ग़ज़ल (दिल के आगे हमें सर झुकाना पड़ा )
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फाइलुन -फाइलुन -फाइलुन -फाइलुन
दिल के आगे हमें सर झुकाना पड़ा |
इक सितम गार से दिल लगाना पड़ा |
चश्मे नम से न खुल जाए राज़े वफ़ा
सोच कर यह हमें मुस्कराना पड़ा |
प्यार की इक नज़र की ही उम्मीद में
उम्र भर संग दिल से निभाना पड़ा |
दर्स ज़ालिम ले अंज़ामे फिरओन से
ज़ालिमों को भी दुनिया से जाना पड़ा…
Added by Tasdiq Ahmed Khan on December 30, 2016 at 8:25pm — 9 Comments
(मफाईलुन---मफाईलुन ----फऊलन )
ज़माना दुश्मने दिल हो गया है |
मुहब्बत करना मुश्किल हो गया है |
सफ़ीना बच गया तूफां से लेकिन
बहुत ही दूर साहिल हो गया है |
यह क्या कम है जुदा थी राह जिसकी
वो साथी क़ब्ले मंज़िल हो गया है |
खिलाफे ज़ुल्म कोई लब न खोले
जिसे देखो वो बुज़दिल हो गया है |
निगाहें बोलती हैं यह किसी की
ये दिल अब उनके क़ाबिल हो गया है |
किसी की खूब रूई का है जादू …
Added by Tasdiq Ahmed Khan on December 19, 2016 at 8:30pm — 10 Comments
ग़ज़ल (हमें गुज़रा ज़माना याद आया )
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मफाईलुन---मफाईलुन---- फऊलन
मुहब्बत का फसाना याद आया |
हमें गुज़रा ज़माना याद आया |
बनी है जान की दुश्मन शबे गम
कोई साथी पुराना याद आया |
शबे गम चैन भी आएगा कैसे
वो फिर ज़ालिम यगाना याद आया |
न जब इज़्ज़त मिली परदेस जा कर
वतन का आब दाना याद आया |
मिलीं जब ठोकरें हर एक दर से
मुझे उनका ठिकाना याद आया…
Added by Tasdiq Ahmed Khan on December 12, 2016 at 7:21pm — 12 Comments
ग़ज़ल ( वो वादे से अपने मुकर जाएगा )
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फऊलन -फऊलन -फऊलन -फअल
ख़बर थी किसे एसा कर जाएगा |
वो वादे से अपने मुकर जाएगा |
न अब और ले इम्तहाने वफ़ा
ये दीवाना हद से गुज़र जाएगा |
चला तीर तिरछी नज़र का अगर
बचाएँगे दिल तो जिगर जाएगा |
बपा हश्र हो जाएगा उस जगह
वो जिस रास्ते पर ठहर जाएगा |
करेगा सितम के जो दौरान उफ़
निगाहों से उनकी उतर जाएगा…
Added by Tasdiq Ahmed Khan on December 4, 2016 at 10:05am — 14 Comments
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