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Tasdiq Ahmed Khan's Blog – December 2016 Archive (4)

ग़ज़ल (दिल के आगे हमें सर झुकाना पड़ा )

ग़ज़ल (दिल के आगे हमें सर झुकाना पड़ा )

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फाइलुन -फाइलुन -फाइलुन -फाइलुन

दिल के आगे हमें सर झुकाना पड़ा |

इक सितम गार से दिल लगाना पड़ा |

चश्मे नम से न खुल जाए राज़े वफ़ा

सोच कर यह हमें मुस्कराना पड़ा |

प्यार की इक नज़र की ही उम्मीद में

उम्र भर संग दिल से निभाना पड़ा |

दर्स ज़ालिम ले अंज़ामे फिरओन से

ज़ालिमों को भी दुनिया से जाना पड़ा…

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Added by Tasdiq Ahmed Khan on December 30, 2016 at 8:25pm — 9 Comments

ग़ज़ल ( मुहब्बत करना मुश्किल हो गया है )

(मफाईलुन---मफाईलुन ----फऊलन )

ज़माना दुश्मने दिल हो गया है |

मुहब्बत करना मुश्किल हो गया है |

सफ़ीना बच गया तूफां से लेकिन

बहुत ही दूर साहिल हो गया है |

यह क्या कम है जुदा थी राह जिसकी

वो साथी क़ब्ले मंज़िल हो गया है |

खिलाफे ज़ुल्म कोई लब न खोले

जिसे देखो वो बुज़दिल हो गया है |

निगाहें बोलती हैं यह किसी की

ये दिल अब उनके क़ाबिल हो गया है |

किसी की खूब रूई का है जादू …

Continue

Added by Tasdiq Ahmed Khan on December 19, 2016 at 8:30pm — 10 Comments

ग़ज़ल (हमें गुज़रा ज़माना याद आया ) -----------------------------------------------



ग़ज़ल (हमें गुज़रा ज़माना याद आया )

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मफाईलुन---मफाईलुन---- फऊलन

मुहब्बत का फसाना याद आया |

हमें गुज़रा ज़माना याद आया |

बनी है जान की दुश्मन शबे गम

कोई साथी पुराना याद आया |

शबे गम चैन भी आएगा कैसे

वो फिर ज़ालिम यगाना याद आया |

न जब इज़्ज़त मिली परदेस जा कर

वतन का आब दाना याद आया |

मिलीं जब ठोकरें हर एक दर से

मुझे उनका ठिकाना याद आया…

Continue

Added by Tasdiq Ahmed Khan on December 12, 2016 at 7:21pm — 12 Comments

ग़ज़ल ( वो वादे से अपने मुकर जाएगा )

ग़ज़ल ( वो वादे से अपने मुकर जाएगा )

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फऊलन -फऊलन -फऊलन -फअल

ख़बर थी किसे एसा कर जाएगा |

वो वादे से अपने मुकर जाएगा |

न अब और ले इम्तहाने वफ़ा

ये दीवाना हद से गुज़र जाएगा |

चला तीर तिरछी नज़र का अगर

बचाएँगे दिल तो जिगर जाएगा |

बपा हश्र हो जाएगा उस जगह

वो जिस रास्ते पर ठहर जाएगा |

करेगा सितम के जो दौरान उफ़

निगाहों से उनकी उतर जाएगा…

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Added by Tasdiq Ahmed Khan on December 4, 2016 at 10:05am — 14 Comments

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