For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मन में अक्षय स्‍नेह सभी के

समरस भाव प्रवणता है

फिर भी जाने क्‍योंकर सबने

बांटी कलुष,कृपणता है

छूत-पाक का लावा-लश्‍कर

हुलस चूम कब यम आया

कसक धकेले, सदा अकेले

बूंद-बूंद कब ग़म आया

फंसा जुए में गला सभी का

पगतल अतल विकलता है

जाने फिर भी हर लिलार पर

किसने मली खरलता है

तपिश उड़ेले स्‍वाद कषैले

लिए जागते दीप कहां

रूचिर अधर पर लुटे प्राण को

मिला दूसरा सीप कहां

कहां बनी दारूण यह अरणी

मोद मधुर जो दलता है

हर प्रबोध से नयन चुराए

वक्र ताल ही चलता है

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 529

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by upasna siag on February 4, 2013 at 3:14pm

बहुत सुन्दर रचना ......

Comment by Ashok Kumar Raktale on February 3, 2013 at 7:01pm

मन में अक्षय स्‍नेह सभी के

समरस भाव प्रवणता है

फिर भी जाने क्‍योंकर सबने

बांटी कलुष,कृपणता है.............वाह जहां कुछ नहीं लगना वहां भी हम कृपण ही रहे.

सुन्दर रचना.पंक्ति पंक्ति शब्द संयोजन मन मुग्ध कर रहा है और भावों के तो क्या कहने. हार्दिक बधाई स्वीकारें आदरणीय राजेश कुमार झा जी सादर.

Comment by vijay nikore on February 3, 2013 at 8:30am

बहुत सुन्दर, वाह!

विजय निकोर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 3, 2013 at 6:08am

भाव समृद्ध रचना के लिए आपको अतिशय बधाइयाँ, आदरणीय राजेश जी. शिल्प के क्षेत्र में अवश्य ही सार्थक प्रयास करें.

आपकी रचनाओं की कहन और उसके निहितार्थ के विभिन्न आयामों को आपकी शाब्दिकता के साँचे में देख-बूझ कर हम कई-कई बार संतुष्ट हो चुके हैं.

विश्वास है आदरणीय, मेरे कहे को आप उदारता और संपूर्णता में स्वीकार कर रहे हैं.

सादर

Comment by MAHIMA SHREE on February 2, 2013 at 11:12pm

वाह!! बहुत ही सुंदर और मननीय  प्रस्तुति . हमेशा की तरह बार बार पढने पर भी दुबारा पढने का लोभ नहीं छूटता .. बधाई आपको


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 2, 2013 at 9:26pm

छूत-पाक का लावा-लश्‍कर

हुलस चूम कब यम आया

कसक धकेले, सदा अकेले

बूंद-बूंद कब ग़म आया-----राजेश झा जी पुनः एक सुन्दर प्रविष्टि शानदार शब्द भाव  लय प्रवाह बहुत बहुत सुन्दर 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 2, 2013 at 7:12pm

क्या बात है बहुत सुन्दर आदरणीय राजेश जी ......बधाई हो आपको

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 2, 2013 at 4:17pm

हर प्रबोध से नयन चुराए

वक्र ताल ही चलता है-------बहुत सुन्दर बधाई राजेश कुमार झा जी 

Comment by Alpana Verma on February 1, 2013 at 4:20pm

'हर प्रबोध से नयन चुराए...

वाह! अति सुन्दर प्रस्तुति!

Comment by भावना तिवारी on February 1, 2013 at 3:58pm

कसक धकेले, सदा अकेले

बूंद-बूंद कब ग़म आया

तपिश उड़ेले स्‍वाद कषैले............BAHUT SUNDAR ..KAVYANUBHOOTI ...BADHAI ..WAAH ..!!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब जी , इस प्रयोगात्मक लघुकथा से इस गोष्ठी के शुभारंभ हेतु हार्दिक…"
3 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"प्रवृत्तियॉं (लघुकथा): "इससे पहले कि ये मुझे मार डालें, मुझे अपने पास बुला लो!" एक युवा…"
14 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"स्वागतम"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"है सियासत की ये फ़ितरत जो कहीं हादसा हो उसको जनता के नहीं सामने आने देना सदर"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आदरणीय पंकज जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये सादर"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार बहुत शुक्रिया आपका सादर"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आदरणीय अमित जी  बहुत बहुत शुक्रिया सज्ञान लेने के लिए कोशिश करती हूं समझने की जॉन साहब को भी…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आ. भाई पंकज जी, हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आ. रिचा जी, हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आ. भाई जयनित जी, हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आ. भाई दिनेश जी, हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, हार्दिक आभार।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service