नेता जी ,
चुनाव के मौसम में
होते हैं ,
लोगो के ,
बहुत ही करीब के
और वह अक्सर ,
समझ जाते हैं ,
इशारे गरीब के,
जिन्हें नसीब न हुई थी ,
मुद्दतों से ,
सूखी रोटिया,
अब बाँट रहे हैं उनको,
दारू और बोटियाँ ,
और ले जाते हैं
उनकी वोट ,
बन कर करीब के ,
यूं समझते हैं वो
इशारे गरीब के
Added by Rash Bihari Ravi on August 23, 2010 at 7:30pm —
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कौन कहता है हमारा हिंदुस्तान गरीब हैं,
नहीं विश्वास तो मल्टीप्लेक्स पर देखिये,
भीड़ लगी रहती टिकट सौ के करीब हैं ,
कौन कहता है हमारा हिंदुस्तान गरीब हैं ,
ट्रेनों में अक्सर आरक्षण फुल रहता हैं ,
अग्रिम पश्चात स्कार्पियो महीनो बाद मिलता हैं ,
हर किसी के पास पैसा बनाने की तरकीब हैं ,
कौन कहता है हमारा हिंदुस्तान गरीब हैं ,
शराब की दुकानें लोगो से भरी रहती हैं ,
हवाई जहाज में भी सीट नहीं मिलती हैं ,
पेपर पर राष्ट्र हमारा उन्नति के करीब…
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Added by Rash Bihari Ravi on August 23, 2010 at 3:00pm —
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चंडी रूप धारण किए
आँखों में दहकते शोले लिए
मुख से ज्वालामुखी का लावा उगलती
बीच सड़क में
ना जाने वह किसे और क्यों
लगातार कोसे जा रही थी
सड़क पर आने जाने वाले सभी
उस अग्निकुंड की तपिश से
दामन बचा बचा कर निकल रहे थे
ना जाने क्यों सहसा ही .....
मुझ में साहस का संचार हुआ
मैंने पूछ ही लिया
बहना....,
क्या माजरा है ?
क्यों बीच सड़क में धधक रही हो ?
उसकी ज्वाला भरी आँखों से
गंगा यमुना की धार बह निकली
रुंधे गले से उसका दर्द…
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Added by Rash Bihari Ravi on August 23, 2010 at 2:30pm —
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डॉन फ्रेजर तू उसी आस्ट्रेलिया की हैं ,
जो भारतीयों पर आतंकियों सा हमला करते हैं ,
तुम्हारे देश वाले शर्म से क्यों नहीं मरते हैं ,
शर्म हो तो फिर आवाज मत उठाना ,
तू बहिस्कार की बात करती हैं ,
मैं कहता हु तुम जैसे कायरो की जरुरत नहीं हैं ,
हिंदुस्तान अतिथियो को भगवान मानता हैं ,
तुम जैसे कायरो को दूर से सलाम करता हैं ,
Added by Rash Bihari Ravi on August 19, 2010 at 4:30pm —
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वाह रे हिंद के लोकतंत्र ,
सब कुछ दिखा दिया ,
तेरे प्रतिनिधियों में भी ,
अब दिखने लगी एकता ,
हम सब समझते हैं,
कारण ?
लुट सको तो लुट लो ,
सदन में जो एक दुसरे को ,
बोलने नहीं देते ,
बच्चो सा लड़ते ,
मूर्खो सा हरकत करते ,
आज है हाथ मिलाते,
कारण ?
लुट सको तो लुट लो ,
वेतन की बात अच्छी हैं ,
सचिव से ज्यादा चाहिए ,
हम इसकी पहल करेंगे ,
मगर इमानदार बन के दिखाइए ,
आते फकीर, बन जाते अमीर,
कारण ?
लुट सको तो…
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Added by Rash Bihari Ravi on August 19, 2010 at 4:00pm —
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लूटो ..
कितना लूटोगे ???
अब तक कितनो ने लूटा ,
मगर
दुःख नहीं हुआ ,
कारण ???
