कैसी हो तुम?
वैसी ही शांत, संयमित और अपने को सहेजते हुए I
भाग्यशाली है वह,
जो तुम्हारे साथ है
और सुन सकता है
तुम्हारे मौन द्वारा पुकारे उसके नाम को I
भाग्यशाली है वो हवा,
जो अभी बहुत हल्के से
किरणों के बावजूद तुम्हे छूकर गई है I
भाग्यशाली है वो जल,
जो छोड़े जाने से पूर्व
तुम्हारी अंजलि में कुछ देर रुककर
तुम्हारे हाथों का स्पर्श पाता है I
भाग्यशाली हैं वो कभी कभी कहे गये…
ContinueAdded by Veerendra Jain on December 29, 2010 at 5:30pm — 10 Comments
एकाकी, एकाकी
जीवन है एकाकी...
मैं भी हूँ एकाकी,
तू भी है एकाकी,
जीवन पथ पर चलना है
हम सबको एकाकी I
ना कोई तेरा है,
ना है किसी का तू,…
Added by Veerendra Jain on December 26, 2010 at 12:00am — 13 Comments
Added by Veerendra Jain on December 6, 2010 at 11:26am — 15 Comments
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