For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

KALPANA BHATT ('रौनक़')'s Blog – July 2017 Archive (7)

वर्षा ( सार छंद)

छन्न पकैया छन्न पकैया,काले बादल छाये
सूखी प्यासी धरती की अब,सावन प्यास बुझाये

छन्न पकैया छन्न पकैया,इंद्रधनुष है आया
जल्दी होगी बारिश देखो,ख़ास ख़बर यह लाया

छन्न पकैया छन्न पकैया,छाता भी उड़ जाये
तेज़ हवा के कारण भाई,हमसे सँभल न पाये

छन्न पकैया छन्न पकैया,छम छम बरसे पानी
हरे रंग में धरती देखो,लगती बहुत सुहानी ।।
मौलिक एवं अप्रकाशित

Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 31, 2017 at 11:30pm — 12 Comments

सवाल (कविता)

पूछ रही सवाल धरा है
सुनलो ज़रा उसकी पुकार

मथ रहे हो जो लगातार
कितना और करोगे व्यापार

खनिज मेरा तुम छिनते हो
फिर कहते हो खुद को महान

मेरी चीज़ो से ही जानो
बनते हो तुम धनवान

मनुष्य हो तुम पशु नहीं हो
पशुता फिर भी है बिराजमान

मथ रहे हो जाने कब से
अब मथो कुछ खुद को भी

शायद विष पशुता का निकले
और दिख जाये तुममें इंसान ।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 28, 2017 at 9:22am — 8 Comments

सोमेश्वर मंदिर ( संस्मरण)

सन १९८२ , बी वाय के कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स, शरणपुर रोड, नाशिक , यह उनदिनों की बात है जब मैं इस कॉलेज में पढ़ती थी |

हमारी कॉलेज के पैरेलल दो सड़के जाती थी, एक त्रम्बकेश्वर रोड, और दूसरी गंगापुर रोड , और इन दोनों के बीच पड़ता है हमारा कॉलेज रोड|

हमारे कॉलेज से एक रास्ता कट जाता है जो गंगापुर रोड की तरफ जाता है , कॉलेज से करीब ४.८ किलोमीटर की दुरी पर है यह सोमेश्वर मंदिर | महादेव जी का यह एक प्राचीन मंदिर है , गोदावरी नदी के तट पर बसा यह मंदिर अपनी सुंदरता लिए हुए है | उनदिनों…

Continue

Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 22, 2017 at 7:17pm — 4 Comments

पक्का घड़ा ( लघुकथा )

गाँव वालों के बीच इन दिनों एक ही चर्चा चल रही थी और वो थी सुखिया के  बेटे का आतंकवादी बन जाना  | सुखिया एक सीधा सादा कुम्हार था पर उसके हाथ के बने घड़े सुन्दर और पक्के होते थे | आस पास के गाँव वाले भी उसके पास घड़े खरीदने आते थे |

लोगों को जब उनके बेटे के बारे में पता चला तो वे सब सकते में आ गए ।



किसीने कहा , " घोर कलजुग है भैया , किसीका भरोसा नहीं । "



कोई बोला ," इसमें तो मुझे उस सुखिया कुम्हार की ही गलती दिखे है , माटी के घड़े तो बना दिए पर खुद…

Continue

Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 22, 2017 at 5:47pm — 7 Comments

सावन ( हाइकू)

आया सावन 

बोले मयूरा सुनो 

उसकी बोली |

२ 

गरज गए

बादल सावन के 

नाचो औ  गाओ |

३ 

गीत कोई तो 

सुना दो सावन के 

मनवा डोले  |

४ 

मधुर गीत 

गाती जब  सखियाँ

पिया पुकारें |

५ 

हरित धरा 

कहती कुछ कुछ 

सुनो तो सही |

चमके जब 

बिजली डर लागे 

ढूँढे पिया को…

Continue

Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 18, 2017 at 10:30pm — 14 Comments

लो आ गया सावन ( कविता)

लो आ गया फिर से सावन 

संग लाया यादें मन भावन 

नदी का किनारा अमरुद का पेड़,

पत्थर उठाकर तुम्हारा करना खेल 

पानी उछालना , फिर हंस देना 

अमरुद तोड़ खुद ही खा लेना 

थी अठखेलियाँ वो जो तुम्हारी 

बस गयी तब से साँसों में हमारी

उछलते छीटों  से खुद को भी भिगौना 

गीले होकर रूठ कर बैठ जाना 

कीचड़ लगाकर फिर भाग जाना 

पेड़ की आड़ से फिर मुस्कुराना 

शैतान सी हंसी , मस्ती की…

Continue

Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 16, 2017 at 7:00pm — 10 Comments

रिश्ता (कविता)

प्यार चाहे कोई रिश्ता
कोई चाहे दिखावा

कहीं होता व्यापार रिश्तों का
कहीं ढ़ोल है पीटे जाते

कभी निकल जाता है जीवन
ताना बाना बुनने में

एक शब्द है पर
अर्थ है कितने


रिश्तों की तरह
अद्भुत , अटल सत्य की तरह

मौलिक एवं अप्रकाशित

Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 2, 2017 at 11:00pm — 6 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service