मुग़ल बाहर से आये थे ,
अंग्रेज भी बाहर वाले थे ,
वो लूटते रहे ,
और मेरे अपनों को,
लूट में सहयोगी बनाते रहे ,
और मैं कराहती रही !!,
मगर तब भी उतना दुःख नहीं हुआ ,
जो अब होता हैं ,
मगर
तुम तो मुगलों और अंग्रेजो से भी ,
दो कदम आगे निकले ,
लूटो !!!
मगर तुम्हे धिक्कार हैं ,
अपनी माँ को भी नहीं छोड़ा,
अब कभी पैदा नहीं करुँगी…
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Added by Rash Bihari Ravi on August 13, 2010 at 8:00pm —
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क्या समझते हो ,
मैं थक के हार के ,
बैठ जाऊंगा ,
ये सोच जो हैं आपकी ,
इसे गलत साबित कर दूंगा ,
मैं हूँ भोजपुरी पुत्र ,
भोजपुरिया ,
और मैं दहाड़ता रहूँगा ,
चाहे आप मानो या ना मानो
मुझे भाषा ,
मैं आपके सीने पे चिंघाड़ता रहूँगा ,
कब तक मिटाते रहोगे मुझको ,
अपने सदन पटल से ,
अरे बेशर्मो ,
मुझे चाहने वाले....
हिंदुस्तान में हिंदी के बाद ,
सबसे ज्यादा हैं ,
मैंने ही दिया था राजेंद्र बाबु को ,
जिसका तुम गुणगान…
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Added by Rash Bihari Ravi on August 13, 2010 at 7:00pm —
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भाई कोई मुझे बताये गुरु पागल को समझाए ,
सोहराबुदीन कौन था जिसको दिए सब मिटाए ,
कोई कहता था आतंकबादी था वो बड़ा हठीला ,
किया क्यों उसके कारण मुश्किल किसी का जीना ,
मर गया तो मिट गई बाते क्यों उल्टी हवा बहाए ,
भाई कोई मुझे बताये गुरु पागल को समझाए ,
जो ऐसा काम किया क्यों उसे सूली पे चढाते हो ,
अफजल गुरु को जो बचाए उसको सलाम बजाते हो ,
जागो हिंद के जागो भाई करो उसको सलाम ,
जो इस तरफ के कालिख पोतो के काम करे तमाम ,
सिद्ध हुआ था आतंकबादी मारे तो तगमा…
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Added by Rash Bihari Ravi on August 2, 2010 at 2:00pm —
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कौन कहता हैं सी बी आई का दुरूपयोग होता हैं,
1984 के दंगों के आरोपी को छोडती हैं ,
जनता के मांग पर फिर केस चलता हैं ,
उसके बाद दोबारा सज्जन कुमार अंदर जाता हैं ,
कौन कहता हैं सी बी आई का दुरूपयोग होता हैं,
टाइटलर हैं किस्मत वाले दोबारा क्लीन चिट मिली ,
अमित शाह को लेकर भाजपा ने जो बक्तब्य दिया ,
आम आदमी सोचने पर मजबूर हो जाता हैं ,
कौन कहता हैं सी बी आई का दुरूपयोग होता हैं,
Added by Rash Bihari Ravi on July 27, 2010 at 1:30pm —
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कमर तोड़ दी ये बेदर्द महंगाई ,
जीने नहीं देती हैं बेशर्म महंगाई ,
गेहू जो आज कल राशन में आता हैं ,
तीन दिन तक भोजन चल पाता हैं ,
सत्ताईस की हर दम रहती है जोहाई,
कमर तोड़ दी ये बेदर्द महंगाई ,
चीनी के दाम बढे आलू रुलाता हैं ,
चावल लेने में आसू आ जाता हैं ,
नौकरी नहीं हैं करता खेती बारी ,
बारिश ना होती हैं जाती जान हमारी ,
बचालो जीवन मेरा सरकार दुहाई ,
कमर तोड़ दी ये बेदर्द महंगाई ,
Added by Rash Bihari Ravi on July 16, 2010 at 5:30pm —
