2122 1122 1122 22 / 112
अंधा आँखों का है हर शख़्स बता देगा तुम्हें
ख़ार खाया है ये जन्मों का दग़ा देगा तुम्हें
गुरु वो घंटाल ज़माने कभी सय्याद रहा
काट कर पर वो रखेगा जो सज़ा देगा तुम्हें
झाँसे में उसके न आया करो जानाँ कभी तुम
रहती दुनिया का दरिन्दा वो क़जा देगा तुम्हें
है नशा उसको सदारत का कई बज़्म सुना
ना तुम्हारा न वो मेरा ही जता देगा तुम्हें
है वो ख़ुदगर्ज़ निहायत कहीं हद से ज़ियादा
ख़ुद…
Added by Chetan Prakash on December 20, 2023 at 6:00pm — 2 Comments
2122 1122 1122 22
ख़्वाब से जाग उठे शाह सदा दी जाए
पकड़े जायें अभी क़ातिल वो सज़ा दी जाए
बख़्श दी जाए कहीं जान ख़वातीनों की
अब तो ज़ालिम को कड़ी कोई सज़ा दी जाए
घूमते हैं वो दरिन्दे भी नकाबों में अब तो
जितना जल्दी हो उन्हें मौत बजा दी जाए
लोग अच्छे ही परेशान हैं वहशी दरिन्दों
इन्तिहाँ हो गयी अब लौ वो बुझा दी जाए
ज़ात इन्साँ की पशेमाँ है ज़रायम से 'चेतन'
तूफाँ कोई तो उठा कर…
Added by Chetan Prakash on November 27, 2023 at 12:57pm — 2 Comments
2121 2122 2121 212
खो गया सुकून दिल का कार हो गया जहाँ
गुम गया सनम भँवर में ख़ार हो गया जहाँ
कामयाबी तौलती दुनिया भरोसे जऱ ज़मी
फार्म जिनके हैं नहीं गुड़मार हो गया जहाँ
ज़िन्दगी जिसे कहा हमने कहीं छुपा गया
है निशान अपने ज़ालिम पार हो गया जहाँ
कार-ए-दुनिया और कुछ हैं और कुछ दिखें ख़ुदा
मारकाट हाल कारोबार हो गया जहाँ
तोड़ हद रहे सभी अब तो अदब जहान में
लाज लुट रही घरों मुरदार हो गया…
Added by Chetan Prakash on November 8, 2023 at 8:30pm — No Comments
Added by Chetan Prakash on September 24, 2023 at 9:46am — 1 Comment
1222 1222 1222 1222
सुहाना सुब्ह मौसम है तुम्हें अब ग़म नहीं होता
खिली है धूप गुलशन में सवेरा कम नहीं होता
वो काली रात है तारी अँधेरा कम नहीं होता
ये कैसा वक़्त आया है सनम हमदम नहीं होता
परायापन बना हासिल कि रिश्तों दम नहीं होता
न प्यारा कोई है दुनिया कभी दुख कम नहीं होता
तुम्हारी आँख का पानी अभी क्यों सूखता जानाँ
हमे तो शर्म आती हैं पशेमाँ दम नहीं होता
तुम्हारे शह्र के हालात वो…
ContinueAdded by Chetan Prakash on September 15, 2023 at 8:22am — 2 Comments
ग़ज़ल
1212 2121 1212 122
चला जाऊँगा जहाँ से तुम्हें सँवार कर के
तुम्हारी इन ख़ामियों को कहीं निखार कर के
नवाज़ा मुझको ख़ुदा ने वो अज़्म धार कर के
बुलंदी बख़्शी है उस ने ग़ज़ल बहार कर के
बड़े बड़ो को दिखाया है आइना ख़ुदा ने
निकाल दी हैंकड़ी भी उन्हें सुधार कर के
वो चोर मौसेरे भाई हैं बागबाँ चहेते
उन्हें गिरा दो निगाह से दोस्त ख़ार कर के
बहार सावन की आयी कली- कली खिली है
कि हो…
Added by Chetan Prakash on August 28, 2023 at 2:30pm — No Comments
221 2121 1221 212
अच्छा हो तुम पढ़ो ये ग़ज़ल दोस्त ध्यान से
मैंने कहा है इसको बड़े मान - कान से
हम राह में बढेंगे तो मंज़िल मिलेगी ही
मक़सद भी होगा पूरा जियें आन - बान से
हर शख़्स बदहवास अभी भागता शहर
हलकान ज़िन्दगी में है वो खान - पान से
अवसाद इस सदी की समस्या जनाब है
तनहाई मारती रही इनसान जान से
अनजान है ज़माना अभी शोध चाँद पर
आग़ाज भारती हुआ इस बार शान से
आदम…
ContinueAdded by Chetan Prakash on August 24, 2023 at 9:18am — No Comments
मोरा साजन छूटो जाय
सखी री मैं जाऊँ न पीहरवा..
पपीहा करत है पी हू पी हू
मोहे जोबन विरह हो जाय
सखी री मै जाऊँ न पीहरवा...!
