पल पल बढ़ चल
बढ़ चल बढ़ चल....
पढ़ कर हर पल,
चढ़ नभ थल जल.
पल पल बढ़ चल....
कर कर कर छल
तन कर मत चल
मन मन मत जल
तज मन छल खल
पल पल बढ़ चल.....
कर पर धन…
Added by Dr Ajay Kumar Sharma on December 29, 2011 at 11:37am — 1 Comment
आत्मविस्मरण
विद्युत सी तरंग ,
कम्पन का भूकंप ,
स्पर्श नहीं आग !
मन से तन तक जाग !
सांसों में उच्छ्वास,
एक एहसास ...
होश नहीं,
जान बही !
कम्पित होठों की प्यास,
एक एहसास ...
हाथों में नर्म बारूद,
बारूद मुख में,
विस्फोट नस नस में !
बढ़ी प्यास,
एक एहसास ...
रिक्तता उभय ओर,
पूर्णता पे जोर,
साँसों का…
ContinueAdded by Dr Ajay Kumar Sharma on December 28, 2011 at 4:32pm — 2 Comments
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |