Added by सतविन्द्र कुमार राणा on October 5, 2015 at 9:26am — 8 Comments
1222 1222 122
बहाना ही बहाना चल रहा है
बहाने पर ज़माना चल रहा है
बदलना रंग है फ़ितरत जहाँ की
अटल सच पर दिवाना चल रहा है
नही गम में हँसा जाता है फिर भी
अबस इक मुस्कुराना चल रहा है
निव%
Added by सतविन्द्र कुमार राणा on November 30, 1999 at 12:00pm — No Comments
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