Added by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 8, 2013 at 10:52pm — 52 Comments
आज फिर किसी ने पारस को चाकू मार दिया था, उसकी किस्मत अच्छी थी कि घाव बेहद मामूली था. डाक्टर बाबू देखते ही पारस को पहचान गये, क्योंकि कोई आठ दस महीने पहले की ही तो बात है जब पारस के घर मे डकैती हुई थी और बदमाशों ने पारस के शरीर पर चाकू से अनगिनत वार किये थे, तब इलाज के लिए उसे इसी डाक्टर के पास लाया गया था, गंभीर रूप से ज़ख़्मी होने के बावजूद भी इस बहादुर नौजवान के मुँह से उफ़ तक नहीं निकली थी, लेकिन इस बार अत्यधिक…
ContinueAdded by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 15, 2013 at 5:30pm — 63 Comments
Added by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 23, 2013 at 10:00pm — 36 Comments
आप ग़लत थे,
मैं सही था |
आप के कहे को
मान दिया था,
अनुचित आदेश को
मान लिया था |
आप पर विश्वास था,
मिला था आशीर्वाद-
एक अफलित आशीर्वाद |
हे पूज्य!
आप ग़लत थे,
मैं सही था |
आपने तोड़ा था विश्वास,
किंचित, मुझे नही मानना था
संकुचित आदेश,
मुझे नही देना था-
अंगूठा,
दिखला देना था-
अंगूठा,
क्या होता ?
नालायक कहलाता !
अल्प काल के…
Added by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 16, 2013 at 8:30pm — 23 Comments
ठगती है,
बार बार,
अंतरात्मा,
आश्वासनों से,
ठीक हो जाएगा,
सब ठीक हो जाएगा,
एक अंतर्द्वंद्व,
सत्य असत्य,
दिल दिमाग़ के मध्य,
नही डिगेगा,
कभी नही डिगेगा,
चलते जाना है,
सत्य के मार्ग पर,
जो घटित होना है,
हो जाय,
कौन अमर यहाँ,
कोई नही,
कोई भी तो नही,
फिर डर कैसा,
उस अहंकार से,
जो क्षण भंगुर है,
चल हट !
चलने दे,
कार्य पथ पर बढ़ने दे,
वो सामने देख…
Added by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 13, 2013 at 8:00pm — 38 Comments
Added by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 1, 2013 at 11:00pm — 45 Comments
Added by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 15, 2013 at 10:38pm — 28 Comments
दारोगा बाबू का स्थानांतरण शहर से दूर एक छोटे थाने में कर दिया गया था । काफी शिकायतें आयीं थी, कि बगैर घूस लिए काम ही नहीं करते थे । नया क्षेत्र बहुत ही शांत था। थाने में कोई केस नहीं । सभी सिपाही, हवलदार, दिन भर मानों समय काटते । जैसे तैसे एक महिना निकल गया, 'बोहनी’ तक नसीब नहीं हुई थी ।
Added by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 13, 2013 at 3:00pm — 35 Comments
Added by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 6, 2013 at 5:30pm — 20 Comments
(1)
कुत्ते संग सोते हुए, फोटो एक खिचवा के,
फेस बुक पे झट से, चेंप दी मैडम जी |
लाइक और कमेंट बीच एक श्रीमान ने,
लिख दिया काश होता, कुत्ता मैं मैडम जी |
उल्टा पुल्टा सोचो नहीं, कुछ भी यूँ लिखो नहीं,
ये तो…
Added by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 31, 2013 at 2:00pm — 24 Comments
Added by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 30, 2013 at 12:00am — 18 Comments
Added by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 12, 2013 at 11:00am — 36 Comments
Added by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 11, 2012 at 12:00am — 43 Comments
लघुकथा :- तरकीब
ठाकुर साहब की चाकरी करते करते भोलुआ के बाबूजी पिछले महीने चल बसे, अब खेत बघार का सारा काम भोलुआ ही देखता था, बदले मे ठाकुर साहब ने जमीन का एक टुकड़ा उसे दे दिया था जिससे किसी तरह परिवार चलता था | ठाकुर साहब भोलुआ को बहुत मानते थे, सदैव भोलू बेटा ही कह कर बुलाते थे | ठाकुर साहब द्वारा इतना सम्मान भोलुआ के प्रति प्रदर्शित करना उनके बेटे विजय बाबू को…
Added by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 21, 2012 at 8:30pm — 21 Comments
Added by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 9, 2012 at 11:00am — 38 Comments
लघुकथा : सुहागन …
ContinueAdded by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 25, 2012 at 10:30am — 40 Comments
लघु कथा : विरोध
यह तकरीबन रोज़ का ही किस्सा था कि कालोनी के बच्चे भोली भाली तूलिका का खिलौना छीन लेते और वह रोते-रोते घर आती और हर बार उसकी मम्मी समझा बुझाकर उसे शांत करा देती | आज शाम उसके मम्मी पापा बरामदे में बैठे चाय पी रहे थे, तभी तूलिका भागी भागी घर आई और उसके पीछे रोते हुए राहुल को लेकर उसकी मम्मी भी आ पहुंची |
"देखिए बहन जी, आपकी बेटी ने मेरे राहुल को कितना मारा" राहुल के गाल पर पड़े चांटे का निशान दिखाते हुये राहुल की मम्मी बोलीं |
"तूलिका इधर आओ, तुमने…
Added by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 20, 2012 at 7:00pm — 31 Comments
उत्तरदायित्व
कार्यालय में कुछ ज्यादा ही गहमागहमी का माहौल था । नये साहब प्रभार ग्रहण कर रहे थे जो कड़े अनुशासन और अपने सख्त स्वभाव के लिए जाने जाते हैं | प्रभार ग्रहण करने के साथ ही उन्होंने पहला सवाल दागा - "कार्यालय की कार्यावधि क्या है ? और, सभी कर्मी कब तक कार्यालय आ जाते हैं |"
"सर कार्यालय अवधि सुबह १० बजे से शायं ५ बजे तक है और सभी कर्मचारी अमूमन ११ बजे तक आ ही जाते हैं."
"अब ऐसा नहीं चलेगा, कल से सबकी उपस्थिति सुबह १० बजे देखी जायेगी…
Added by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 13, 2012 at 1:30pm — 36 Comments
"चल कल्लुआ जल्दी से दारु पिला, आज मैं बहुत खुश हूँ |"…
ContinueAdded by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 14, 2012 at 3:30pm — 36 Comments
ट्रेन तकरीबन आधी रात के समय स्टेशन पर पहुंची, राजीव एक हाथ में सूटकेस संभालते पत्नी निधि को साथ लेकर जल्दी से ट्रेन से उतरा, अमूमन चहल पहल वाले इस स्टेशन पर सन्नाटा पसरा था, वहां केवल तीन चार ऑटो रिक्शा वाले ही मौजूद थे किन्तु उनमे भी सवारी बैठाने की कोई चिल्ल पौं न थी | राजीव ने बारी बारी सभी से कृष्णा कालोनी चलने को कहा, लेकिन कोई जाने को तैयार ही नहीं हुआ, तो उसने पूछा,
"आखिर बात क्या हैं, क्यों नहीं जाना चाहते ?"
"शहर के हालत अच्छे नहीं है बाबूजी, आज कुछ असामाजिक तत्वों ने…
Added by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 10, 2012 at 9:37pm — 39 Comments
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