For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Savitamishra's Blog – August 2014 Archive (8)

सिसकियाँ (लघुकथा)

माँ सोनी के कमरे से खूब रोने चीखने की आवाजें आ रही थी, १४ साल की राधा भयभीत हो रसोई में दुबकी रही, जब तक पिता के बाहर जाने की आहट ना सुनी ! बाहर बने मंदिर से पिता हरी की दुर्गा स्तुति की ओजस्वी आवाज गूंजने लगी! भक्तों की "हरी महाराज की जय" के नारे से सोनी की सिसकियाँ दब गयी! पिता के बाहर जाते ही माँ से जा लिपट बोली "माँ क्यों सहती हो?" सोनी घर के मंदिर में बिराजमान सीता की मूर्ति देख मुस्करा दी! अपने घाव पर मलहम लगाते हुए बोली, "मेरा पति और तेरा पिता…

Continue

Added by savitamishra on August 25, 2014 at 2:00pm — 20 Comments

गांधी नोट

अपनी आबरू बेच जब

हाथ में नोट आया

लड़की ने नोट पर

अंकित गांधी के चित्र पर

अपनी बेबस नजरों को गड़ाया

गांधी बहुत ही शर्मिंदा हुए

अपनी खुद की नजरों को

जमीं में गड़ता पाया

नहीं मिला पायें नजर

आंसुओं से डबडबाई नजरों से

देश के हालत पर चीत्कार से…

Continue

Added by savitamishra on August 21, 2014 at 1:00pm — 24 Comments

दिल की सच्चाई

हे प्रभु, सुन !

कर दें अँधेरा

चारों तरफ.. .  

उजाले काटते हैं / छलते है !

लगता है अब डर

उजालें से

दिखती हैं जब

अपनी ही परछाई -

छोटी से बड़ी

बड़ी से विशालकाय होती हुई.

भयभीत हो जाती हूँ !

मेरी ही परछाई मुझे डंस न ले,

ख़त्म कर दे मेरा अस्तित्व !

जब होगा अँधेरा चारों ओर

नहीं दिखेगा

आदमी को आदमी !

यहाँ तक कि हाथ को हाथ भी.

फिर तो मन की आँखें

स्वतः खुल जाएँगी !

देख…

Continue

Added by savitamishra on August 19, 2014 at 2:00pm — 20 Comments

'संस्कार' कहानी

सुमन बदहवास सी घटना स्थल पर पहुंची, अपने बेटे प्रणव की हालत देख बिलखने लगी| भीड़ की खुसफुस सुन वह सन्न सी रह गयी, एक नवयुवती की आवाज सुमन को तीर सी जा चुभी "लड़की छेड़ रहा था उसके भाई ने कितना मारा, कैसा जमाना आ गया ......|" "अरे नहीं, 'भाई नहीं थे', देखो वह लड़की अब भी खड़ी हो सुबक रही है" बगल में खड़ी बुजुर्ग महिला बोली  ....यह सुन सुमन का खून खौल उठा,  और शर्म से नजरें नीची हो गयी| प्रणव पर ही बरस पड़ी "तुझे क्या ऐसे 'संस्कार' दिए थे हमने करमजले, अच्छा हुआ जो तेरे बहन नहीं है| प्राण ..."मम्मी…

Continue

Added by savitamishra on August 16, 2014 at 12:00am — 22 Comments

बलिदानी.....तुकांत कविता

देख तेरे देश की हालत क्या हो गयी बलिदानी

कितना बदल गया है यहाँ हर एक हिन्दुस्तानी|



की क्यों तुने स्वदेश पर मर मिटने की नादानी

अपनों में ही खोया यहाँ हर एक हिन्दुस्तानी|



की क्यों तुने स्वदेश पर मर मिटने की नादानी

अपनों में ही खोया यहाँ हर एक…

Continue

Added by savitamishra on August 13, 2014 at 8:00pm — 9 Comments

स्व रक्षार्थ का भार भेजा है (तुकांत कविता )

रक्षा सूत्र में पिरोकर अपना प्यार भेजा है

भैया तुझे मैंने स्व रक्षार्थ का भार भेजा है|



माना मन में तेरे राखी का सम्मान नहीं  

बड़े मान से हमने अपना दुलार भेजा है|



रिश्ता भाई बहन  का हैं एक अटूट बंधन

होता  जार जार जो सब जोरजार भेजा है|



ढुलक गया मोती जो मेरी नम आँखों से

 पिरोकर मोती  हमने उपहार भेजा है|



गिले शिकवे भूल सारे फिर एक बार

  सहेज कर यादें लिफ़ाफ़े में मधुर भेजा है|



राखी दो पैसे की हो  या हजारों की भैया…

Continue

Added by savitamishra on August 7, 2014 at 11:00am — 7 Comments

अतुकांत कविता .....प्रवृत्ति.....

एक ही सिक्के के दो पहलू होते हैं सुख-दुःख,

फिर क्यों लगता है -

-सापेक्ष सुख के नहले पर दहला सा दुःख ?

- सुख मानो ऊंट के मुहं में जीरा-सा ?

आखिर क्यों नहीं हम रख पाते निरपेक्ष भाव ?



प्यार-नफ़रत तो हैं सामान्य मानवी प्रवृत्ति !

फिर भी -

प्यार पर नफ़रत लगती सेर पर सवा सेर ,

प्यार कितना भी मिले दाल में नमक-सा लगता !

थोड़ी भी नफ़रत पहाड़ सी क्यों दिखती है आखिर ?



होते हैं…

Continue

Added by savitamishra on August 5, 2014 at 10:01am — 38 Comments

चोका

मेघ निबह

श्याम श्वेत निर्मोही

भ्रम फैलाये

उड़ती घटा छाये

सूर्य आछन्न

दुविधा में फंसाए

काम बढाए

अकस्मात बरखा

बाहर डाले

कपड़े निकालते

फिर डालते

गृहलक्ष्मी दुचित्ता

क्रोध बढ़ाए

उलझौआ पयोद

वक्त कीमती

दुरुपयोग होता

वक्त भागता

सुना था कभी कही

खुद पे बीती

खीझ दुघडिया पे

भुनभुनाती

काम है निपटाने

प्रावृट् बदरा

तुझे सूझे नौटंकी

घुंघट ओढ़

हुई तू तो बावरी|

तंग गृहणी

मेघ निरंग निस्तारा

भ्रान्ति…

Continue

Added by savitamishra on August 4, 2014 at 12:21pm — 19 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service