कोयल बोलै कुूहू कुहू बागन में
मोरा सावन सूखौ जाय
सखी री मै जाऊँ न पीहरवा...!
नाचत मोर बदरिया बरसत है
मोरा आँगन बिसरौ जाय
सखी री मैं जाऊँ न पीहरवा..!
मरौ ददुरवा बूँद पी रह जाय
लो सोवत रहत साल भर वो तो
मो पै बिन पिया…
Added by Chetan Prakash on August 21, 2023 at 2:30pm — 1 Comment
212 1222 212 1222
दिलजले लगे हैं फिर घर नया बसाने में
रह गये हैं वो खुद पीछे हमें उठाने में
रतजगे कई होते दोस्त घर बनाने में
भारती बहा है खूँ फिर इसे बसाने में
राह भटके रहबर अब ख़ुदगर्ज़ हुए हैं वो
बेलगाम होकर याँ व्यस्त घर लुटाने में
बाँट कर हुकूमत ने साधे स्वार्थ अपने हैं
पर लगे ज़माने उसको हमें जगाने में
भुखमरी ग़रीबी हटती नहीं हटाने से
बढ़ रही अमीरी उल्टा उसे भगाने…
Added by Chetan Prakash on August 16, 2023 at 8:30am — 2 Comments
ग़ज़ल
1212 1212 1212 1212
सुनो पुकार राष्ट्र की बढ़े चलो सुजान से
मिटेंगे अंथकार के निशाँ बढ़ो सुजान से
निशाना चूक जाए ना बचे रहो सुजान से
वो सारा देश देखता तुम्हें, चलो सुजान से
रहेगा नाम वीरों का किताबों में रिसालों में
मरो तो देश के लिये सखा जियो सुजान से
हमें जहाँ को देना है नहीं किसी से लेना है
ऐसा विचार हो कहीं सही पढ़ो सुजान से
निशान छोड़ जाओ कोई वक़्त की शिलाओं…
ContinueAdded by Chetan Prakash on August 14, 2023 at 2:30pm — 2 Comments
कौन बाँधे तू बता, बिल्ली ...घंटी आज ।
चूहों की बारात है, गधों के सर स्वराज।।
ग़ज़ल की बज़्म है सजा, चूहों.. का दरबार ।
कहते कलाम... शोहदे, होते ....हाहाकार ।।
रोबोट हो गये सखा, सच के पैरोकार ।
शेर हथेली पीटते, करते हैं जयकार ।।
अब तो शिकार हो रहे, शायर मंच विकार ।
रीमोट, सिद्ध बन गये, ग़ज़ल कहें..दरबार ।।
बनते मूर्ख बुद्ध यहाँ, फँसे हैं वाग्जाल ।
कौन यहाँ है पूछता, मरहूम…
Added by Chetan Prakash on August 3, 2023 at 12:00pm — No Comments
2121 2122 21 21 2122
हम को कौन जानता था तेरी बन्दगी से पहले
चाल - ढाल खो चुके थे हम तो आशिक़ी से पहले
बन सँवर गये नहींं हम तेेरी दोस्ती से पहले
कब था ये सलीका हमको अपनी गुमशुदी से पहलेे
कूद-फाँद की बहुत पर थाह हो नहीं सकी जाँ
ज़िन्दगी के गुर न पाये हम भी ख़़ुदक़शी से पहले
खो सको जुनूूँ-मुहब्बत आना इस डगर को यारो
अन्यथा कहोगे मरना अच्छा हर सती से पहले
खूब मयकशी की हमने साथ साक़ी थी वो…
ContinueAdded by Chetan Prakash on July 12, 2023 at 10:41am — No Comments
221 2122 221 2122
सावन हवा सुहानी आँखों कहीं नमी है
अब आ भी जाओ जानाँ तुम बिन नहीं खुशी है
छोड़ो भी दिल्लगी अब तन्हाई मारती है
बढ़ती है अब उदासी बदहाल ज़िन्दगी है
बादल बुझा रहा है सुन प्यास इस ज़मीं की
तू भी बसा मेरी दुनिया जो नहीं सजी है
ताउम्र तुमको चाहा मेरा जहाँ तुम्हीं हो
जाँ दिल मलो कि अब तो बेदर्द सी ग़मी है
अलमस्त जी रहे थे हम साथ-साथ जानाँ
ऐसा हुआ वो क्या हमसे जो ये बेदिली…
Added by Chetan Prakash on July 7, 2023 at 1:34pm — 1 Comment
ग़ज़ल
221 2121 1221 212
मदमस्त हम न हों कभी आँखों नमी से हम
सुख दुख रहें खुशी से सदा बन्दगी से हम
हर शख़्स चाहता है ख़ुशी से हो ज़िन्दगी
तस्बीह हो ख़ुदा की बचें हर बदी से हम
हमदर्द बन रहें कभी ज़िन्दा न लाश हों
खुशहाल ज़िन्दगी जियें इन्सान ही से हम
हमको क़सम ख़ुदा की न ज़ालिम का साथ हो
खुशहाल हर कोई कि हर दम नबी से हम
