ी कोई सज़ा दी जाए
घूमते हैं वो दरिन्दे भी नकाबों में अब तो
जितना जल्दी हो उन्हें मौत बजा दी जाए
लोग अच्छे ही परेशान हैं वहशी दरिन्दों
इन्तिहाँ हो गयी अब लौ वो बुझा दी जाए
ज़ात इन्साँ की पशेमाँ है ज़रायम से 'चेतन'
तूफाँ कोई तो उठा कर…
Added by Chetan Prakash on November 27, 2023 at 12:57pm — 2 Comments
लगता है मेरे प्यारों को पैसा है मेरे पास
सच्चाई पर यही है कि क़र्ज़ा है मेरे पास
ए सी की रहने वाली तू मत प्यार कर मुझे
आवाज़ करता छोटा सा पंखा है मेरे पास
मुझसे बिछड़ के जूड़ा बनाती नहीं है अब
वो लड़की जिसका आज भी गजरा है मेरे पास
पापा ये मुझ से कहते हुए रो पड़े थे कल
कितने दिनों के बाद तू बैठा है मेरे पास
साया दिया था मैंने कड़ी धूप में जिसे
अब सिर्फ़ उसकी याद का साया है मेरे पास
अब…
ContinueAdded by Md. Anis arman on November 23, 2023 at 12:39pm — 3 Comments
ग़ज़ल -- 221 2121 1221 212
क़दमों में तेरे ख़ुशियों की इक कहकशाँ रहे
बन जाए गुलसिताँ वो जगह, तू जहाँ रहे
ज़ालिम का ज़ुल्म ख़्वाह सदा बे-अमाँ रहे
पर कोई भी ग़रीब न बे-आशियाँ रहे
आ जाए जिन को देख के आँखों में रौशनी
वो ख़ैर-ख़्वाह दोस्त पुराने कहाँ रहे
हर दम पराए दर्द को समझें हम अपना दर्द
दरिया ख़ुलूसो-मेहर का दिल में रवाँ रहे
काफ़ी नहीं है दिल में फ़लक चूमने का ख़्वाब
परवाज़ हौसलों…
ContinueAdded by दिनेश कुमार on November 17, 2023 at 8:30am — 4 Comments
दोनों में से क्या तुम्हें चाहिए सुख या के संतोष
क्षणभंगुर सा हर्ष चाहिए, या जीवन भर का रोष
खुशी का जीवन लम्हो सा है, अब आए अब जाए
छोटी सी उदासी मन की पहाड़ हर्ष का ढाए
खुशी स्वभाव से चंचल पानी, कल कल बहता जाए
कभी…
ContinueAdded by AMAN SINHA on November 9, 2023 at 1:36pm — No Comments
2121 2122 2121 212
खो गया सुकून दिल का कार हो गया जहाँ
गुम गया सनम भँवर में ख़ार हो गया जहाँ
कामयाबी तौलती दुनिया भरोसे जऱ ज़मी
फार्म जिनके हैं नहीं गुड़मार हो गया जहाँ
ज़िन्दगी जिसे कहा हमने कहीं छुपा गया
है निशान अपने ज़ालिम पार हो गया जहाँ
कार-ए-दुनिया और कुछ हैं और कुछ दिखें ख़ुदा
मारकाट हाल कारोबार हो गया जहाँ
तोड़ हद रहे सभी अब तो अदब जहान में
लाज लुट रही घरों मुरदार हो गया…
Added by Chetan Prakash on November 8, 2023 at 8:30pm — No Comments
दोहा पंचक . . . .
लुप्त हुई संवेदना, कड़वी हुई मिठास ।
अर्थ रार में खो गए , रिश्ते सारे खास ।।
*
पहले जैसे अब कहाँ, मिलते हैं इन्सान ।
शेष रहा इंसान में, बड़बोला अभिमान ।।
*
प्रीत सरोवर में खिले, क्यों नफरत के फूल ।
तन मन को छिद्रित करें, स्वार्थ भाव के शूल ।।
*
किसको अपना हम कहें, किसको मानें गैर ।
भूल -भाल कर दुश्मनी , सबकी माँगें खैर ।।
*
शर्तों पर यह जिंदगी , काटे अपनी राह ।
सुध-बुध खो कर सो रही, शूल नोक पर चाह…
Added by Sushil Sarna on November 5, 2023 at 7:46pm — 4 Comments
तेरे बोलों के ख़ार आँखों में
दिख रहे हैं हजार आंखों में
मैनें देखा खुमार आँखों में
इश्क का बेशुमार आँखों में
इश्क है होशियार आँखों में
इश्क फिर भी गवार आँखों में
तेरी गलियों को छान कर जाना
होता क्या-क्या है यार आँखों में?
होठ बेशक हँसी से फैले हैं
दर्द पर बरकरार आँखों में।
'बाल' नादान है समझ तेरी
ढूंढती बस जो प्यार आँखों में।
मौलिक अप्रकाशित
Added by सतविन्द्र कुमार राणा on November 3, 2023 at 9:30am — 7 Comments
2024
2023
2022
2021
2020
2019
2018
2017
2016
2015
2014
2013
2012
2011
2010
1999
1970
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |