For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Tasdiq Ahmed Khan's Blog – December 2016 Archive (4)

ग़ज़ल (दिल के आगे हमें सर झुकाना पड़ा )

ग़ज़ल (दिल के आगे हमें सर झुकाना पड़ा )

-----------------------------------------------------

फाइलुन -फाइलुन -फाइलुन -फाइलुन

दिल के आगे हमें सर झुकाना पड़ा |

इक सितम गार से दिल लगाना पड़ा |

चश्मे नम से न खुल जाए राज़े वफ़ा

सोच कर यह हमें मुस्कराना पड़ा |

प्यार की इक नज़र की ही उम्मीद में

उम्र भर संग दिल से निभाना पड़ा |

दर्स ज़ालिम ले अंज़ामे फिरओन से

ज़ालिमों को भी दुनिया से जाना पड़ा…

Continue

Added by Tasdiq Ahmed Khan on December 30, 2016 at 8:25pm — 9 Comments

ग़ज़ल ( मुहब्बत करना मुश्किल हो गया है )

(मफाईलुन---मफाईलुन ----फऊलन )

ज़माना दुश्मने दिल हो गया है |

मुहब्बत करना मुश्किल हो गया है |

सफ़ीना बच गया तूफां से लेकिन

बहुत ही दूर साहिल हो गया है |

यह क्या कम है जुदा थी राह जिसकी

वो साथी क़ब्ले मंज़िल हो गया है |

खिलाफे ज़ुल्म कोई लब न खोले

जिसे देखो वो बुज़दिल हो गया है |

निगाहें बोलती हैं यह किसी की

ये दिल अब उनके क़ाबिल हो गया है |

किसी की खूब रूई का है जादू …

Continue

Added by Tasdiq Ahmed Khan on December 19, 2016 at 8:30pm — 10 Comments

ग़ज़ल (हमें गुज़रा ज़माना याद आया ) -----------------------------------------------



ग़ज़ल (हमें गुज़रा ज़माना याद आया )

-----------------------------------------------

मफाईलुन---मफाईलुन---- फऊलन

मुहब्बत का फसाना याद आया |

हमें गुज़रा ज़माना याद आया |

बनी है जान की दुश्मन शबे गम

कोई साथी पुराना याद आया |

शबे गम चैन भी आएगा कैसे

वो फिर ज़ालिम यगाना याद आया |

न जब इज़्ज़त मिली परदेस जा कर

वतन का आब दाना याद आया |

मिलीं जब ठोकरें हर एक दर से

मुझे उनका ठिकाना याद आया…

Continue

Added by Tasdiq Ahmed Khan on December 12, 2016 at 7:21pm — 12 Comments

ग़ज़ल ( वो वादे से अपने मुकर जाएगा )

ग़ज़ल ( वो वादे से अपने मुकर जाएगा )

---------------------------------------------------

फऊलन -फऊलन -फऊलन -फअल

ख़बर थी किसे एसा कर जाएगा |

वो वादे से अपने मुकर जाएगा |

न अब और ले इम्तहाने वफ़ा

ये दीवाना हद से गुज़र जाएगा |

चला तीर तिरछी नज़र का अगर

बचाएँगे दिल तो जिगर जाएगा |

बपा हश्र हो जाएगा उस जगह

वो जिस रास्ते पर ठहर जाएगा |

करेगा सितम के जो दौरान उफ़

निगाहों से उनकी उतर जाएगा…

Continue

Added by Tasdiq Ahmed Khan on December 4, 2016 at 10:05am — 14 Comments

Monthly Archives

2022

2019

2018

2017

2016

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम. . . . रोटी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। रोटी पर अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
14 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आदाब।‌ हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' साहिब। आपकी उपस्थिति और…"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं , हार्दिक बधाई।"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया छंद
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रेरणादायी छंद हुआ है। हार्दिक बधाई।"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आ. भाई शेख सहजाद जी, सादर अभिवादन।सुंदर और प्रेरणादायक कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
18 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
yesterday
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Thursday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service