For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल-नूर- फिर वो मीरा, राबिया दे जाएगा.

२१२२/२१२२/२१२/
मंज़िलों का जो पता दे जाएगा
ज़िंदगी का फ़लसफ़ा दे जाएगा.
.
और थोड़ा फ़ासला दे जाएगा
ज़िंदगी की गर दुआ दे जाएगा.
.
दिल को सतरंगी छटा दे जाएगा
फिर धड़कने की अदा दे जाएगा.
.
ग़म हमें अब और क्या दे जाएगा
बस नया इक तज्रिबा दे जाएगा.
.
आएगा कोई पयम्बर फ़िर नया
फ़िर नया हम को ख़ुदा दे जाएगा.
.
जब वो सोचेगा हमारे वास्ते
फिर वो मीरा, राबिया दे जाएगा.
.    
“नूर” बरसेगा ख़ुदा का एक दिन
मुश्किलों में रास्ता  दे जाएगा.
.
निलेश "नूर"
मौलिक / अप्रकाशित 

Views: 1082

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on July 2, 2015 at 1:37pm

और थोड़ा फ़ासला दे जाएगा 
ज़िंदगी की गर दुआ दे जाएगा....कमाल की सोच 

ग़म हमें अब और क्या दे जाएगा 
बस नया इक तज्रिबा दे जाएगा....पूरी तरह सहमत हूँ 

इस शानदार ग़ज़ल के लिए तहे दिल बधाई आदरणीय नूर जी 
.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 1, 2015 at 2:47pm

नूर से मत मांगिये वो फिर हमें 

खूबसूरत सी कता दे जायेगा 

बढ़िया ग़ज़ल .... शेर दर शेर दाद हाज़िर है 

Comment by shree suneel on July 1, 2015 at 8:10am
आएगा कोई पयम्बर फ़िर नया
फ़िर नया हम को ख़ुदा दे जाएगा... उम्दा. . उम्दा
ख़ूबसूरत ग़ज़ल.. बधाई हो आदरणीय निलेश जी.

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 30, 2015 at 9:30am

बहुत खूब अच्छी ग़ज़ल हुई बहुत बहुत बधाई नीलेश जी 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 29, 2015 at 8:25pm

नूर भाई

आप कितनी सहजता से गजल कहते हैं  लगता ही नहीं कि किसी मिसरे के लिये  कोई कोशिश की गयी हो . छोटे -छोटे  साधारण से वाक्य

बड़ी मकबूलियत है आप में ---- अल्लाह करे जोरे कलम और ज्यादा

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on June 29, 2015 at 6:18pm

बहुत खूब नूर साहब, दाद कुबूल करें

Comment by Rahul Dangi Panchal on June 29, 2015 at 3:45pm
सुन्दर
Comment by saalim sheikh on June 29, 2015 at 1:07pm

बहुत उम्दा ग़ज़ल! बधाई!

Comment by मोहन बेगोवाल on June 28, 2015 at 10:18pm

    बेहतरीन ग़ज़ल जिस में चार मतले कहे गए  -बधाई हो 

Comment by मनोज अहसास on June 28, 2015 at 8:09pm
बहुत खूबसूरत
जैसे दुआ है कोई
सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो"
5 hours ago
Aazi Tamaam commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"अच्छी रचना हुई आदरणीय बधाई हो"
5 hours ago
Aazi Tamaam commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"अच्छी ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो 3 बोझ भारी तले को सुधार की आवश्यकता है"
5 hours ago
Aazi Tamaam commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय इस बह्र पर हार्दिक बधाई"
5 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सुरेंद्र इंसान जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
5 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत शुक्रिया आदरणीय भंडारी जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
5 hours ago
surender insan commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई जी  छन्न पकैया (सारछंद) में आपने शानदार और सार्थक रचना की है। बहुत बहुत बधाई…"
6 hours ago
surender insan commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरणीय आज़ी भाई आदाब। बहुत बढ़िया ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करे जी।"
6 hours ago
surender insan commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सौरभ जी सादर नमस्कार जी। ग़ज़ल पर आने के लिए और अपना कीमती वक़्त देने के लिए आपका बहुत बहुत…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई ,सुन्दर  , सार्थक  देश भक्ति  से पूर्ण सार छंद के लिए हार्दिक…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय सुशिल भाई , अच्छी दोहा वली की रचना की है , हार्दिक बधाई "
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरनीय आजी भाई , अच्छी ग़ज़ल कही है हार्दिक बधाई ग़ज़ल के लिए "
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service