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Rash Bihari Ravi's Blog (153)

एक बार पीकर देखो ये जीवन का जाम हैं ,

एक बार पीकर देखो ये जीवन का जाम हैं ,

आपके ही लिए है ये आप ही का नाम हैं ,
पहले आपको मिला माँ बाप भाई का साया ,
बचपन में मस्त रहना ये आपका काम हैं ,
दोस्त मनाएँ खुशिया मनाये यौवन में जब पाँव धरे ,
गलती कर गए मस्ती में ये भूल की शाम हैं ,
जो सुधरा वही बन गया अब चेहरा आदर्श का ,
उम्र की ढलती बेला में दीखता तमाम है ,
पावन कोमल निर्मल सुबह के जैसा बचपन हैं…
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Added by Rash Bihari Ravi on June 1, 2011 at 1:00pm — 2 Comments

अब किस के लिए ,

अधुरा जीवन जिऊँ  ,

अब किस के लिए ?



तू उनका ही नहीं हुआ .

जिन्होंने तुझे जन्म दिया,

बोल जी रहा हैं तू ,

अब किस के लिए ?



पैसा सब कुछ नहीं हैं ,

मगर पैसा ना हो ,

तो कुछ भी नहीं हैं ,

और तू पैसे के लिए ,



घरवार छोड़ दिया ,

तू आया साथ लाया ,

अपने बीबी और बच्चो को ,

उनको छोड़ दिया ,

सपने में भी उनको ,

एक गिलास पानी दिया ,

वो तुम्हारे पैसे को नहीं ,

तुम्हारी राह देखते हैं ,

उनके इस अधूरे…
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Added by Rash Bihari Ravi on May 26, 2011 at 1:30pm — No Comments

आज एक बार फिर OBO पे मेरी कविता ,

क्या करू मन कहता हैं उसको मैंने लिखा ,

आज एक बार फिर OBO पे मेरी कविता ,
राजा दसरथ के चौथापन नहीं कोई संतान ,
फिर गुरु वसिष्ठ ने दिया उनको ज्ञान ,
हुई जग सफल और प्रभु लिए अवतार ,
राम लक्ष्मण भरत शत्रुधन भाई चार ,
चौदह साल की वनवास बोल दिए पिता ,
चल पड़े प्रभु राम संग लक्ष्मण और सीता ,
रावण ने…
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Added by Rash Bihari Ravi on May 24, 2011 at 7:30pm — 1 Comment

मेरे सपनों में अक्सर नेता जी आते हैं .

मेरे सपनों में अक्सर नेता जी आते हैं .

उनके आते ही मन में हलचल मच जाती हैं ,
और मैं उनको देखता हूँ ,
उन्हें सुनता हूँ
और उसके बाद ,
इस निर्णय पे…
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Added by Rash Bihari Ravi on May 9, 2011 at 12:30pm — 1 Comment

जो माया बंधन में भटका ,

जो माया बंधन में भटका ,
उनके वश में कुछ नहीं रहता ,
जो माया वश में रहते हैं ,
बिन बिचारे बात कहत हैं ,
जो अज्ञान रूपी मदिरा पिया ,
गए तुम भी जो वचन ध्यान दिया ,
सगुण अगुण में नहीं भेद है ,
ज्ञानी पंडित वेद कहे हैं ,
रवि गुरु जो कुछ भूल बोले ,
ध्यान न देना यही कहत हैं ,

Added by Rash Bihari Ravi on May 2, 2011 at 1:45pm — No Comments

भाग्य और पुरुषार्थ

भाग्य और पुरुषार्थ ,
जीवन के दो पहलू हैं ,
पुरुषार्थ कर्म से होता है ,…
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Added by Rash Bihari Ravi on April 14, 2011 at 5:30pm — No Comments

अभिमानवश

जो अभिमानवश अपना आकार बढ़ाना चाहता हैं , 
वो शायद भूल जाता है....
अहं का बढ़ता आकार ही तो अहंकार है ,
इसी वजह से द्रष्टा स्वयं को ,…
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Added by Rash Bihari Ravi on April 14, 2011 at 4:30pm — 14 Comments

सोचता हूँ कुछ बोलूँ क्या उन्हें पसंद आएगा ,

सोचता हूँ कुछ बोलूँ क्या उन्हें पसंद आएगा ,



मेरी टूटी फूटी बोल में क्या उन्हें आंनद आएगा ,


मैं जानता हूँ वो मीन मेख निकालते हैं मगर ,


उस मीन मेख में भी मुझे प्यार नजर आएगा ,


सोचता हूँ कुछ बोलूँ क्या उन्हें पसंद आएगा ,


जानता हूँ कितना भी अच्छा करूँ मगर उनको ,



वो उन्हें भाता नहीं और मुझमे निखार चाहते हैं ,


मगर उनके निखारने में क्या मेरा उम्र चली जाएगी ,



जो कुछ भी हो वो खुश रहे हरदम ये दिल चाहेगा ,


सोचता हूँ…
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Added by Rash Bihari Ravi on April 14, 2011 at 4:19pm — 1 Comment