हम भूल कर भी साथ न हों साज़िशों कहीं
जल्लाद हर कहीं हैं…
Added by Chetan Prakash on June 30, 2023 at 5:06pm — 2 Comments
दिया दिखाते सूर्य को, बनकर वो कवि सूर ।
आखर एक पढ़ा नहीं, महफिल की हैं हूर ।।
बुद्ध ...पड़े ..बेकार ..हैं, जग की रेलम पेल ।
कि गधों के सिर ताज है, चलते उलटी रेल ।।
नवाँकुरों ..के घर हुई, उस्तादों... से रार ।
आज ग़ज़ल प्राईमरी, मीर भी गिरफ्तार ।।
छूट मिली थी जो चचा , उन्हें नहीं दरकार ।
आँखों ..के ...अन्धे हुए, घर के पहरे दार ।।
ज़ुल्म करते रहे अदब, बदल काफिया…
ContinueAdded by Chetan Prakash on June 25, 2023 at 9:30am — 1 Comment
22 22 22 22 2
आँगन-आँगन अब धूप खिली है
कि..अंगड़ाई ले ..नदी ..बही है
ओस पत्तियाें हुई सतरँगी है
बसंत, बूँद हीर कनी बनी है
बागों बहार फूल कली आई
ऋुतु बसन्त भी बन वधू बिछी है
लिखा शह्र के भाग्य अभी रोना
गली-सड़क याँ, लू गर्म बही है
तपता तवा सड़क तारकोल की
मुफलिस के घर वो छान पड़ी है
आई क्या गरमी मई - जून की
मौत आम जन सर, आन पड़ी है
बहरा हो गया ख़ुदा…
ContinueAdded by Chetan Prakash on June 12, 2023 at 5:26pm — No Comments
दुर्दशा हुई मातृ भूमि जो, गंगा ...हुई... .पुरानी है
पावन देवि सरस्वती तुझे, कविता-कथा सुनानी है !
दोहा ..सोरठा ..सवैया तज, कवि मुक्त काव्य लिखता है ।
सिद्ध छंद छोड़ काव्य वह अब, भार गिरा कर पढ़ता है ।।
ग़ज़ल उसे बहुत भाती रही, याद ,.,कविता.. दिलानी है ।
कविता का ..मर्म नहीं.. जाने , घुट्टी ..उन्हें ...पिलानी है ।।
पावन देवि सरस्वती तुझे, कविता - कथा.. सुनानी है !
माँ शारदे .. सुन, वरदान दे, दास काव्य का..बन…
ContinueAdded by Chetan Prakash on June 1, 2023 at 7:35am — 1 Comment
1212 1122 1212 22
है ज़हर आज हवाओं में, दिल दहलते हैं
मुनाफ़िकों की है बस्ती कि वो टहलते हैं
के चार सू यहाँ मरते हैं लोग तनहाई
बुझे- बुझे से हैं बूढ़े कहीं निकलते हैं
कि ख़ौफनाक है मंज़र ये नफ़रतों दुनिया
ये ज़ालिमों की है बस्ती खला बहलते हैं
वो शर्म मर गयी आँखों की ग़मज़दा हम हैं
करें भी क्या अदब वाले यहाँ से चलते हैं
गुलाम देते सलामी वो शाह भी खुश हैं
कि मार डाले हैं दुश्मन जहाँ जो…
Added by Chetan Prakash on May 29, 2023 at 7:30am — No Comments
1222 1222 122
कहूँ सच आपका कोई नहीं है
जहाँ में आश्ना कोई नहीं है
सबूतों बात ये कह दी अभी से
वो दुनिया में मिरा कोई नहीं है
ये सब माया उसी की जो छुपा है
सिवा उसके ख़ुदा कोई नहीं है
अकेलापन बड़ी सबसे सज़ा है
अभागा अन्यथा कोई नहीं हैं
किया जो ज़ुर्म उसने वो भरेगा
वो मेरा मुँहलगा कोई नहीं है
मुखौटा कब कोई पहना है मैंने
बहस ये मुद्दआ कोई नहीं है
जो है इनसान का…
ContinueAdded by Chetan Prakash on March 12, 2023 at 7:44pm — 2 Comments
2122 1212 22 / 112
कारवाँ प्यार का रुका क्यूँ है
हादसा आज ये हुआ क्यूँ है
गुलदस्ता वो नहीं कोई फूल नहीं
दीवाना दोस्त गुमशुदा क्यूँ है
चलनी है रहगुज़र मुझे और भी
बदगुमाँ फिर वो दिलरुबा क्यूँ है
वो जुनूँ प्यार का हवा हो गया
होंसला बारहा हुआ क्यूँ है
कौन जाने वो मसअला क्या है
राय़गाँ हुस्न अब हुआ क्यूँ है
कोई रिश्ता ठहरता ही नहीं याँ
राबतों को ये बद्दुआ क्यूँ…
ContinueAdded by Chetan Prakash on February 17, 2023 at 7:43am — 1 Comment
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