Added by Ashish Srivastava on September 2, 2012 at 7:05pm — 4 Comments
हवा के रुख को जो मोड़े वही बादल घनेरा था
जगह बारिश की जो बदले वही झोंका हवा का था
बदल मैं क्यूँ नहीं पाया मोहब्ब्बत इश्क की राहें
तुम्हे मुझसे रही उल्फत, मगर मुझे इश्क तुमसे था
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अगर मुझको मोहब्बत थी, तुम्हे फिर इश्क हमसे था
अधर में रह गया क्यूँ फिर मोहब्बत का मेरा किस्सा
लिखावट उस विधाता की , बदल…
Added by Ashish Srivastava on September 2, 2012 at 1:00pm — No Comments
Added by Ashish Srivastava on August 7, 2012 at 9:00pm — 8 Comments
अगर हम उन्हें अपना नहीं मानते
तो ये रिश्ते बनते कैसे
हर वक़्त हर पल , हम और तुम
इश्क की आग में जलते कैसे
क्यूँ दस्तक देती रोज़ हमारी चौखट पर
क्यूँ चौंकते हम रोज़ तुम्हरी आहट पर
दर्पण में हर बार तुमहरा चेहरा था
मन , जल में रह जल बिन सा था
जब नाम खुदा का लेते थे ,
पर नाम तेरा ही आता था
हर बार बुझी सी आँखों में…
Added by Ashish Srivastava on August 3, 2012 at 9:00pm — 4 Comments
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