जो भी किया मैंने बस जीने के लिए ,

जो भी किया मैंने बस जीने के लिए ,
लोग कहते हैं जीता हैं पीने के लिए ,


कसम से उनकी बात सत्य हैं यारो ,
मगर दो घूँट जरुरी दर्दे जिगर के लिए ,


दिल में बैठे थे वो मालिक बन कर ,
और छोड़ गए तन्हा मरने के लिए ,


पता हैं मैं क्यों पिए जा रहा हूँ ,
आस लगाये बैठा हूँ बेवफा के लिए ,


वो मिले या न मिले मगर ये दिल ,
तू संभल जा बस गुरु के लिए ,

Added by Rash Bihari Ravi on March 22, 2011 at 4:00pm — No Comments

होली आई रे आई रे होली आई रे ,

होली आई रे आई रे होली आई रे ,

लेकर दोस्तों की तकरार ,

संग में चुनावी तेवहार ,

देखो दोस्त करे लड़ाई रे ,

होली आई रे आई रे होली आई रे ,

आगे पार्नव  की पुकार  ,

फिर दीदी का बेवहार ,

करे कभी मिलन कभी जुदाई रे ,

होली आई रे आई रे होली आई रे ,

कांग्रेस में मची हाहाकार ,

लाल भी थोड़ा परेशान ,

हिंदी भासियो की यहा नहीं कोई सुनवाई रे ,

होली आई रे आई रे होली आई रे ,

सबका डंका बाजे यार ,

जीतेगा होगी जय जयकार ,

जित के लिए हैं जरुरी… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on March 18, 2011 at 6:09pm — No Comments

उनके परम प्रिये ,

उनके परम प्रिये ,

बार बार झटके दिए ,

उन्होंने बार बार जोड़ा ,

और वो झटके में तोड़ दिए ,

उनके परम प्रिये ,

पहली गलती माँ बाप की ,

जो अब देता हैं दिखाई ,

उनकी उम्र थी चालीस की ,

और सोलह के मिले ,

उनके परम प्रिये ,

अब हुई ओ तिस की ,

और ये साठ के करीब हैं ,

अजब लगा था उन्हें ,

पति के जगह अंकल पहचान दिए ,

उनके परम प्रिये ,

एक दिन उस अंकल के ,

उस प्रिया को सब्ज बाग दिखाया ,

उनको अपने करीब पाया ,

और दोनों निकल लिए… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on March 11, 2011 at 12:33pm — 1 Comment

प्रभु ये क्या गजब कर डाला ,

प्रभु ये क्या गजब कर डाला ....



एक बार एक भक्त ,

भगवान शिव की ,

लगातार आराधना की ,

उसने भगवन शिव की ,

मन जीत ली ,

एक दिन भगवन शिव ,

दर्शन दिए ,

उससे बोले ,

एक वर मांगने के लिए ,

उसने सोचा ,

फिर बोला ,

भगवन मुझे किसी भी ,

त्रिसंकू बिधानसभा का ,

निर्दलीय सदस्य बना दो ,

प्रभु यही एक वर दो ,

भगवान शिव ने कहा ,

ऐसा ही होगा ,

इतना बोल भगवन कैलाश गए ,

तब माँ पार्बती ने कहा ,

प्रभु ये क्या गजब कर…

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Added by Rash Bihari Ravi on March 10, 2011 at 1:30pm — 1 Comment

अक्सर सोच कर ,

अक्सर सोच कर

समझ कर

चुप रह जाता हूँ ,

जब गहराई में

जाता हूँ ,

तो बस

इतना ही पाता हूँ ,

अक्सर सोच कर ,

समझ कर

चुप रह जाता हूँ ,

नेता बना हैं ,

देश को लुटने के लिए ,

मगर नेता जी की

बात सोचता हूँ ,

बहुत कुछ पाता हूँ

अक्सर सोच कर ,

समझ कर

चुप रह जाता हूँ ,

बेटा बना हैं ,

माँ बाप को चूसने के लिए ,

मगर सरवन कुमार को ,

सोचता हूँ तो ,

बहुत कुछ पाता हूँ

अक्सर सोच कर ,

समझ कर… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on March 10, 2011 at 1:30pm — 2 Comments

गड़बड़ मत कर समझकर ,

गड़बड़ मत कर समझकर ,
चल हरदम सत्य पथ पर ,
रख हरदम पकर मन पर ,
गड़बड़ मत कर समझकर ,
समझ मत (निर्णय) हर पल ,
कम कर गम हँस हँस कर ,
बढ़ चल डगर संभलकर ,
गड़बड़ मत कर समझकर ,
हरदम समय पर सब कर ,
अक्सर समय पकर सच कर ,
बढ़ बस बढ़ पथ बन कर ,
गड़बड़ मत कर समझकर ,

