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Dr.Prachi Singh's Blog – December 2012 Archive (4)

ध्वजा को झुका दो कि क्रंदित है जन गण//डॉ प्राची

ध्वजा को झुका दो कि क्रंदित है जन गण,

सन्नाटा पसरा यूँ गुमसुम है प्रांगण.

 

गुलशन उजड़ने से

सहमीं हैं कलियाँ,

पंखों को सिमटाये

दुबकी तितलियाँ,

कर्कश सा चिल्लाये भंवरा क्यों हर क्षण,…

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Added by Dr.Prachi Singh on December 30, 2012 at 2:30pm — 24 Comments

आंसू

 

"आज के अखबार में प्रतियोगी परीक्षा का परिणाम निकला है" जैसे ही हौस्टल में यह बात देवारती को पता चली, बेतहाशा दौड़ पड़ी लाईब्रेरी की ओर, अखबार उठा सारे रोलनंबर देखे, हर पंक्ति ऊपर से नीचे, दाएं से बाएँ, एक बार, दो बार, बार बार, पर उसका तो रोल नंबर ही नहीं था. उसके पैरों तले तो जैसे ज़मीन ही खिसक गयी. अपनी आखों पर यकीन नहीं हुआ, बुझे मन से भारी क़दमों से बाजार जा कर फिर से अखबार खरीदा, एक एक  रोल नंबर पेन से काटा, कहीं उलट पलट जगह न छप गया हो. एक घंटा बीत गया, पर नहीं मिला उसका नंबर,…

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Added by Dr.Prachi Singh on December 4, 2012 at 12:30pm — 15 Comments

कुछ हाइकू /डॉ.प्राची

***********************

सीप में मोती.

पिय प्रेम हृदय.

जागृत ज्योति.

************************

दुख के शूल.

गुलदस्ता जीवन.

प्रेम के  फूल.

*************************

प्रेम शरण.

तिमिर में किरण.

गुरु चरण.

**************************

अभिन्न मित्र.

सुरम्य लय ताल.

बंध पवित्र.

***************************

है ज़रुरत.

अनकहा…

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Added by Dr.Prachi Singh on December 2, 2012 at 8:27pm — 24 Comments

प्रतिभा (लघु कथा )/डॉ. प्राची

“हैलो क्षिप्रा, कैसी हो? मैं निशा बोल रही हूँ, मॉडर्न स्कूल की प्रिंसिपल! आज सभी स्कूलों के लिए आयोजित पोस्टर कम्पीटीशन में तुम जज हो न?”

ओहो! निशा! कैसी हो? कितने समय बाद याद किया? क्या तुम भी आ रही हो?क्षिप्रा नें पूछा.

“मेरे स्कूल के बच्चे प्रतिभागिता कर रहे हैं , बच्चों को मोटिवेट करने के लिए आना तो चाहती हूँ, पर मेरे स्कूल में भी एक समारोह है, अब देखो! अच्छा तुम कितने बजे तक पहुँचोगी?”निशा नें पूछा .

“मैं ग्यारह बजे तक पहुचूंगी, आ सको तो आना, मिलते हैं फिर.”…

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Added by Dr.Prachi Singh on December 1, 2012 at 6:00pm — 21 Comments

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