For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सतविन्द्र कुमार राणा's Blog – December 2016 Archive (5)

तरही गजल/सतविन्द्र कुमार राणा

2122 2122 212

बह रहे हो नद-से दम भर देखिये

चलते रहना पर ठहरकर देखिए।



राज दिल के मुँह पे लाकर देखिए

आज अपनों को बताकर देखिए।



जा रहे हो दूर हमसे रूठकर

थोड़ा-सा नजदीक आकर देखिये।



नफरतों से क्या किसी को कुछ मिला?

चाह दिल में भी जगाकर देखिये।



कुछ न हासिल हो सका चलके अलग

*दो कदम तो साथ चलकर देखिए।*



मुश्किलों में भी ख़ुशी को पा लिया

मिटता उनके दिल का हर डर देखिये



मुश्किलें होती हैं सच की राह… Continue

Added by सतविन्द्र कुमार राणा on December 28, 2016 at 11:45am — 12 Comments

तरही गजल/सतविन्द्र कुमार राणा

बह्र:22 22 22 22

चाहत यार बढाने निकले

दिलको आज कमाने निकले।



जिनको समझ रहे थे अपना

आज वही बेगाने निकले।



घर छोड़ा अपनों को छोड़ा

बन कर बस अनजाने निकले।



तनहा राहें अपनी साथी

हमसे दूर जमाने निकले।



लब पर ले मुस्कान बताओ

कैसा दर्द छुपाने निकले।





जिनको समझा सबने पागल

देखो यार सयाने निकले।



अपना आपा ठीक नहीं है

गैरों को समझाने निकले।



दर्द नया यूँ ही लगता है

लेकिन जख्म पुराने… Continue

Added by सतविन्द्र कुमार राणा on December 15, 2016 at 4:30pm — 6 Comments

तरही गजल/राणा

बह्र 2122 2122 2122 212

गर मरे उम्मीद फिर कुछ भी यहां बचता नहीं

छोड़ दें उम्मीद को ये फैसला अच्छा नहीं।



गर्दिशों में जी रही आवाम सारी जब यहाँ

ऐश से तब हुक्मरां का टूटता नाता नहीं।



जिंदगी वो डोर है जिससे बँधा इंसान है

साथ उसका भी मगर होता हमेशा का नहीं।



मर मिटा है आज तू जिसकी हिफाज़त के लिए

बेवफा हमदम वो तेरी मौत पे आया नहीं।



कायदा-ए-जिंदगी भी है जरूरी दोस्तो

कायदे को छोड़ दें तो कुछ भी फिर जीना नहीं।



एक मुफ़लिस गर… Continue

Added by सतविन्द्र कुमार राणा on December 7, 2016 at 7:09am — 6 Comments

सब्र है सबसे बड़ा जऱ दोस्तो(तरही ग़ज़ल)/सतविन्द्र कुमार राणा

बह्र :2122 2122 212

---

उसने नगमा एक गाया देर तक

ऐसे ही हमको सुनाया देर तक।



सब्र है सबसे बड़ा जर दोस्तो

आलिमों ने यह सुझाया देर तक।



इश्क है वो रास्ता जो पाक है

सोच कर मन में बिठाया देर तक।



भाग उनके ही भले सब मानते

हो बड़ों का जिनपे साया देर तक।



भूख से तड़पा बहुत है यार वो

इसलिए उसने यूँ खाया देर तक।



भूलने की सोच कर आगे बढ़ा

भूल मैं उसको न पाया देर तक।



साथ चलने की कसम खाता रहा

आस में मुझको… Continue

Added by सतविन्द्र कुमार राणा on December 4, 2016 at 6:30am — 15 Comments

गीत(रोला छ्न्द)/सतविन्द्र कुमार राणा

गीत (रोला छ्न्द)

-----

सबपर उसका नेह,प्रकृति प्यारी है माता

खिलता हरसिंगार,रात में सुन ले भ्राता।



पँखुड़ी निर्मल श्वेत,मोह सबका मन लेती

सुंदरता है नेक,नयन को यह सुख देती

केसरिया है दंड,रंग जिसका चमकीला

हुआ मुग्ध मन देख,प्रकृति की ऐसी लीला

पुलकित होकर आज ,हृदय इसके के गुण गाता

खिलता हरसिंगार रात में सुन ले भ्राता।



देखो ज्यों ही तात, प्रात की बेला आए

अवनी पर तब पुष्प,सभी जाते छितराए

सुन्दर हरसिंगार,उठालो इनको चुनकर

बनते… Continue

Added by सतविन्द्र कुमार राणा on December 3, 2016 at 6:00pm — 9 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

1999

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, ग़ज़ल अभी और मश्क़ और समय चाहती है। "
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"जनाब ज़ैफ़ साहिब आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार करें।  घोर कलयुग में यही बस देखना…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"बहुत ख़ूब। "
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय लक्ष्मण जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमीर जी  बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के लिए आपके सुझाव बेहतर हैं सुधार कर लिया है,…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमित जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका इतनी बारीक़ी से समझने बताने और ख़ूबसू रत इस्लाह के लिए,ग़ज़ल…"
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"ग़ज़ल — 2122 2122 2122 212 धन कमाया है बहुत पर सब पड़ा रह जाएगा बाद तेरे सब ज़मीं में धन दबा…"
4 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"2122 2122 2122 212 घोर कलयुग में यही बस देखना रह जाएगा इस जहाँ में जब ख़ुदा भी नाम का रह जाएगा…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। सुधीजनो के बेहतरीन सुझाव से गजल बहुत निखर…"
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाइये।"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, कुछ सुझाव प्रस्तुत हैं…"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"जा रहे हो छोड़ कर जो मेरा क्या रह जाएगा  बिन तुम्हारे ये मेरा घर मक़बरा रह जाएगा …"
7 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service