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किस पे करू भरोसा मन ये मेरा पूछे ,
जिसको भी दिल से चाह वो मुझसे रूठे ,
मैंने तो जिन्दगी में सबकुछ उनको माना ,
कब हुए पराये ये दिल जान ना पाया ,
जिनके लिए ये जीवन ओ बोलते हैं झूठे ,
किस पे करू भरोसा मन ये मेरा पूछे ,
उनको बसाया दिल में देवी बना के पूजा ,
केसे बताऊ क्या हुआ की उनके संग दूजा ,
हस हस के बात करे ओ जैसे ना देखे हो ,
जलता हुआ देख हसे औरो से पूछे ओ ,
हैं अभी ओ यहा या की दुनिया अब छूटे ,
किस पे करू भरोसा मन ये मेरा पूछे…
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Added by Rash Bihari Ravi on July 15, 2010 at 6:13pm —
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सत्य दिखता नही ,
या सच्चाई से परहेज हैं ,
सच्चाई स्वीकारते नहीं ,
इसी बात का खेद हैं ,
सच्चाई न स्वीकारना ,
कितना महंगा पड़ता है ,
आप ही देखिये ,
महाभारत गवाह हैं ,
रामायण ही लीजिये ,
रावण की लंका जली ,
सत्य दिखा तुलसी को ,
तो तुलसी दास बने ,
सत्य दिखा बाल्मीकि को ,
तो उत्तम प्रकाश बने ,
सत्य दिखा अर्जुन को ,
कितनो का कल्याण किये ,
सत्य दिखा सिद्धार्थ को ,
तो गौतम महान बने ,
सत्य दिखा हरिश्चंद्र को…
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Added by Rash Bihari Ravi on July 15, 2010 at 3:00pm —
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सिंध में हिन्दुओ पर हो रहा है हमला ,
पर हम क्यों बोले ये उनके घर का है मामला ,
मगर मानवता के नाते हमारी सरकार को ,
साथ में हिंद के नहीं बिस्व के मानवा अधिकार को ,
आना चाहिए था इनके तरफ से जुमला ,
सिंध में हिन्दुओ पर हो रहा है हमला ,
हमारे नेता कुछ नहीं बोलेंगे ,
उन्हें भोट का चिंता है ,
ये क्यों पूछे ओ मर गया या जिन्दा है ,
पानी पिने पर इतना बिबाद हो रहा है ,
लाखो लोग हिंद में आने के लिए रो रहा हैं ,
पर ये तो बन रहा है ,
बीजा और पासपोट…
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Added by Rash Bihari Ravi on July 13, 2010 at 6:46pm —
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मेरा क्या होगा ,
कभी एक गब्बर हुआ करता था ,
अब गब्बर ही गब्बर हैं ,
कालिया तो एक बार सुना ,
तेरा क्या होगा ,
और हालात देख कर ,
मेरा दिल बार बार सोचता हैं ,
मेरा क्या होगा ,
हर गली में ,
मिल जाते हैं ,
डराने वाले ,
बीरू जय कम ,
ज्यादा समभा ,
कहलाने वाले ,
जिसे हम ठाकुर समझाते हैं ,
अक्सर ओ गब्बर का बाप होता हैं ,
जिस कुनबा को देखना हैं ,
उसी को लुटता हैं ,
बसंती को छोरिये ,
अब धन्नू का इज्जत…
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Added by Rash Bihari Ravi on July 12, 2010 at 3:14pm —
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हिंद के लिए
भाई मेरे जो सोचते हो ,
खुद के लिए ,
उसका सौआ सोचो ,
हिंद के लिए ,
हिंद के तस्वीर बदल जायेगा ,
भाई मेरे जितना करते हो ,
खुद के लिए ,
उसका सौआ करो ,
हिंद के लिए ,
हिंद के तस्वीर बदल जायेगा ,
Added by Rash Bihari Ravi on July 12, 2010 at 3:02pm —