Added by Rash Bihari Ravi on March 10, 2011 at 1:17pm — 1 Comment

नारी तेरी अजब कहानी हैं ,

नारी तेरी अजब कहानी हैं ,
तुम्ही माता तुम्ही बहना ,
तुम्ही बेटी तुम्ही दादी-नानी हैं ,
नारी तेरी अजब कहानी हैं ,
तुम्ही आदि शक्ति माता ,
तुम्ही ने ही धरती पे लाई बिधाता ,
सब जाने ये ना जुबानी हैं ,
नारी तेरी अजब कहानी हैं ,
आज सब कुछ बदल गया ,
जुल्म में आगे निकल गया ,
तुम्ही सास ननद और जेठानी हैं ,
नारी तेरी अजब कहानी हैं ,
नारी जलाई जाती है ,
नारी का नाम नारायणी हैं ,
ये बड़ी दुखद कहानी हैं ,
नारी तेरी अजब कहानी हैं ,

Added by Rash Bihari Ravi on March 8, 2011 at 5:30pm — 1 Comment

शब्द जाल

शब्दों के जाल में फँस कर उलझ गया हूँ ,

मैं बस शब्द बन कर रह गया हूँ ,

सोचता हूँ निकल जाऊ इस जाल से ,

मगर वो कर नहीं पाता, कारण ?

जब भी कोशिश करता हूँ ,

और भी उलझता ही जाता हूँ ,

पहले बेटा फिर भाई ,

फिर काका बन गया ,

आगे चल कर पति ,

फिर पिता और अब ,

दादा बन गया हूँ ,

अगर अब भी नहीं निकल पाया ,

तो ये मेरी बदनसीबी हैं ,

हे प्रभु बुद्धि दे ,

मेरी सुधि ले ,

कि मैं इस मकड़ जाल से निकल सकूँ  ,

और इन शब्द जाल से निकल…

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Added by Rash Bihari Ravi on March 2, 2011 at 4:00pm — 3 Comments

"OBO लाइव विश्व भोजपुरी कवि सम्मेलन" -एक कविता

OBO लाइव विश्व भोजपुरी कवि सम्मेलन ,

होगी इसमें भाइयो की मिलन ,

कविओ की कला सामने आएगी ,…

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Added by Rash Bihari Ravi on February 4, 2011 at 6:00pm — 1 Comment

तेरी खूबसूरत आँखों की कसम ,

तेरी खूबसूरत आँखों की कसम ,
तेरे बिन हम भी जी लेंगे सनम ,
क्या हुआ तुने ये जो गम दिया ,
जियेंगे उन गमो के सहारे हम ,
दर्द ये जीने की चाहत को घटाए ,
जी रहे हैं की नही मरना हैं सनम ,
तुम चाहे मुझको नजरो से उतारो ,
हरदम तुम्हे पलकों पे बिठाएंगे हम ,
जीवन रहेगा जब तक कसक रहेगी ,
किसी से ना कहुगा हैं तेरी कसम ,
मन की ये चाहत खुशिया तुझे मिले ,
उठाने के लिए हैं गम की पहाड़ सनम ,

Added by Rash Bihari Ravi on January 10, 2011 at 3:00pm — No Comments

अधूरा सच

कभी कभी आधी बात सुनाने के बाद वही स्थिति हो जाती हैं , जो गुरु द्रोणाचार्य की हुई थी , उन्होंने सुना अश्वस्थामा मारा गया बाकि शब्द शंख  के आवाज में दब गए ,  और वह समझे उनका बेटा मारा गया और इसी अघात में वह भी मारे गए , आजकल ऐसा ही हो रहा हैं लोग बाग पूरे शब्द को सुन नही रहे और आधे पे अर्थ को अनर्थ बना दे रहे हैं ! 

 

एक माँ बाप की एक ही लड़की थी , उसकी माँ औलाद (लड़का) नहीं होने के कारण रो रही थी और बेटी उसे सांत्वना दे रही थी , माँ मैं दुनिया की उस सोच को ख़त्म कर दूंगी की…

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Added by Rash Bihari Ravi on January 8, 2011 at 3:00pm — No Comments

सबसे पहले नमस्कार दो हजार दस साल को ,

सबसे पहले नमस्कार दो हजार दस साल को ,

हम नहीं भूल पाएंगे जो हुए हाल बेहाल को ,

फिर स्वागत करता हूँ  साल दो हजार ग्यारह ,

आशा नहीं विश्वास हैं रहेगा सबका पौं बारह ,

कसम से ख़ुशी का दिन हैं नया साल आया  ,

और इस ख़ुशी को दोस्तों ने दो गुण है बढाया ,

मुबारकवाद उन को जिनका जनम दिन हैं ,

बबिता जी भरत कुमार संग में बिजय जी ,

धनेश जी , ब्रजेश जी और गयासुदीन शेख ,

गोपाल जी इन्द्रजीत जी और नव सोही ,

प्रभाकर पाण्डेय ,रवि प्रभाकर के संग संजय जी… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on January 1, 2011 at 1:30pm — 3 Comments

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