For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Dr Ashutosh Mishra's Blog – December 2013 Archive (6)

अश्क का दरिया भी रुख पे आ गया

अब्रे गम जब दिल पे मेरे छा गया

अश्क का दरिया भी रुख पे आ गया

आइना देखा है जब भी दोस्तों

सामने मेरे मेरा सच  आ गया

यूं तो गुल लाखों थे बगिया में मगर

दिल को लेकिन कोई कांटा  भा गया

वो हसीं गुल आने वाला है इधर

चूम झोंका खुशबू का बतला गया

हाल उनसे कहते दिल का जब तलक

यार नजरों से ही सब जतला गया

जिसने भर दी खार से ये जिन्दगी

फूल नकली दे के फिर बहला…

Continue

Added by Dr Ashutosh Mishra on December 23, 2013 at 7:30pm — 18 Comments

छलकती आँखें हैं साकी हसीं इक जाम हो जाये

१२२२   १२२२   १२२२    १२२२

छलकती आँखें हैं साकी हसीं इक जाम हो जाये

बना दो रिंद दुनिया को सुहानी शाम हो जाये

 

जुदा मजहब के लोगों को मिला दे आज ऐ साकी

तरीका कोई भी हो आज दिलकश काम हो जाये

 

हमें हिन्दू मुसल्मा कह लड़ाते हैं भिड़ाते हैं

करो कोई जतन ऐसा की हिंदी नाम हो जाये

 

हजारों फूल गुलशन में जुदा हैं रूप रंगत भी

मगर खुशबू जुदा मिलकर हसीं पैगाम हो जाये

 

न जाने किसकी साजिश है बहाते हम लहू…

Continue

Added by Dr Ashutosh Mishra on December 19, 2013 at 2:30pm — 21 Comments

सौदा नहीं किया कभी अपने जमीर का

सीमित संसाधनों के साथ

महती भौतिकता वादी प्यास की तृप्ति

शायद प्रेरित करती है तुम्हे सतत

बेच देने के लिए अपना जमीर ......

शराब और शबाब में मस्त

अपने दांतों से खींचते हुए

रोस्टेड चिकेन की टाँगे

भूलते रहे हो तुम अपने शक्ति और अधिकार ...

फिर  समाज में रुतवा कायम करने की;

एक अच्छा पिता और पति कहलाने की ;

तुम्हारी ख्वाइश ने भी जी भर हवा दी है  

अधिक से अधिक धनोपार्जन की तुम्हारी प्यास को

जायज या नाजायज

किसी…

Continue

Added by Dr Ashutosh Mishra on December 14, 2013 at 4:29pm — 7 Comments

रात को चाँद फिर आयेगा देखिये.

२१२  २१२   २१२     २१२

रात को चाँद फिर आयेगा देखिये

आके दिल फिर जला जायेगा देखिये

 

हम रहेंगे खड़े रात भर छत पे ही 

बादलों में वो छुप जायेगा देखिये

 

अपने दीवानों पे रोज ही इस तरह

चांद क्या क्या सितम ढायेगा देखिये

 

हम जिसे भूल पाए कभी हैं  नहीं

किस तरह वो भुला पायेगा देखिये

 

रंग गिरगिट के जैसे बदलता है जो 

कैसे वादे निभा पायेगा देखिये

 

चांदनी बन जमी पर उतरता रहा

खुद जमी पर…

Continue

Added by Dr Ashutosh Mishra on December 11, 2013 at 4:30pm — 20 Comments

मौत की रात मेरी रूह भी रो जायेगी

२१२२       १२१२       १२२      २२२

रोज आदत जो तुमसे मिल ने की हो जायेगी 

मौत की रात मेरी रूह भी रो जायेगी 

आखिरी पल क़ज़ा जो सामने होगी मेरे 

जिन्दगी इक हसीन  ख्वाब में खो जायेगी 

आज साकी बनी ग़ज़ल खडी है महफ़िल में 

रिंद जब देंगे मशविरा  सँवर  वो  जायेगी 

हार उल्फत का देख मौत होगी शर्मिंदा 

मौत खुद जिन्दगी ही हार में पो जायेगी 

बात गुल से हसीं हो खार सी कड़वी चाहे 

बीज जेहन मे ये  ग़ज़ल के ही बो…

Continue

Added by Dr Ashutosh Mishra on December 9, 2013 at 11:30am — 10 Comments

सारे शहर में उग गए मशरूम जमी पर

२२१२     १२१२    २२१    १२२ 

दम भूख से हैं तोड़ते मासूम जमीं पर 

पीकर शराब मस्ती में तू झूम जमी पर

 

बच्चे मनाते फुलझड़ी बिन रो के दिवाली 

पीकर तुझे लगे मची है धूम जमी पर 

अम्बार फरजी डिग्रियों के तूने लगाए 

लटका के अब गले में इन्हें घूम जमी पर 

दो बूँद अश्क जो गिरे आँखों से यूं तेरी 

सारे शहर में उग गए मशरूम जमी पर 

सड़कों पे गर पिया तो पोलिश का भी है पंगा 

बनवा ले झुरमुटों में ही कोई रूम जमी…

Continue

Added by Dr Ashutosh Mishra on December 4, 2013 at 11:06am — 24 Comments

Monthly Archives

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service