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श्री सूर्य नमस्कार मन्त्र
~~
ॐ मित्राय नम:॥1॥
ॐ रवये नम:॥2॥
ॐ सूर्याय नम:॥3॥
ॐ भानवे नम:॥4॥
ॐ खगाय नम:॥5॥
ॐ पूष्णे नम:॥6॥
ॐ हिरण्यगर्भाय नम:॥7॥
ॐ मरीचये नम:॥8॥
ॐ आदित्याय नम:॥9॥
ॐ सवित्रे नम:॥10॥
ॐ अर्काय नम:॥11॥
ॐ भास्कराय नम:॥12॥
-:##############:-
श्री गायत्री मन्त्र
~~
ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यम्
भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्…
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Added by Rash Bihari Ravi on July 9, 2010 at 3:16pm —
9 Comments
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॥ दोहा ॥
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल करण कृपाल ।
दीनन के दुःख दूर करि , कीजै नाथ निहाल ॥1॥
जय जय श्री शनिदेव प्रभु , सुनहु विनय महाराज ।
करहु कृपा हे रवि तनय , राखहु जन की लाज ॥2॥
जयति जयति शनिदेव दयाला । करत सदा भक्तन प्रतिपाला ॥
चारि भुजा, तनु श्याम विराजै । माथे रतन मुकुट छवि छाजै ॥
परम विशाल मनोहर भाला । टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला ॥
कुण्डल श्रवन चमाचम चमके । हिये माल मुक्तन मणि दमकै ॥
कर में गदा त्रिशूल कुठारा । पल बिच करैं…
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Added by Rash Bihari Ravi on July 9, 2010 at 2:13pm —
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आज फैसन का जमाना हैं ,
सारा जग माना हैं ,
हम सब अब ये भूल गए हैं ,
सच्चाई से दूर गए हैं ,
जिसको छुपाना हैं ,
उसकी नुमाइस होती हैं ,
जिसको दिखाना हैं ,
उसको छुपाई जाती हैं,
मैं नहीं ये तो ,
सारा जग माना हैं ,
आज फैसन का जमाना हैं ,
खाने में भी इसकी ,
अब होती नुमाइस हैं ,
भुट्टे को भूलने लगे ,
पापकोन की चोवाइस हैं ,
थोड़े में पेट भर जाये ,
खर्चा भी कम आये ,
मगर रोटी चावल नहीं ,
रेडी फॉर इट लाना हैं ,
आज…
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Added by Rash Bihari Ravi on July 9, 2010 at 1:42pm —
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बंद ,
कितना छोटा शब्द ,
कितना बड़ा असर ,
मगर ,
इसकी पुकार पर ही ,
कितनो की .
धड़कन बढ़ जाती हैं ,
कितनो की ,
सांसे रुक जाती हैं ,
कितने
ये सोच कर परेशान,
कहा से कल ,
रोटी आयेगे ,
बच्चे क्या खायेंगे ,
लेकिन ,
कुछ को मिलती हैं ,
छुट्टी का आनंद ,
तो कुछ को ,
मिलता हैं ,
तांडव करने में आनंद ,
Added by Rash Bihari Ravi on July 8, 2010 at 2:00pm —
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क्या प्यार इसको कहते हैं ,
पार्क में बेपरवाह बेसर्म सा ,
या बाइक पे भद्दा नुमाइस ,
या बुजुर्गो के सामने भी ,
बेसर्मो सा बेवहार करते हैं ,
क्या प्यार इसको कहते हैं ,
ना मैं तो इसे प्यार ना कहू ,
हमें तो लगता हैं ये हवास ,
यारो इस हवास को आप ,
प्यार का नाम मत दो ,
सोचो आपसे गुजारिस करते हैं ,
क्या प्यार इसको कहते हैं ?
Added by Rash Bihari Ravi on July 3, 2010 at 7:12pm —
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